- शहर की जानी मानी कोचिंग के संचालक अशोक चौरसिया हैं सिंगल बेटी के पिता

- बेटी के सभी सपनों को पूरा कर उसे बनाना चाहते हैं बेस्ट डॉक्टर

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

हर बाबुल की आन और शान है बेटी इस धरा पर मालिक का वरदान है बेटी। जिंदगी में बेटी की अहमियत बताती ये चंद लाइनें सिटी की जानी मानी कोचिंग चलाने वाले अशोक चौरसिया और उनकी पत्नी वंदना चौरसिया पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। क्योंकि इन दोनों ने अपनी जिंदगी में एक बेटी के बाद दूसरे बच्चे की चाह नहीं की। हालांकि बेटी प्रज्ञा अभी महज सात साल की है लेकिन अशोक का मानना है कि अब एक बेटी ही उनका संसार है और इसी पर वो अपनी जिंदगी की हर खुशी को न्यौछावर कर देंगे।

खूब बंटी मिठाई

अशोक बताते हैं कि उनकी बेटी प्रज्ञा जब पैदा हुई तो उनके खुशी का ठिकाना नहीं था। क्योंकि घर में बेटे ज्यादा थे लेकिन जब हॉस्पिटल में नर्स ने बताया कि बेटी हुई है तो उन्होंने पूरे अस्पताल को खुशी से सिर पर उठा लिया। अशोक बताते हैं कि मुझे याद है कि जब 19 जनवरी 2009 को बेटी प्रज्ञा की रोने की पहली आवाज उनके कानों में गई तो ऐसा लगा कि जैसे उनकी जिंदगी का हर दर्द दूर हो गया। अशोक का कहना है कि मैंने बेटी होने पर कम से कम 500 लोगों को मिठाई बांटी और मिठाई खाने वाला हर शख्स यही कह रहा था बेटा होने पर तो कई बार मिठाई खाई लेकिन बेटी होने पर पहली बार इतनी मिठाई खाने को मिली।

बेटी पर नहीं कोई दबाव

अशोक के हर फैसले में उनका साथ देने वाली उनकी पत्‍‌नी वंदना बेटी संग सबसे ज्यादा वक्त गुजारती हैं। क्लास सेकेंड में पढ़ रही बेटी प्रज्ञा का कोर्स देखकर मां कभी कभी परेशान भी होती हैं लेकिन ये सोचकर खुद को संभाल लेती हैं कि बेटी को अभी बहुत कुछ करना है। वंदना का कहना है कि बेटी डॉक्टर बनना चाहती है और हम लोग भी यही चाहते हैं कि जो बेटी का मन हो वो वही करे ताकि हम भी खुश रहें।

Posted By: Inextlive