- अस्थमा रोगी सुबह और शाम घर से बाहर निकलने से बचें, अटैक के चार मरीज भर्ती

- बच्चों के लिए खतरा, खांसते खांसते लोग परेशान और गला हो रहा खराब

आगरा। स्मॉग (धुंध) से 'हेल्थ इमरजेंसी' जैसे हालात हो गए हैं। अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीजों से सुबह और शाम को घर से बाहर निकलने से मना किया जा रहा है। सांस संबंधी बीमारी से पीडि़त बच्चे और बुजुर्गो को सबसे ज्यादा खतरा है।

दीपावली के बाद से वातावरण में जहरीली गैस और अति सूक्ष्म कण पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का स्तर लगातार बढ़ रहा है। पीएम 2.5 रविवार शाम को अधिकतम 368 तक पहुंच गए थे। ये सूक्ष्म कण सांस लेने पर फेफड़ों तक पहुंच रहे हैं। इससे सांस की नलिकाओं में सूजन हो रही है। ऐसे में अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों की सांस की नलिकाओं में सूक्ष्म कण के पहुंचने से सूजन बढ़ रही है। इससे सांस उखड़ने के बाद अटैक पड़ रहा है। एसएन में अस्थमा अटैक पड़ने पर दोपहर में एक मरीज को भर्ती किया गया, उसे ऑक्सीजन पर रखा गया है। शाम को अटैक के तीन और मरीज भर्ती किए गए।

सभी निजी क्लीनिक पर सांस संबंधी बीमारी से पीडि़त मरीजों की लाइन लगी रही। इसमें बच्चों के साथ बुजुर्गो की संख्या ज्यादा है। बच्चों को खांसी और गले में दर्द हो रहा है। चेस्ट स्पेशलिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञों द्वारा अस्थमा और सांस संबंधी बीमारी से पीडि़त मरीजों से सुबह और शाम घर से बाहर निकलने से मना किया जा रहा है। हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात बताते हुए हाई रिस्क मरीजों को मास्क लगाने का सुझाव दिया जा रहा है।

सुबह खांसते-खांसते परेशान रहे लोग

रविवार सुबह धुंध में लोग खांसते- खांसते परेशान हो गए। एक बार खांसी शुरू हुई तो 10 से 15 मिनट तक नहीं रुकी। इससे गले में दर्द होने लगा।

आंखों में हो रही जलन

धुंध से आम लोगों की आंख और नाक में जलन और गले में दर्द हो रहा है। सुबह और शाम को घर से बाहर निकलने पर सांस लेने में भी समस्या होने लगी है।

Posted By: Inextlive