- 26 सितंबर को रंगे हाथ गिरफ्तार हुआ था रेलवे का सीनियर सेक्शन इंजीनियर

- लंबित बिल पास कराने के एवज में आरोपी इंजीनियर ने मांगी थी रिश्वत

- सीबीआइ कर रही है पूरे मामले की जांच, अन्य भी हो सकते हैं संलिप्त, हो रही तलाश

रांची : रांची रेल मंडल में बिल पास करने के एवज में 3.44 लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार सीनियर सेक्शन इंजीनियर बिजय कुमार यादव मामले में सीबीआइ का शिकंजा कसता जा रहा है। अब सीनियर सेक्शन इंजीनियर से जुड़े अन्य सहयोगियों व पदाधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है, ताकि उनकी संलिप्तता से संबंधित साक्ष्य संकलित किया जा सके। इसी क्रम में शुक्रवार को सीबीआइ ने रेलवे के एडीआरएम विजय कुमार को अपने कार्यालय में बुलाया था, जहां उनसे लंबी पूछताछ हुई। पूछताछ में क्या निकला, इसे बताने से सीबीआइ के अधिकारी कतराते रहे, लेकिन इतना जरूर बताया कि जांच अभी जारी है और सभी संदिग्धों की संलिप्तता की जांच की जा रही है।

रांची रेल मंडल के सीनियर सेक्शन इंजीनियर बिजय कुमार यादव को 26 सितंबर को सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था। उनपर आरोप था कि रेलवे के ठेकेदार से उन्होंने रांची रेल मंडल के असिस्टेंट डिविजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर राजेश रौशन के नाम पर दो फीसद रिश्वत मांगी थी।

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ठेकेदार प्रकाश ने की थी सीबीआइ से शिकायत

ठेकेदार प्रकाश सिंह ने 25 सितंबर को सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एसपी के पास शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि दक्षिण पूर्व रेलवे के रांची डिविजन के सीनियर सेक्शन इंजीनियर बिजय कुमार यादव ने बिल क्लियर करने के एवज में रिश्वत मांगी है। प्रकाश ने दर्ज शिकायत में बताया था कि वे हटिया के सिंहमोड़ स्थित शारदा केमिकल्स के अधिकृत प्रतिनिधि हैं। शारदा केमिकल्स को वर्ष 2016 में रांची डिविजन ने एसी कोच में अटेंडेंट के लिए मैन पावर सप्लाई का ठेका मिला था। इस बीच कंपनी का लगभग 86 लाख रुपये का बिल रांची डिविजन के कार्यालय में लगभग जून महीने से लंबित था। इस संबंध में सीनियर सेक्शन इंजीनियर बिजय कुमार यादव से वह मिलते रहे। बिजय कुमार यादव किसी न किसी बहाने उन्हें टालते रहे। इसी बीच 25 सितंबर की सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे बिजय कुमार यादव उन्हें अपने हटिया स्थित कार्यालय में फोन कर बुलाया था। सीनियर सेक्शन इंजीनियर ने ही उन्हें बताया था कि उनके फाइल को वे असिस्टेंट डिविजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर राजेश रौशन को दिए हैं। बिजय कुमार यादव ने उन्हें यह भी बताया था कि राजेश रोशन का दो फीसद व उनका दो फीसद यानी कुल चार फीसद रिश्वत देना होगा, तब ही बिल पास होगा, नहीं तो नहीं होगा। इस तरह कुल 3 लाख 44 हजार रुपये रिश्वत देने होंगे। अगर इसमें निगेटिव रिमार्क लिख देंगे तो ठेका भी रद हो जाएगा और नए व्यक्ति को ठेका दे देंगे।

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जांच में हुई थी भ्रष्टाचार की पुष्टि

प्रकाश सिंह की शिकायत पर सीबीआइ के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के सब इंस्पेक्टर रवींद्र कुमार भारती ने उनकी शिकायत का सत्यापन किया। दारोगा रवींद्र भारती भी सादे लिबास में हटिया रेलवे स्टेशन पहुंचे। वहां उनके सामने भी प्रकाश से 4 प्रतिशत कमिशन के रूप में घूस की मांग की गई। नहीं देने पर उनके ठेका को रद करने की धमकी दी गई। दारोगा रवींद्र कुमार भारती ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह भी बताया है कि बिजय कुमार यादव ने असिस्टेंट डिविजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर राजेश रोशन के लिए भी खुद ही कमिशन की बात कर रहे थे। सत्यापन में बिजय भ्रष्टाचार के आरोपी मिले। इसके बाद सूचना सत्यापन के दौरान 26 सितंबर 2017 को रिश्वत के 3.44 लाख रुपये रिश्वत लेते रांची रेल मंडल के सीनियर सेक्शन इंजीनियर बिजय कुमार यादव को सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दबोच लिया था। तब से ही बिजय कुमार यादव न्यायिक हिरासत में हैं।

Posted By: Inextlive