एससी के फैसले से मूलपद पर लौटे मेरठ के छह प्रिंसिपल
- सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर दी सहमति।
- मेरठ में पांच और मवाना में एक प्रिंसिपल का पद माना सुप्रीम कोर्ट ने अवैध Meerut- सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े फैसले से शुक्रवार को यूपी के 157 कॉलेजों के प्रिंसिपल्स को झटका लग गया है। इनमें मेरठ के छह प्रिंसिपल्स के नाम शामिल है। जिन्हें प्रिंसिपल पद से हटाकर मूलपद पर कर दिया गया हैं। यहीं नहीं उनसे वेतन भी स्टेट गर्वमेंट को वापस लौटाने का फैसला लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार इन सभी प्रिंसिपल्स की नियुक्ति अवैध तरीके से की गई है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पहलूओं को देखते हुए ही इन प्रिंसिपल्स को वापस मूलपद देने का बड़ा फैसला लिया है। 2009 में हुई थी नियुक्तिगौरतलब है कि यूपी में 157 प्रिंसिपल्स ऐसे हैं जिनको कॉलेजों के लिए अवैध तरीके से नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार इन प्रिंसिपल्स का 2009 में अप्वाइंटमेंट हो गया था। इनके खिलाफ दूसरे पक्ष से कई टीचर्स ने इलाहबाद में अवैध नियुक्ति होने के लिए केस दर्ज कराया था। जिसका फैसला 2012 में हाईकोर्ट इलाहबाद ने देते हुए प्रिंसिपल्स की नियुक्ति को अवैध माना था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया था। अब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को संज्ञान में रखते हुए इन नियुक्तियों को अवैध माना है।
मेरठ में छह प्रिसिंपल मेरठ में पांच बड़े कॉलेजों के और मवाना में एक कॉलेज के प्रिंसिपल का पद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अवैध बताया जा रहा है। इनमें एनएएस कॉलेज, मेरठ कॉलेज मेरठ, आरजी कॉलेज, डीएन डिग्री कॉलेज, इस्माईल कॉलेज और मवाना का एक कॉलेज हैं। इन कॉलेजों के प्रिंसिपल्स को मूलपद दे दिया गया है। इन कॉलेजों के सभी प्रिंसिपल्स एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर ही थे। कौन कहां थे आरजी कॉलेज की प्रिंसिपल पहले आरजी में ही एसोसिएट प्रो। थी। मेरठ कॉलेज के प्रिंसिपल पहले हापुड़ में किसी कॉलेज में एसोसिएट प्रो। थे। एनएएस के प्रिंसिपल पहले मेरठ कॉलेज में एसोसिएट प्रो। थे। इस्माईल कॉलेज की प्रिंसिपल पहले बुलंदशहर में किसी कॉलेज में एसोसिएट प्रो। थी। डीएन कॉलेज के प्रिंसिपल पहले लखवती में एसोसिएट प्रो। थे। मेरिट में नहीं था नामसूत्रों की माने तो ऐसा बताया जा रहा है कि इन प्रिंसिपल्स की नियुक्ति शासन स्तर से ही सांठ गांठ कर की गई थी। जिसके लिए मोटी रकम भी वसूली गई थी। सूत्र तो ये भी बताते हैं कि इन प्रिंसिपल्स का मेरिट में नाम नहीं आया था। लेकिन इसके बावजूद भी मेरिट से हटकर इनकी नियुक्ति हुई थी। लेकिन कुछ प्रिंसिपल इस बात से इनकार भी कर रहे हैं।
क्या कहते हैं प्रिंसिपल मेरा तो मेरिट की थर्ड सीरीज में ही नाम आया था। लेकिन मेरी नियुक्ति भी अवैध घोषित कर दी गई है। सही हो या गलत सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसे मानना तो होगा। डॉ। इंदु शर्मा,पूर्व प्रिंसिपल, इस्माईल पीजी कॉलेज सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कुछ बोला नहीं जा सकता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इंकार नहीं किया जा सकता है। डॉ। त्रिवनी दत्त, पूर्व प्रिंसिपल, डीएन डिग्री कॉलेज इन्होनें नहीं की बात शाम को सवा छह बजे प्रिंसिपल के नम्बर पर फोन मिलाया गया .लेकिन फोन नहीं उठा। डॉ। एनपी सिंह, पूर्व प्रिंसिपल मेरठ कॉलेज मेरठ शाम को साढ़े छह बजे प्रिंसिपल का फोन कई बार ट्राई किया। लेकिन फोन स्विच ऑफ जाता रहा। डॉ। सीमा जैन, पूर्व प्रिंसिपल, आरजी कॉलेज सात बजे कई बार फोन मिलाने के बाद भी फोन नहीं उठा। प्रिंसिपल से बात नहीं हुई। डॉ। वीके गौतम, पूर्व प्रिंसिपल, एनएएस कॉलेज