- ठंडे बस्ते में चली गई स्मार्ट रोड बनाने की योजना--6.6 किमी है बूटी मोड़

- ठंडे बस्ते में चली गई स्मार्ट रोड बनाने की योजना

--6.6 किमी है बूटी मोड़ से करमटोली चौक तक सड़क की लंबाई

--08 बड़े गढ्डे हो चुके हैं जानलेवा, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

--02 साल में भी नहीं भर सके सिटी की सड़कों के गढ्डे

--01 फीट तक के गढ्डे हैं सड़क पर, बारिश में बढ़ेगी परेशानी

रांची को स्मार्ट सिटी के लिए चुना गया है। इसी को देखते हुए रांची की चार सड़कों को स्मार्ट बनाने की योजना बनाई गई थी, जिसमें राजभवन से लेकर बूटी मोड़ जाने वाली सड़क भी शामिल थी। इसकी चौड़ाई बढ़ाने के अलावा रोड को स्मार्ट बनाना था। वहीं रोड किनारे के एरिया को भी डेवलप करना था, लेकिन दो सालों में न तो रोड स्मार्ट बना और न ही गढ्डे भरे गए। अब तो स्मार्ट रोड बनाने की योजना पर ही ब्रेक लग गया है। इस वजह से छोटे-मोटे गढ्डे अब भयावह रूप ले चुके हैं। वहीं इसकी वजह से एक्सीडेंट भी हो रहे हैं। इसके बावजूद इन गढ्डों को भरने पर किसी का ध्यान नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या किसी बड़े हादसे के बाद ही अधिकारियों की नींद खुलेगी?

बचकर निकले तो जंग जीते

बूटी मोड़ से करमटोली चौक तक रोड की लंबाई 6.6 किलोमीटर है। लेकिन इस साढ़े छह किलोमीटर की सड़क में 8 बड़े गढ्डे हैं, जिससे बचकर निकल गए तो आप जंग जीत गए। लेकिन अंधेरे में ये गढ्डे साइलेंट किलर के रूप में मौजूद हैं। वहीं अब मॉनसून के समय तो बारिश में ये गढ्डे नजर भी नहीं आएंगे, जिससे कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसके अलावा न जाने कितने अनगिनत छोटे-छोटे गढ्डे भी इस सड़क पर भरे हैं।

स्थान: बूटी मोड़

एक्सीडेंट से बचाने के लिए लगा दिया बैरियर

बाहर से आने वालों के लिए बूटी मोड़ सिटी का एंट्री प्वाइंट है, जहां से हर दिन हजारों लोग गुजरते हैं। वहीं मंत्री और अधिकारी भी यहां से आना-जाना करते हैं। फिर भी महीनों से ये गढ्डा किसी को नजर नहीं आया। अब यह गढ्डा काफी बड़ा हो चुका है। ऐसे में कुछ लोगों ने रांची पुलिस के बैरियर को वहां लगा दिया है, जिससे कि लोगों को पता चल जाए कि यहां पर खतरा है।

स्थान: डॉ केके सिन्हा

गढ्डों से बिगड़ रहा गाडि़यों का बैलेंस

हर दिन इस रास्ते से गाडि़यां गुजरती हैं। वहीं रिम्स इस रास्ते में होने के कारण मरीजों को भी लेकर एंबुलेंस और अन्य गाडि़यां पहुंचती हैं। लेकिन यहां पर बीच रोड में ही एक-एक फीट के गढ्डे हैं। बारिश के वक्त तो ये गढ्डे दिखाई भी नहीं देते और गाडि़यां अनबैलेंस हो जाती है, जिससे कि बड़ा हादसा हो सकता है। वहीं झटके खाने से पहले से बीमार मरीज की परेशानी और बढ़ जा रही है।

स्थान: डीएवी, बरियातू

नजर चूकी तो हो जाएगा एक्सीडेंट

रोड में छोटा सा गढ्डा था, लेकिन बारिश और गाडि़यों के लोड के कारण यह गढ्डा काफी बड़ा हो गया है। इस ओर न तो विभाग ने ध्यान दिया औन न किसी अधिकारी को इससे मतलब है। अब आसपास के लोगों ने तत्काल राहत के लिए इसमें मिट्टी और पत्थर के कुछ टुकड़े तो डाल दिए। पर बारिश से दोबारा यह गढ्डा दिखने लगा है। जरा सी नजर चूकी तो नुकसान हो सकता है।

स्थान: बरियातू ग्राउंड

दस फीट के रेडियस में गढ्डा

आसपास में बड़ी आबादी रहती है। वहीं मेन रोड होने के कारण सुबह से रात तक गाडि़यां भी आती हैं। अब इस जगह पर 10 फीट के रेडियस में अलग-अलग गढ्डे हो गए हैं, जहां एक गढ्डे से बचाने के चक्कर में गाडि़यां दूसरे गढ्डे में चली जाती हैं। ऐसे में इस जगह कभी भी बचने बचाने के चक्कर में बड़ा एक्सीडेंट हो जाएगा।

स्थान: बड़गाई चौक

बचने में न मोल लें खतरा

यहां पर आसपास के इलाके में बड़े-बड़े अपार्टमेंट हैं। वहीं हाउसिंग के लोग भी इसी रोड से आना-जाना करते हैं, लेकिन इस जगह पर रोड की एक लेयर उखड़ चुकी है, जिससे ये गढ्डों में तब्दील हो रहे हैं। इस कारण टू व्हीलर वालों को काफी परेशानी हो रही है। अचानक से गढ्डा दिखने पर लोग बचने की कोशिश में ब्रेक लगा देते हैं, जिससे हमेशा खतरा मंडराता रहता है।

पब्लिक भुगत रही परेशानी

सरकार कोई भी हो उसे विकास का काम तो करना चाहिए। जब रोड के लिए जगह है तो उसपर प्लान करके काम करें। इतने सालों में ये गढ्डे नहीं भरे जा सके हैं तो सरकार और विभाग क्या करेंगे। उनकी गलतियों का खामियाजा तो आम पब्लिक को भुगतना पड़ता है।

देवराज सिंह

सिर्फ योजनाएं ही बनती हैं

आजतक कभी भी यह सड़क दुरुस्त नहीं हो पाई। यहां स्मार्ट रोड बनाने की बात की जाती है, योजनाएं बनती हैं, लेकिन जमीं पर कुछ नजर नहीं आता। हमलोग टैक्स भरने के बाद भी परेशानी झेलते हैं। इन गढ्डों की वजह से तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

विनोद चौधरी

Posted By: Inextlive