स्काडा दूर करेगा पावर सप्लाई की बाधा
-जिले के सभी वितरण उपकेन्द्र, फीडर, ट्रांसफार्मर व पोल होंगे आरएमयू से लैस
-स्काडा लगने से फीडर नहीं होगा ट्रिपइन दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी बिजली कटौती से त्रस्त है। कभी लोकल फाल्ट तो कभी ट्रिपिंग के बहाने घंटों-घंटों सप्लाई नहीं होती है। जबकि प्रदेश सरकार ने यहां 24 सप्लाई का आदेश दे रखा है। हालांकि बिजली कटौती की प्रॉब्लम खत्म अब ज्याद दिन नहीं रह पाएगी क्योंकि स्मार्ट सिटी बनारस की बिजली भी स्मार्ट और हाई टेक हो रही है। पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम ने एक बार फिर स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्वेजीशन) सिस्टम लगाने की कवायद शुरू की है। विदेशों की तरह बनारस में भी पावर सप्लाई की निगरानी स्काडा करेगा। यह सिस्टम शहर के सभी फीडर्स को कंट्रोल करेगा। करीब 80 करोड़ के इस प्रोजेक्ट की फाइल को मंडलायुक्त ने भी आगे बढ़ा दिया है। अब इंतजार इसके स्वीकृति मिलने की है।
पल भर में देगा सप्लाईपावर कॉरपोरेशन ने पूर्वाचल-डिस्काम को स्काडा लगाने के लिए अनुमति पिछले साल ही दे दी थी। लेकिन कुछ कारणों से काम शुरू नहीं हो सका था। अब फिर से स्काडा प्रोजेक्ट को मूर्त रूप दिया ज रहा है। इसके लगने से अगर किसी फीडर से फॉल्ट या बिजली कटौती की समस्या आती है तो स्पेशल डिवाइस स्काडा उसे ऑटोमैटिक तरीके से दूसरे फीडर से जोड़कर बिजली आपूर्ति शुरू कर देगा। इससे उपभोक्ताओं को पावर कट की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाएगी।
मामूली फॉल्ट में घंटो करना पड़ता है शहर में मामूली फॉल्ट होने पर भी उसे लोकेट करने में कई बार घंटो लग जाते हैं। इसके चलते सप्लाई बंद रहती है। वर्तमान में फाल्ट आने पर सब स्टेशन या फीडर बंद हो जाता है। क्योंकि ट्रिपिंग सिस्टम उपकेन्द्र या फीडर पर लगा होता है। इस समस्या को खत्म करने के लिए विभाग ने वायरलेस सिस्टम के जरिए फाल्ट पकड़ने की वकालत शुरू की है। 2011 में भी बनी थी रणनीति स्काडा सिस्टम को लगाने की प्लानिंग 2011 में भी हुई थी, लेकिन बजट की वजह से प्लान अटक गया। पीवीवीएनएल के पूर्व एमडी अतुल निगम काफी पहले से प्रयासरत थे। साल 2018 में पावर कॉर्पोरेशन ने 76.3 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के लिए हरी झंडी दे दी। लेकिन फिर भी काम शुरू नहंी हो सका। बंद कमरे में होगी मॉनीटरिंगस्काडा के बंद कमरे में लगे कम्प्यूटर स्क्रीन पर बिजली व्यवस्था पर नजर रखी जाएगी। यहां बनारस के किसी एरिया में फॉल्ट आने पर उसकी जानकारी तुरंत कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखने लगेगी। स्क्रीन पर आए इंफार्मेशन पर यह भी दिखेगा कि किस कोड नंबर के आरएमयू वाले क्षेत्र में फाल्ट है। इस दौरान वहां तैनात कंट्रोल अफिसर एरिया से संबंधित अभियंता को इसकी सूचना देगा और जब तक फाल्ट दूर नहीं हो जाएगी तब तक मानीटरिंग करता रहेगा।
ये होगा फायदा -स्काडा के तहत ऐसा सर्किट बनाया जाएगा जो पावर कट की समस्या को फौरन दुरुस्त कर दे। -इस डिवाइस से किसी भी फीडर के अंतर्गत कोई फॉल्ट आने पर वह पड़ोस के फीडर या उपकेंद्र से आटोमेटिक तरीके से जुड़ जाएगा। -प्रभावित एरिया में बिजली की सप्लाई शुरू हो जाएगी। एक नजर स्काडा पर -ऑनलाइन कंट्रोलिंग के लिए चिन्हित स्थानों पर टॉवर लगाए जाएंगे - इसके लिए अलग-अलग सर्वर, कम्यूनिकेशन, यूपीएस आदि रूम बनाए जाएंगे -1800 स्थानों पर आरएमयू लगाए जाएंगे सभी का अलग-अलग कोड नंबर होगा -250 से ज्यादा फीडर है शहर में -80 करोड़ का है प्रोजेक्ट -----निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए स्काडा सिस्टम लगाने को लेकर की जा रही है। कॉर्पोरेशन बजट रीलिज होने के बाद काम शुरू हो जाएगा है। यह शहर में नो-ट्रिपिंग को कंट्रोल करने में हेल्प करेगा।
आशीष अस्थाना, एसई, पीवीवीएनएल