सांपों का संसार का अब करें दीदार
-वन मंत्री ने किया दून जू ने स्नैक हाउस का इनॉग्रेशन,
-4 वेनोमस, 7 नॉन वेनोमस स्पेसीज हैं जू के स्नेक हाउस में मौजूददेहरादून, दून जू में अब पहुंचे वाले टूरिस्ट सांपों के संसार का दीदार कर पाएंगे। मोस्ट अवेटेड इस स्नैक हाउस का वन मंत्री डा। हरक सिंह रावत ने थर्सडे को इनॉग्रेशन किया। इस दौरान वन मंत्री ने कहा कि दून जू में गत दो-तीन वर्षो के दौरान कई बदलाव देखने को मिले हैं। इसे कई मामलों में दुनियाभर के टॉप-10 दून जू की पब्लिसिटी मिली है। उन्होंने कहा कि भविष्य में वाइल्ड लाइफ प्रेमियों व बच्चों को जू में काफी कुछ देखने को मिलेगा। वन मंत्री ने कहा कि वाइल्ड लाइफ कैसे संरक्षित रहे। दून जू में इसकी कोशिश की गई। इस दौरान मेयर विनोद चमोली, विधायक मसूरी गणेश जोशी, भाजपा मंडल अध्यक्ष राजीव गुरुंग, डीएफओ दून राजीव धीमान, डीएफओ मसूरी आदि अधिकारी मौजूद रहे।
------ स्नैक्स की ये स्पेसीज -बर्मी अजगर। -रसेल। -किंग कोबरा। -भारतीय नाग। -कॉमन सेंड बोआ। -रेटिकुलेट पायथन। -रॉक पायथन। -वॉल पायथन। -वाइन पायथन। -धामन। इगुआना। ------- बर्मी अजगर साइंटिफिक नेम-पायथन बिविटेटस -गैर विषैला। -दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। मांसाहारी, बर्ड्स व स्तनधारी एनिमल्स आहार। -रसेल। -साइंटिफिक नेम-दाबोईयां रसेली।-भारतीय उप महाद्वीप व एशिया में पाया जाता है।
-घास व झाड़ी वाले क्षेत्रों, झाडि़यों व खेतों में पाया जाता है। इसका भोजन चूहे, छछूंदर, गिलहरी, छिपकली, केकड़े व बिच्छू। सबसे ज्यादा जहरीला। -किंग कोबरा। -ओफियोफागस हनाह। -सबसे ज्यादा विषैला। जिसके जहर में साइटोटॉक्सिन व न्यूरोटॉक्सिन होते हैं। एक बार में 420 मिग्रा तक जहर उगल सकता है। ये दक्षिण व दक्षिण पूर्व के अलावा भारत में तराई के दो हजार से 6600 फिट ऊंचाई तक पाया जाता है। इसका भोजन सांप, छिपकली व चूहे होते हैं। -भारतीय नाग। -साइंटिफिक नाम-नाजा नाजा। किंग कोबरा के जैसा ही यह विषैला होता है। -कॉमन सेंड बोआ। -साइंटिफिक नाम-एरिक्स कानिक्स। -इसको मिट्टी वाला सांप भी कहते हैं। कृषि भूमि, बगीचों व रेतीली मिट्टी पर पूर्वोत्तर राज्यों व भारतीय द्वीपों को छोड़कर भारत के हिस्सों में पाया जाता है। इसका भोजन मुख्यरूप से छोटे स्तनधारी अन्य सांप, छोटे पक्षी, जेकॉस प्रमुख है। -रेटिकुलेट पायथन। -साइंटिफिक नाम गैर विषैला। -निकोबार आइसलैंड, भारत, थाईलैंड, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया में पाया जाता है। सुस्त चाल, लेकिन तैराक के साथ ये मांसाहरी व पक्षियों का भोजन ज्यादा करता है। रॉक पायथन -साइंटिफिक नाम-पायथन मोलूरस।-ये घास, दलदल, चटटानी तलहटी में पाया जाता है। गैर विषैला होने के कारण ये ये मांसाहरी और पक्षियों व सरीसृपों का भोजन करता है।
बाल पायथन पायथन रेजीयस। ये गैर विषैला होने के कारण अफ्रीका में मिलता है। इसका भोजन ज्यादातर छोटे स्तनधारी जीव होते हैं। वाइन स्नैक साइटिफिक नाम-आहेटुला नासुटा। ये भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, वर्मा, कंबोडिया, थाईलैंड आदि देशों में पाया जाता है। सौभ्य विषैला मेंढक व छिपकलियों का भोजन करता है। धामन साइंटिफिक नाम- प्यास मुकोसा। ये पूरी तरह गैर विषैला होता है। ये दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्सों में पाया जाता है। इसका भोजन पक्षी व स्तनधारी पसंदीदा होता है। प्लास्टिक बोटल से तैयार स्नैक हाउस में यूजलेस प्लास्टिक बोतल का यूज किया गया। प्लास्टिक को पिघलाकर कैमिकल्स के साथ सेप देकर मूर्त रूप दिया गया है। ऐसे में स्नैक हाउस की लागत भी कम आई है। डायरेक्टर पीके पात्रों के मुताबिक 60 लाख रुपए बिल्डिंग व बाकी खर्च के तौर पर 30 लाख रुपए हुए। पीके पात्रो की तारीफ दून जू में हुए लगातार कार्यो खासकर कैकटस हाउस, इक्वेरियम व अब स्नैक हाउस के निर्माण के लिए प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने दून जू व राजाजी पार्क के डायरेक्टर पीके पात्रों की तारीफ की।