- DLW के रहने वाले मरीन इंजीनियर संतोष भारद्वाज ने एक बेटी के बाद नहीं की दूसरे बेटे की चाहत, बेटी को पढ़ा लिखाकर फैशन डिजाइनर बनाने का है सपना

- बेटी ने भी dance, painting और कई अन्य activity में किया है पेरेंट्स का नाम रोशन

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देवी का रुप देवो का मान है बेटियां, घर को जो रौशन करे वो चिराग हैं बेटिया। सच में बेटियों का महत्व वो ही समझ सकते हैं जिनके आंगन में इनकी मौजूदगी होती है और कुछ इसी तरह की फीलिंग डीरेका के रहने वाले मरीन इंजीनियर संतोष भारद्वाज और उनकी पत्‍‌नी कंचन को आती है। जब ये दोनों अपनी एकलौती बेटी चारू को अपनी आंखों के आगे देखते हैं तो उनका सिर फक्र से ऊंचा हो जाता है क्योंकि जिंदगी में चारू के आने के बाद इन दोनों ने बेटी को ही अपना संसार मान लिया और बगैर किसी दूसरे बच्चे की चाह के इसकी जिंदगी को ही बेहतर बनाने में जी जान से जुट गए।

बेटे से बढ़कर है बिटिया

संतोष अपने काम के सिलसिले में काफी लंबे वक्त तक घर से दूर रहते हैं। जिसके कारण बेटी से उनकी मुलाकात काफी समय बाद हो पाती है। लेकिन बेटी से दूर होते हुए भी वो उसकी हर ख्वाहिश को पूरा करने में जुटे रहते हैं। जो वो अपने पापा से कहती है। संतोष का कहना है कि जब बेटी पैदा हुई तो लोगों ने एक और बच्चे के लिए कई बार कहा लेकिन उन्होंने और पत्‍‌नी ने बेटी को ही दुनिया मान लिया और ये प्रण कर लिया कि बेटी के लिए ही सब कुछ करेंगे। पढ़ाई से लेकर उसके हर सपने को पूरा करने में जी जान लगा देंगे। मां कंचन का कहना है कि बेटी बेटे से भी बढ़कर है क्योंकि बेटा तो सिर्फ मुक्ति दिलाता है लेकिन बेटियां तो जिंदगी जीना सीखाती हैं।

पूरा कर रही है सपना

महज क्भ् साल की चारू अभी क्लास क्0 में है लेकिन छोटी उम्र में ही उसके बड़े सपने हैं। पिता संतोष उसे अफसर बनाना चाहते हैं लेकिन बेटी फैशन डिजाइनिंग के सेक्टर में जाना चाहती है। जिसके लिए उसने अभी से तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। संतोष का कहना है कि हमारे सपने बाद में पहले बेटी जो चाहे वही करेंगे। वहीं चारू ने डांस और सिंगिंग में भी कई मुकाम हासिल किए हैं। जिसके चलते उसके पेरेंट्स को उसपर गर्व है।

Posted By: Inextlive