केंद्र और राज्य सरकार की अदावत में पिस रही देहरादून सिटी।

DEHRADUN: वाकई, इस बार की निराशा गहरी है। दो बार चूकने के बाद इस बार बहुत पक्की उम्मीद थी कि देहरादून का नाम स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शामिल होगा। मगर केंद्र और राज्य सरकार की अदावत ने आम दूनवासी की उम्मीद को चकनाचूर कर दिया है। तीसरी लिस्ट में ख्7 दूसरे शहरों के नाम तो आए, लेकिन दून रह गया। क्या दून का गुनाह सिर्फ इतना है कि यहां पर कांग्रेस की सरकार काम कर रही है। या फिर राज्य सरकार और उनकी एजेंसियों की एक्सरसाइज में ही हर बार कहीं कमी रह जा रही है। तीसरी बार की नाकामी के बाद ये सवाल कहीं ज्यादा प्रमुखता से उठ रहे हैं। कुल मिलाकर दून स्मार्ट सिटी का मामला सियासी चंगुल में बुरी तरह फंस गया है। अफसोसजनक बयान केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू का है, जिसमें देहरादून का नाम न होने के लिए उसके आपदाग्रस्त होने की बात को हास्यास्पद ढंग से रखा जा रहा है।

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-हमने अपनी पूरी तैयारी करके प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, लेकिन केंद्र सरकार हमें आपदाग्रस्त मान रही है। केंद्र सरकार और बीजेपी नेता ही बता सकते हैं कि क्यों देहरादून का स्मार्ट सिटी के लिए चयन नहीं किया जा रहा है।

-हरीश रावत, सीएम, उत्तराखंड।

-हमारी तैयारी में कोई कमी नहीं थी, लेकिन यदि केंद्र सरकार मन बनाकर बैठी है कि दून को स्मार्ट सिटी नहीं बनाना, तो क्या किया जा सकता है। हम फिर भी केंद्र से आग्रह करना चाहते हैं कि वे हमारे प्रस्ताव को स्वीकार करे।

-प्रीतम सिंह पंवार, शहरी विकास मंत्री।

-ये केंद्र सरकार की कांग्रेस शासित राज्यों के प्रति पक्षपातपूर्ण नीति का ताजा उदाहरण है। हम पहले भी कई बार इस पक्षपात को झेल चुके हैं। कम से कम विकास के मसले पर पक्षपात नहीं किया जाना चाहिए। जनता सारी स्थिति समझ रही है।

-गरिमा दसौनी, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस।

-मेरी नजर में ये राज्य सरकार और उसकी संबंधित एजेंसियों की नाकामी है। उत्तर भारत के लगभग हर राज्य को स्मार्ट सिटी मिल चुकी है। दून का दावा हर बार औंधे मुंह गिर रहा है, तो इसकी गहन समीक्षा होनी चाहिए।

-अनूप नौटियाल, संस्थापक हम।

-ये सीधे-सीधे राज्य सरकार की नाकामी का नमूना है। राज्य के पक्ष को बार-बार बेहद कमजोर ढंग से रखा जा रहा है। वैंकेया नायडू के बयान की बात की जा रही है। केंद्र को यदि गलतफहमी हुई भी है, तो इसे दूर करने का काम तो राज्य सरकार को ही करना चाहिए था।

-विनय गोयल, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी।

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-देहरादून का नाम स्मार्ट सिटी की लिस्ट से फिर गायब होने पर मुझे काफी निराशा हुई है। शायद राज्य सरकार ठोस तरीके से उत्तराखंड का पक्ष नहीं रख पाई है।

-राजेंद्र सिंह, प्रेमनगर।

-यहां स्मार्ट सिटी तभी बन सकती है, जब हमारे सियासी लोग आपसी खींचतान छोड़कर एकजुटता दिखाएं। बहुत दुख हुआ कि दून का नाम लिस्ट में इस बार भी नहीं दिखा।

-मंजू मेहरा, टैगोर विला।

-केंद्र और राज्य में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की सरकारें है, तो पक्षपात तो होना ही था। दून को पूरी तैयारी के साथ स्मार्ट सिटी के लिए अपनी दावेदारी फिर से रखनी चाहिए।

-मून राव, कारगी।

-हम सभी को सरकार से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उसने हमें बहुत निराश किया है। मोदी सरकार को उत्तराखंड से कम से कम एक शहर का चयन तो जरूर करना चाहिए।

-नीलम शर्मा, पटेलनगर

-मुझे लगता है कि राज्य सरकार को नगर निगम व एमडीडीए के साथ मिलकर एक नया प्लान तैयार करना चाहिए। शायद आपसी मतभेद के कारण हम पीछे रह गए।

-नरेश कुमार, कांवली रोड।

-दो बार लिस्ट से बाहर हो जाने के बावजूद जिम्मेदार लोगों ने होश नहीं संभाला है। स्मार्ट सिटी के नोडल अधिकारी को पूरे मामले की गहन समीक्षा करनी चाहिए।

-गणेश प्रसाद सेमवाल, डोभालवाला

Posted By: Inextlive