Not less than 'Saza-E-Maut'
साइंटिफिक एविडेंस
एसएसपी मोहित अग्रवाल ने बताया कि बदमाशों के खिलाफ पुलिस के पास हर तरह का एविडेंस है। पुलिस ने वारदात में शामिल बदमाशों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए साइंटिफिक एविडेंस को भी कलेक्ट कर लिया है। कई ऐसे एविडेंस पुलिस के पास हैं जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि राजू, कल्लू, अजय और रवि ने मिलकर एसओ की हत्या की है। पुलिस के पास कार, पिस्टल, वॉयर लॉगर जैसे कई ऐसे एविडेंस है जिनका कोई तोड़ नहीं है.
जिस pistol से मारी थी गोली
एसएसपी मोहित अग्रवाल ने बताया कि कल्लू ने जिस पिस्टल से एसओ को गोली मारी थी वह पुलिस ने बरामद कर लिया है। स्पॉट पर पुलिस को पिस्टल से चली गोली का खोखा और एक कारतूस मिला था। अब पुलिस खोखा, कारतूस और बरामद पिस्टल की बैलिस्टिक जांच कराकर उसका मैच कराएगी। यह एक सांटिफिक ठोस एविडेंस होगा.
लूट की कार बरामद
एसएसपी ने बताया कि एसओ राजेन्द्र जब डॉक्टर भीमसेन की कार का पीछा कर रहे थे तो उन्होंने वॉयरलेस सेट से डिपार्टमेंट को इसकी सूचना दे दी थी। पुलिस को कंट्रोल रूम में बता दिया था कि इंडिका के पीछे लगे हैं जिसमें बदमाश बैठे हुए हैं। इसकी सूचना मिलने के बाद ही शंकरगढ़ और बारा पुलिस मौके पर पहुंची थी। लेकिन उसके पहले ही बदमाशों एसओ को गोली मारकर भाग निकले थे। पुलिस ने लूटी हुई इंडिका कार भी बरामद कर ली है। यह भी एक बड़ा एविडेंस है.
Public evidence
कई बार पुलिस को पब्लिक एविडेंस नहीं मिलता जिसके कारण केस कमजोर हो जाता है। एसएसपी ने बताया कि इस केस में पब्लिक एविडेंस भी पुलिस के पास मौजूद है। लूट की कार लेकर जब बदमाश पेट्रोल पंप पर पहुंचे थे तब उन्हें कई लोगों ने देखा था। डॉक्टर भीम सेन के मिस्त्री के अलावा पेट्रोल पंप पर काम करने वाले कर्मचारियों ने भी उन्हें देखा था। यही नहीं जब एसओ ने गाड़ी का पीछा किया तो रास्ते में भी कई लोगों ने उन्हें गाड़ी का पीछा करते हुए देखा था.
Voice logger
पुलिस के पास इन सब के अलावा सबसे बड़ा एविडेंस सर्विलांस के थ्रू मिला है। बदमाशों के मर्डर स्पॉट से भागने से लेकर पकड़े जाने तक का लोकेशन, सीडीआर सब एवेलेबल है। यही नहीं पुलिस ने सर्विलांस की मदद से बदमाशों का फोन लिजनिंग पर लिया था। जिसमें उनकी सारी बातें टेप हैं। इस बातचीत में बदमाशों ने अपनी गलती भी स्वीकार की है। अब कोर्ट में पुलिस वॉयस मैच कराकर उन्हें फांसी के फंदे पर पहुंचाएगी.
नंदी case बड़ा example
इससे पूर्व पुलिस ने सबसे बड़ा साइंटिफिक एविडेंस पूर्व मंत्री नंद गोपाल नंदी पर हुए हमले में कलेक्ट किया था। पुलिस को स्पॉट पर एक स्कूटी टाइप की गाड़ी मिली थी जिसमें आरडीएक्स रखकर ब्लास्ट कराया गया था। पुलिस को गाड़ी के नंबर की बात छोडि़ए चेचिस नंबर तक नहीं मिला। फोरेंसिक एक्सपर्ट ने चेचिस नंबर सर्च कर निकाला। फिर पुलिस ने उस सख्स को जबलपुर से पकड़ा जिसने वह स्कूटी राजेश पायलट को दी थी. यही नहीं इसके बाद पुलिस ने सारे बदमाशों का फोन टेप किया था। वॉयस मैचिंग भी कराया गया है। यही कारण है कि 12 जुलाई 2010 की घटना के बावजूद सिर्फ एक आरोपी विधायक विजय मिश्रा ही जमानत पर रिहा हो सके हैं। उनके अलावा इस वारदात में शामिल किसी भी आरोपी को हाईकोर्ट से भी अभी तक जमानत नहीं मिली है.