- आर्मी हेडक्वार्टर ने मांगी ए-1 लैंड की जानकारी

- सिटी से सटे इलाकों में इस्तेमाल की जा सकती है तकनीक

Meerut : मेरठ समेत कई प्रमुख सैन्य क्षेत्रों की सुरक्षा को स्मार्ट लेजर फेंसिंग की जाएगी। आर्मी हेडक्वार्टर ने सभी सैन्य क्षेत्रों से उनके रकबे की जानकारी मांगी है। लेजर फेंसिंग की सुरक्षा के बाद कोई भी सैन्य क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इसके पास आने या छूने पर तेज आवाज में सायरन बजेंगे। इससे सतर्क रहने वाले जवान तुरंत संदिग्ध को दबोच लेंगे। इससे पहले भारत-पाक सीमा पर लेजर फेंसिंग कराने का फैसला लिया गया था।

'स्मार्ट लेजर फेंसिंग' से होगी सुरक्षा

भले ही सिटी से सटे आर्मी की ए-क् लैंड की बाड़बंदी, गेट, वॉल बनाकर सुरक्षित कर दिया गया हो, लेकिन अभी भी कई ऐसे इलाके सुरक्षित नहीं है। वहां पर कभी भी कोई जा सकता है। इसे रोकने के लिए अब आर्मी हेडक्वार्टर ने ही लैंड को सुरक्षित रखने के लिए कुछ अहम फैसले लिए हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो मेरठ समेत कुछ कैंट इलाकों से उनकी ए-क् लैंड की जानकारी मांगी गई है। जहां पर इलेक्ट्रोनिक लेजर फेंसिंग कर सुरक्षित किया जा सके।

आखिर ऐसा क्यों?

सूत्रों की मानें तो मेरठ में कई बार आतंकवादी पकड़े जा चुके हैं। जिनमें से कुछ एक तो कैंट एरिया में ही पकड़े गए। साथ कुछ दिन पहले कैंट इलाकों से मिले नशे के कारोबार अब नोएडा में आतंकवादी पकड़े जाने से आर्मी अपने इलाके को लेकर और भी चिंतित हो गया। ऐसे में आर्मी अपने इलाकों को सुरक्षित करने के मकसद से रिपोर्ट मांग रहा है। साथ ही मेरठ कैंट में ख्ख् डिव का हेडक्वार्टर पूरी तरह से बनकर कुछ ही दिनों में तैयार हो जाएगा। तो आम लोगों की आवाजाही से सुरक्षा व्यवस्था लाजिमी है।

मेरठ में लेजर फेंसिंग क्यों?

मेरठ कैंट देश का सबसे बड़े कैंट होने के साथ सैन्य तौर पर काफी इंपोर्टैट भी है। देश की राजधानी दिल्ली के सबसे नजदीक होने के अलावा यहां क्षेत्रफल के हिसाब से कम नहीं है। मेरठ कैंट में प्योर आर्मी की लैंड करीब 7ख्90.भ्ख् एकड़ है। आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट के बाद ए-क् लैंड का नया लेखा जोखा सामने आया है। वहीं मेरठ कैंट जिले के बीचोबीच है। सिटी के चारों ओर से घिरा हुआ भी है। ऐसे में आम जनता कैंन्टोनमेंट की कई ऐसी सड़कों से होकर गुजरती है जहां ए-क् लैंड सामने हैं।

क्या होती है 'स्मार्ट लेजर फेंसिंग'?

स्मार्ट फेंसिंग सिस्टम किसी तरह की घुसपैठ की आशंका होने पर यह तुरंत उसकी पहचान कर लेगा और अनाधिकृत घुसपैठ की दशा में दृश्यमान एलर्ट जारी करेगा। इसमें मुख्य रूप से चार उपकरण लगाए जाते हैं- सेंसर, अलार्म प्रोसेसर (फील्ड यूनिट/सेक्टर कंट्रोलर), कंट्रोल रूम/ एलार्म मॉनिटरिंग स्टेशन और इन्हें आपस में जोड़ने वाला कम्युनिकेशन बैकबोन। विभिन्न जोनों में अलग-अलग प्रकार के आवाज करने वाले अलार्म लगाए जाते हैं। इससे किसी प्रकार के खतरे की दशा में अलार्म बजने पर यह जाना जा सकता है कि किस खास इलाके में खतरा है। यह पूरा सिस्टम माइक्रोकंट्रोलर पर आधारित है और सॉफ्टवेयर से संचालित है। साथ ही इसमें फिजिकल पेट्रोलिंग की जरूरत नहीं पड़ती और सभी सूचनाएं कंट्रोल रूम में बैठे हुए ही हासिल की जा सकती हैं।

Posted By: Inextlive