-ट्रेन में भीड़ बढ़ते ही तत्काल टिकट काउंटर पर कुछ ही मिनटों में शो करने लग रहा है वेटिंग

- एजेंट काट रहे चांदी, अधिकतर तत्काल टिकट कर लेते हैं बुक

वेडिंग व फेस्टिव सीजन में पैसेंजर्स की भीड़ बढ़ते ही कन्फर्म टिकट का अकाल सा पड़ गया है। लाख प्रयास के बाद भी दलालों की कारगुजारियों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। तत्काल टिकट व्यवस्था तो लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। आरक्षण कार्यालय (पीआरएस) में दिल्ली हो या मुंबई, कहीं के लिए भी रेलवे के काउंटर से तत्काल का कन्फर्म टिकट मिल पाना मुश्किल हो रहा है। मिनटों में ही काउंटर पर तत्काल का वेटिंग शुरु हो जा रहा है।

हर दूसरा तत्काल टिकट वेटिंग

बुकिंग काउंटर खुलने से पहले ही सभी टिकट बुक हो जा रहा है। रिजर्वेशन सिस्टम में दलालों एवं क्लर्क की मिलीभगत के आगे रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन बेबस नजर आ रहा है। तत्काल की नयी व्यवस्था में तो उनके सामने दो आप्शन आ गये हैं। एक तरफ सुबह 10 बजे एसी कोच में टिकट नहीं मिल पा रहा तो 11 बजे स्लीपर के लिए बुकिंग शुरू हो जा रही है। इस बीच एजेंट्स के यहां इंटरनेट पर टिकट की बुकिंग बंद है फिर भी वे धड़ल्ले से पर्सनल आईडी पर टिकट की बुकिंग कर रहे हैं।

ट्रेवल एजेंट कर रहे खेल

रेलवे स्टेशन के आसपास व शहर में भी इस तरह के दर्जनों ट्रेवेल्स एजेंट तत्काल टिकट की बुकिंग में खेल कर रहे हैं। एजेंट अन्य नामों से फर्जी आईडी बनाकर धड़ल्ले से तत्काल टिकट निकाल ले रहे हैं। सुबह 10 बजते ही जब तक रेलवे के बुकिंग क्लर्क यात्री का नाम और पता कंप्यूटर में भरते हैं, तब तक एजेंट्स का टिकट कन्फर्म हो जाता है। दलाल अपने कंप्यूटर पर पहले से ही यात्रियों का नाम और पता भर कर तैयार रहते हैं। बुकिंग शुरू होते ही वे एक्टिव हो जाते हैं और देखते-ही-देखते लगभग सारे कन्फर्म टिकट उनकी झोली में होता है। बदले में एक टिकट पर एक से तीन हजार रुपये तक कमा रहे हैं। इधर, रेलवे की खिड़की पर लाइन में लगे लोग हाथ मलते रह जा रहे हैं।

24 घंटे पहले टिकट बुकिंग

सुबह 10 बजे से एसी और 11 बजे से स्लीपर क्लास के टिकट की बुकिंग होती है। काउंटर पर बुकिंग के समय टिकट एजेंट (वाइटीएसके, आरटीएसए और आइआरसीटीसी आदि) सुबह 8 से 8.30 बजे तक साधारण आरक्षित टिकट, 10 से 10.30 बजे तक एसी और 11 से 11.30 बजे तक स्लीपर क्लास के टिकटों की बुकिंग नहीं कर सकते। सभी प्रमुख ट्रेंस में 20 से 30 परसेंट टिकट तत्काल के लिए रिजर्व रहता है जिसकी बुकिंग ट्रेन छूटने के 24 घंटे पहले से शुरु होती है। बावजूद खेल खुलेआम चल रहा है।

तत्काल टिकट की बुकिंग एक जगह से नहीं होती है। लोग अपने घर बैठे कहीं से भी टिकट बुक कर सकते हैं। ऐसे में काउंटर से अगर कोई गड़बड़ी की शिकायत मिलती है तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

आनंद मोहन, डायरेक्टर

कैंट स्टेशन

Posted By: Inextlive