RANCHI: हमारी बेटी ने जिस तरह से मुझे हर कदम पर साथ दिया है, चाहे वो पर्सनल लाइफ हो या प्रोफेशनल। शायद बेटा होता तो उतना नहीं करता। मैं अपनी बेटी में अपना पूरा संसार देखती हूं। अब मुझे अपने निर्णय पर गर्व होता है, जब हमने सिंगल चाइल्ड का लिया था। मुझे मेरी बेटी डॉ निवेदिता चक्रवर्ती पर गर्व है। यह कहना है रांची की फेमस गायनेकोलॉजिस्ट डॉ शोभा चक्रवर्ती का।

हर कदम पर साथ

डॉ शोभा चक्रवर्ती बताती हैं कि निवेदिता का साथ मुझे शुरू से ही मिला है। जब मैं रिम्स में काम करती थी मेरी बेटी पटना में रहती थी। हर सैटरडे को मुझसे मिलने रांची आती थी या मैं उससे मिलने हर सप्ताह पटना पहुंच जाती थी। निवेदिता जब बेंगलुरू के एमएस रमैया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने गई, तो हम और हमारे हसबैंड एन चौधरी हर दिन उससे बातें करते थे। अब मुझे लगता है कि मेरी बेटी ही मेरा बेटा है। यह हमारे लिए सारा काम करती है, मेरे डे टू डे रुटिन का ख्याल भी यही रखती है। अब तो मेरा नाती कबीर भी है, जिसके साथ मेरा जीवन पूरा हो गया है।

एयरपोर्ट पर ढाई घंटे

मेरी बेटी जब बेंगलुरू मेडिकल कॉलेज जाती, तो उसके पापा एयरपोर्ट के लाउंज में ढाई घंटे बैठे रहते थे। जब तक फ्लाइट बेंगलुरू पहुंच न जाती। जब तक बेटी पहुंचने की सूचना नहीं दे देती, तब तक वे वहीं रहते थे। हर रात में आठ बजे हमलोग बेटी को फोन करते थे, मैं तो दो दिन में भी बात करती थी, लेकिन मेरे हसबैंड हर दिन रात में ही बात करते थे।

एक बच्चा हो, तो बेटी ही हो

डॉ शोभा चक्रवर्ती बताती हैं कि अगर कोई सिंगल चाइल्ड रखने का डिसिजन लेता है, तो मेरा मानना है कि एक बेटी ही होनी चाहिए। बेटी ही है जो अपने पेरेंट्स को अच्छे तरह से समझती है, मां-बाप की उम्र हो जाने के बाद जितने अच्छे तरीके से बेटी ख्याल रख सकती है, बेटा शायद नहीं रखा सकता है। बेटी अपने मां-बाप के लिए जो फिलिंग बचपन से रखती है, वही फिलिंग तब तक रखती है, जब तक उसके पेरेंट रहते हैं। इसलिए अगर सिंगल चाइल्ड हो, तो बेटी ही हो।

मेंटलिटी बदलने की जरूरत

आज भी जब हमलोग हर दिन हॉस्पिटल में लोगों का इलाज करते हैं, और महिलाओं से पूछते हैं कि कितने बच्चे हैं तो वो कहती है एक भी बच्चा नहीं है, बस एक बेटी है। ऐसे लोगों की मानसिकता बेटी को लेकर बदलने की जरूरत है। जब सिंगल चाइल्ड बेटी हो तो लोगों को उसी पर सारा ध्यान देने की जरूरत है। जब पेरेंट्स की मानसिकता बदलेगी, तो हमलोग समाज के सभी लोगों के लिए अच्छा होगा।

मेरी दुनिया मेरी मां हैं

डॉ निवेदिता चक्रवर्ती बताती हैं कि मेरी दुनिया मेरी मां है। मैं अपनी मम्मी को खुश रखना चाहती हूं, मैं हर वो काम अपनी मां के लिए और अपने पेरेंट्स के लिए करती हूं जो एक बेटा करता। घर से लेकर अस्पताल तक मैं हमेशा इनके साथ रहती हूं, इनका खाना, पीना से लेकर मेडिसिन तक हर कुछ मैं टाइम पर करती हूं। मेरी मां का सपना है कि अस्पताल में मरीजों का सही से इलाज हो। मैं इसका ध्यान हमेशा रखती हूं। मैं हर बार अपने पेरेंट्स को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझे इस लायक बनाया।

-डॉ निवेदिता चक्रवर्ती, बेटी, डॉ शोभा चक्रवर्ती

Posted By: Inextlive