PATNA CITY: नवम व दशम गुरु (पिता-पुत्र) के मिलन का स्थल गुरु का बाग में बैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को कुएं के जल से हजारों लोग स्नान करने जुटे। यहां मेला सा दृश्य था। इसके पूर्व दो दिनों से ग्रंथी मनोहर सिंह की देखरेख में चल रहे अखंड पाठ साहिब का समापन हुआ। भाई ज्ञान सिंह व भाई जोगिंदर सिंह ने कीर्तन किया। कथा व प्रवचन ज्ञानी सुखदेव सिंह व भाई लोकिंदर सिंह ने सुनाया। जिसमें बताया कि गुरु गोविंद ंिसह के जन्म के बाद उनके पिता गुरु तेग बहादुर से इसी स्थान पर पहला मिलन हुआ। इसी बाग में स्थित कुएं को नौवें गुरु ने वरदान दिया कि जो कोई संतान की प्राप्ति व कोई मन्नत मांगने इसके पानी से स्नान कर दरबार साहिब में मत्था टेकेगा उसकी मनोकामना पूरी होगी।

दरबार साहिब में टेका मत्था

नवाब रही व करीब बख्श ने यह बाग गुरु को दान किया और पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा था। तब से यहां स्नान करने व मन्नत पूरी होने पर पौधा लगाने की परंपरा है। फ्राइडे को भी बड़ी संख्या में लोगों ने स्नान करने के बाद दरबार साहिब में मत्था टेका और पौधे लगाया। मीत ग्रंथी भाई बलदेव सिंह ने अरदास, हुकुम किया। इसके बाद संगतों के बीच प्रसाद क वितरण हुआ।

चली लंगर की सेवा

नाश्ता लंगर की सेवा दशमेश परिवार सेवा सोसाइटी के दर्शन सिंह, तेजेंदर सिंह बग्गा, इंद्रजीत सिंह बग्गा, प्रेम सिंह, रणजीत सिंह आदि ने चलाया, तो रामगढि़या एसोसिएशन के सरदार गुरनाम सिंह ने मुख्य लंगर चलाया। मौके पर तख्तश्री कमेटी के महासचिव सरजिंदर सिंह, सचिव एमएस छाबड़ा, जगजोत सिंह, अमरजीत सिंह, रविन्द्रपाल सिंह, अधीक्षक दलजीत सिंह, अवतार सिंह, दिलीप पटेल, महाकांत राय व मनोहर सिंह बग्गा आदि मौजूद थे।

Posted By: Inextlive