तो क्या इस साल भी छात्र राजनीति में चलेंगी गोलियां?
-एनएसयूआई की दावेदारी को लेकर लास्ट ईयर चली थी गोलियां
-इस साल भी दावेदारी को लेकर दो गुटों में बंटा संगठन -दावेदारी की घोषणा को लेकर फ्राइडे को कांग्रेस भवन में हुआ था विरोध प्रदर्शन DEHRADUN : डीएवी पीजी का यूनियन इलेक्शन एनएसयूआई के लिए इस साल फिर मुसीबत बन रहा है। संगठन में प्रेसीडेंट पद के लिए दो दावेदार खड़े हो गए थे। हालांकि संगठन ने भारी विरोध के बीच अपने दावेदार की घोषणा कर दी, लेकिन इससे दूसरे पक्ष ने नाराजगी जाहिर करते हुए फ्राइडे को कांग्रेस भवन पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। विरोधी गुट के आलोक नेगी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। बढ़ गई बवाल की संभावनाडीएवी पीजी कॉलेज में हर साल एनएसयूआई यूनियन इलेक्शन के वक्त दो हिस्सों में बंट जाती है। लास्ट टाइम इस मामले में गोलियां तक चली थी जिसमें दो स्टूडेंट लीडर्स घायल भी हुए थे। ऐसे ही समीकरण इस साल भी बनते दिखाई दे रहे हैं। इस बार साल भर से तैयारी कर रहे उम्मीदवार आलोक नेगी की जगह अचानक संगठन से जुड़ी स्वाति ग्रुप के दावेदार नवदीप नेगी को टिकट फाइनल कर दिया गया। इससे ग्रुप दो गुटों में बंट गया है। इलेक्शन के दौरान आपसी रंजिश निकालना और खून खराबा करना ग्रुप का लास्ट ईयर का इतिहास भी रहा है। सूत्रों की माने तो उम्मीदवारी घोषित होने के बाद हंगामों की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
कांग्रेस भवन में हंगामा दावेदारी की घोषणा फ्राइडे को संगठन के उत्तराखंड प्रभारी अमित पठानियां को करनी थी। इसी के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी ऑर्गनाइज की गई, लेकिन दो गुटों में बंटी एनएसयूआई के कार्यकर्ता मॉर्निग से ही कांग्रेस भवन में जम गए। घोषणा मॉर्निग साढ़े ग्यारह बजे होनी थी। दूसरा गुट मौके पर विरोध के लिए पहले से तैनात था। अलोक नेगी के टिकट कटने की सूचना के बाद समर्थकों ने कार्यालय पर जमकर नारेबाजी कर हंगामा किया। इसी को देखते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने पे्रस वार्ता को दो घंटे टाल दिया, लेकिन दूसरा पक्ष वहीं डटा रहा। हंगामे और बवाल के चांसेज को देखते हुए शाम को संगठन के पदाधिकारियों ने उम्मीदवार की घोषणा गोपनीय तरीके से कर दी थी। संगठन ने नवदीप नेगी को उम्मीदवार घोषित किया। विरोधी हुए बागीप्रेसीडेंट पद के लिए दावेदारी कर रहे आलोक नेगी को टिकट नहीं मिला। इससे संगठन के कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताते हुए संगठन के नेशनल सेक्रेट्री और प्रदेश प्रभारी अमित पठानिया का फ्राइडे को पुतला फूंका। आलोक ने आरोप लगाया कि महज कुछ निजी स्वार्थो के कारण मेरी जगह दूसरे उम्मीदवार को अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया गया है। आलोक ने संगठन से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। ऐसे में संगठन दो हिस्सों में बंटने से आपसी टकराव होने की संभावनाएं भी प्रबल हो गई हैं।
------------------- खूब चली थीं गोलियां इलेक्शंस के साथ ही आपसी रंजिश का खेल कोई नया नहीं है। स्टूडेंट्स इन दिनों सड़कों पर जमकर खूनी खेल रहे हैं। साल ख्0क्ख्-क्फ् में आईएमए गेट के सामने स्टूडेंट लीडर शंकर रावत को गोली मारी गई। फिर साल ख्0क्फ्-क्ब् में एनएसयूआई के कार्यकर्ता और इस साल के घोषित हुए एनएसयूआई उम्मीदवार नवदीप नेगी को राजीवनगर में दिनदहाड़े तीन गोलियां मारी थी। उसे सीएमआई हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इस साल उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद आपसी रंजिश के चलते खून खराबे का इतिहास दोहराने की संभावनाएं बनने लगी हैं। कुछ निजी स्वार्थो के चलते संगठन के कर्मठ कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया गया। मैं और प्रदेश के पदाधिकारी इससे काफी आहत हैं। संगठन अपने बैनर तले जिसे चाहे उम्मीदवार चुने, हमारा समर्थन आलोक के लिए ही रहेगा। -विनीत भट्ट, जिलाध्यक्ष, एनएसयूआई