- पुलिस, एसएसबी व कस्टम की मिलीभगत से नेपाल वाया गोरखपुर कनाडा के मटर की तस्करी

- साहबगंज मंडी में खप रही तस्करी की मटर

GORAKHPUR: भारत-नेपाल की खुली सीमा यूं तो हमेशा तस्करी को लेकर सुर्खियों में बनी रहती है, लेकिन इन दिनों इंडो-नेपाल बॉर्डर सफेद मटर के काले कारोबार को लेकर काफी सुर्खियां बटोर रहा है। पुलिस, एसएसबी व कस्टम की मिलीभगत से नेपाल वाया गोरखपुर कनाडा के मटर की तस्करी कर तस्कर खूब मालामाल हो रहे हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि बॉर्डर पर तस्करी की मटर पकड़ी नहीं गई है, लेकिन पुलिस व एसएसबी छिटपुट तस्करों को महज कुछ बोरी मटर के साथ अरेस्ट कर अपनी पीठ तो थपथपा ले रहे हैं और कस्टम इन तस्करों को बकायदा लाइन यानि शह देने का काम कर रही है। यही वजह है कि तस्करी के इस काले कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि बार्डर पर लगातार हो रही कैनेडियन मटर की रोजाना बरामदगी खुद इस बात की गवाही दे रही है।

रोजाना आती है खेप

अगर नेपाल के रास्ते भारत में होने वाली तस्करी की बात की जाए तो रोजाना सैकड़ों क्विंटल मटर सरहद पार कर रही है जिस पर अंकुश लगा पाने में पुलिस व एसएसबी पूरी तरह से फेल हैं। सख्ती के तमाम दावों के बावजूद नेपाली शराब, काली मिर्च और सुपाड़ी के बाद इन दिनों सफेद मटर का काला कारोबार सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर चल रहा है।

सतर्कता पर बड़ा सवाल

वहीं, अगर सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी पर नजर डालें तो इनके 24 घंटे सीमा पर चौकस रहने के बावजूद ठुठीबारी, लक्ष्मीपुर व झुलनीपुर के रास्ते हर दिन सैकड़ों क्विंटल मटर की खेप भारतीय सीमा में पहुंचाई जा रही है जो इनकी सतर्कता पर बड़ा सवाल है। हालांकि समय-समय पर हो रही बरामदगी इस बात की तस्दीक दे रही है कि इन खुली सीमाओं से खुलेआम विदेशी मटरों की खेप भारतीय क्षेत्रों में पहुंचाई जा रही है।

प्रतिदिन लाखों राजस्व का लग रही चपत

इस कारोबार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि प्रतिदिन सरकार के राजस्व को लाखों की चपत लगाकर आसपास के बाजारों से लेकर गोरखपुर के थोक बाजारों तक विदेशी मटर पहुंचाई जा रही है। जहां इसकी रोजाना अच्छी खासी डिमांड है। वहीं सरहद पार कर बाजार में आने के बाद इसे बरामद कर पाना तो दूर इसकी पहचान भी कर पाना कस्टम व पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

गड़ौरा है इस काले कारोबार का हब

सूत्र बताते हैं कि महराजगंज जिले का गड़ौरा तस्करी के इस पूरे कारोबार का हब बना हुआ है। अकेले गड़ौरा में मटर के पांच बड़े गोदाम हैं जहां हजारों बोरी मटर स्टोर की गई है और यहीं से फिर गोरखपुर व आसपास के जिलों में इसकी छोटी-छोटीखेप की रोजाना सप्लाई की जा रही है।

बिहार तक हो रही सप्लाई

मटर तस्करी से जुड़े एक पिकअप चालक ने बताया कि डेली गोरखपुर के दो चक्कर लगाता है। वहीं, इस मटर की सप्लाई के लिए करीब 40 पिकअप लगाए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसे तो तस्करी के इस मटर की सबसे अधिक डिमांड गोरखपुर की मंडी में है। जिसे यहां के व्यापारी मुंहमांगी कीमत पर खरीदने को तैयार हैं और फिर यहीं से लगभग सभी प्रमुख बाजारों सिसवां, घुघली, परतावल, मिठौरा आदि में इन दिनों विदेशी मटर की बिक्री हो रही है। इसके अलवा कप्तानगंज, पडरौना व खड्डा से लेकर बिहार तक मटर की बड़ी खेप पहुंच रही है।

राजाबारी के रास्ते होती है तस्करी

वहीं, सूत्रों के मुताबिक मटर के इस काले कारोबार का खेल बीते करीब एक साल से चल रहा है। भारतीय बाजार के मटर की तुलना में काफी अधिक मुनाफा होने की वजह से बाजार में इन दिनों तस्करी के मटर की डिमांड काफी बढ़ गई है। ऐसे में इसका फायदा उठाते हुए तस्कर भी पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं और नेपाल के रास्ते रोजाना मटर खपाई जा रही है। वहीं सूत्र बताते हैं कि नेपाल से बॉर्डर पार कर भारत में इस मटर की खेप को लाने के लिए महराजगंज के राजाबारी को तस्करों ने अपना सबसे महफूज रास्ता चुना है। ऐसे में इस रास्ते कस्टम की मदद से रोजाना विदेशी मटर के खेप की सप्लाई हो रही है।

कब-कब पकड़ी गई मटर की खेप

6 जुलाई को निचलौल के झुलनीपुर में 19 क्विंटल विदेशी मटर बरामद

28 जून को महराजगंज, बरगदवां व शितलापुर में 17.5 क्विंटल विदेशी मटर बरामद

24 जून को कोल्हुई में पुलिस ने 2 क्विंटल के साथ एक तस्कर को पकड़ा

11 जून को नौतनवां में 174 बोरी व ठुठीबारी में 22 बोरी विदेशी मटर बरामद

8 जून को निचलौल के झुलनीपुर में 30 बोरी विदेशी मटर बरामद

4 जून को हरदीडाली के खैराघाट में 4 क्विंटल विदेशी मटर बरामद

2 जून को ठुठीबारी में 75 बोरी विदेशी मटर बरामद

2 जून को ठुठीबारी में 36 बोरी विदेशी मटर बरामद

नोट: इन सभी बरामदगी को बॉर्डर पर तैनात एसएसबी व पुलिस की संयुक्त टीम ने किया है। इनमें कोई भी बरामदगी कस्टम की ओर से नहीं की गई है।

बॉक्स

1250 रुपए प्रति क्विंटल मुनाफा, 2500 रुपए प्रति गाड़ी लाइन का खर्चा

अगर बात करें मुनाफे और तस्करी कर खेप पहुंचाए जाने के सेटिंग की तो सूत्र बताते हैं कि प्रतिदिन तस्करी के जरिए नेपाल से भारत पहुंच रही कनाडियन मटर की बड़ी खेप से तस्करों की इन दिनों चांदी कट रही है। नेपाल में करीब 3320 रुपए क्विंटल का मटर सरहद लांघते हैं। 4500 रुपए क्विंटल हो जाता है। वहीं, किराना कारोबार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बॉर्डर पार कर इस मटर को मंडी तक पहुंचाने के लिए बकायदा कस्टम से लाइन बनानी पड़ती है ताकि तस्करी की खेप पकड़ी न जाए। इसके लिए 2500 रुपए प्रति गाड़ी लाइन का खर्चा तस्करों को अदा करना पड़ रहा है। इसके बाद इनकी गाडि़यों की चेकिंग नहीं होती।

साहबगंज मंडी में खप रही तस्करी की मटर

सूत्र बताते हैं कि नेपाल से भारत को होने वाली तस्करी में नेपाली शराब के बाद कनाडियन मटर दूसरी सबसे ज्यादा डिमांड वाली खाद्य सामग्री बनी हुई है। जिसकी तस्करी इन दिनों जोरो पर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच दिनों में बॉर्डर के विभिन्न नाकों पर करीब 450 बोरी मटर की बरामदगी हुई है। इतनी बरामदगी के बाद भी रोजाना सैंकड़ों क्विंटल मटर जिले के विभिन्न रास्तो से गोरखपुर की सबसे बड़ी किराना मंडी साहबगंज तक पहुंच रही है। वहीं, इस तस्करी मे गड़ौरा का चर्चित शराब तस्कर भी शामिल है। इसी के जरिए गोदामों में मटर स्टोर किया जा रहा है।

वर्जन

भारत-नेपाल बॉर्डर पर हमारे जवान लगातार सतर्कता बरत रहे हैं। यही वजह है कि तस्करी कर सरहद पार होने वाली विदेशी मटर की एसएसबी लगातार बरामदगी कर रही है। जहां तक इस करोबार पर अंकुश लगाने की बात है तो इसके लिए कस्टम विभाग की जिम्मेदारी होती है। क्योंकि एसएसबी के अधिकार अपनी तय सीमा तक ही सीमित हैं।

रंजित सिंह, डीआईजी एसएसबी

इंडो-नेपाल बॉर्डर पर एसएसबी के अलावा बॉर्डर इलाकों की पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है। समय-समय पर ऐसे तस्करी की खेपों की बरामदगी भी हो रही है। जरूरी होगा कि अन्य जिम्मेदार विभाग भी इस पर अंकुश लगाने में पहल करें तो तस्करी के करोबार पर अंकुश लगाने में पुलिस को काफी मदद मिलेगी।

दावा शेरपा, एडीजी गोरखपुर जोन

Posted By: Inextlive