-काशी विद्यापीठ के डॉ। केशरी नंदन शर्मा व उनकी पत्नी रेनू अपनी बेटी को ही मानते हैं अपनी दुनिया

-13 वर्षीय बेटी श्रीयांशी को पढ़ाई के साथ पेंटिंग बनाने व संगीत का है शौक

VARANASI

ऐसे मां बाप भी हैं जिनका सपना होता है कि उन्हें बेटी ही हो। बेटी की किलकारी घर में गूंजे इसके लिए वे तमाम मन्नतें मांगते हैं। और जब उनका सपना पूरा हो जाता है और घर में बेटी आ जाती है तो उसे पढ़ा लिखाकर इस काबिल बनाना चाहते हैं कि वह किसी से कम न रहे। सोसाइटी में इस तरह की बयार धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब बह रही है। जी हां, क्योंकि अगर हम अपने आसपास देखें तो बेटियां न केवल आगे निकल रही हैं बल्कि मां-बाप भी उनको मुक्त आकाश मुहैया करा रहे हैं। ऐसे पेरेंट्स जिन्हें सिर्फ एक बेटी ही है उन्हें इस बात का तनिक भी मलाल नहीं है कि उनको दूसरी संतान नहीं है। वे अपनी बेटी को ही सबकुछ मानते हैं। अपनी बेटी को लेकर कुछ इस तरह की ही सोच रखने वाले पेरेंट्स अपने शहर में भी हैं। आज हम बात कर रहे हैं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के लॉ फैकल्टी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। केशरी नंदन शर्मा व उनकी पत्‍‌नी रेनू राय की। इकलौती बेटी ही इनकी दुनिया है। आज दोनों लोग अपनी बेटी के सपने को अपना सपना बनाकर उसे मंजिल तक पहुंचाने का पूरा अवसर मुहैया करा रहे हैं।

Painting है हॉबी

डॉ। केशरी की क्लास ए‌र्ट्थ में पढ़ने वाली क्फ् साल की बिटिया श्रीयांशी को पढ़ाई के साथ साथ पेंटिंग और ड्राइंग का भी शौक है। इसकी वो स्कूल और घर में ट्रेनिंग भी ले रही है। डॉ। केशरी बताते हैं कि श्रीयांशी स्कूल में ही पेंटिंग सीख रही है। जबकि संगीत की बारीकियां अपनी मां रेनू से रोजाना ले रही है। कहते हैं कि उसे हमने पूरी आजादी दे रखी है। वह जिस भी फील्ड में अपना कॅरियर बनाना चाहती है उसका हम तन मन और धन से पूरा हेल्प करेंगे।

बेटी करेगी नाम रोशन

डॉ। केशरी और उनकी पत्‍‌नी रेनू बताते हैं कि हमें दूसरी संतान की ललक नहीं है। हमारे लिए तो हमारी इकलौती बेटी ही कई संतानों से बढ़कर है। हमारी बेटी ही हमारा और पूरे परिवार का नाम रोशन करेगी। इसकी शिक्षा दीक्षा में हमने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। कहते हैं कि हम पति-पत्‍‌नी के आंखों का तारा ही नहीं है श्रीयांशी बल्कि वह पूरे परिवार के जिगर का टुकड़ा है।

Posted By: Inextlive