-पुलिस महानिदेशक ने जारी किया पहली बार नया सर्कुलर

-कहा, पुलिस कार्मिक सोशल मीडिया के ओपन फोरम पर नहीं रखेंगे अपनी बात

-डीजीपी ने अपनी समस्या को रखने के लिए तिथियां भी तय की

DEHRADUN: देशभर में सुरक्षा बलों के जवानों के विरोधी तेवरों से बन रही असहज स्थिति के बीच उत्तराखंड पुलिस को भी डर सताने लगा है। उत्तराखंड पुलिस ने अपने कार्मिकों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर नई गाइड लाइन जारी कर दी है। कोई कार्मिक सेवा संबंधी मामलों में सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेगा। बहुत जरूरी हुआ, तो वह जिले के सर्वोच्च अधिकारी को एसएमएस या व्हाट्सऐप मैसेज के जरिये अपनी बात पहुंचा सकता है। दरअसल, 2015 में पुलिस के 'मिशन आक्रोश' ने सरकार तक को हिला दिया था। उत्तराखंड पुलिस के स्तर पर अब जारी की गई गाइडलाइन को उस घटना से जोड़ते हुए एहतियातन माना जा रहा है।

तारीखें भी सुनिश्चित

दरअसल, एक के बाद एक-एक करके देश के तीन जवानों की उनकी समस्याओं व सेना में बराबर की समानता होने को लेकर लगातार वीडियो वायरल हुए हैं। इसको देखते हुए उत्तराखंड पुलिस महकमे को भी चिंता सताने लगी है। उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक ने इसी परिप्रेक्ष्य में अब नया सर्कुलर जारी कर दिया है। जारी आदेश में कहा गया है कि किसी भी पुलिस कार्मिक को सेवा संबंधी विषय पर कोई बात रखनी हो तो वह विभागीय प्रक्रिया के माध्यम से अपनी बात रखेगा। इसके लिए जनपद पुलिस अधीक्षक, वाहिनी के सेनानायक के समक्ष मंगलवार, शुक्रवार को ओआर और सम्मेलन में, परिक्षेत्रीय स्तर पर पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक पीएसी के समक्ष हर सोमवार को या शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक के समक्ष उपस्थित होकर अपनी समस्या से अवगत करा सकते हैं। पुलिस महानिदेशक एमए गणपति के हस्ताक्षरयुक्त आदेशानुसार जारी आदेश में कहा गया है कि खास परिस्थितियों में कोई भी कार्मिक अपनी सेवा संबंधी या फिर व्यक्तिगत समस्याओं के संबंध में अपने जिले के उच्च अधिकारियों, वाहिनी के सेनानायक को सीधे एसएमएस व व्हाट्सएप मैसेज से अवगत करा सकते हैं। संबंधित अधिकारी प्राथमिकता के आधार पर उस समस्या का निराकरण करना सुनिश्चित करेंगे।

जिलों में हाेंगे वेलफेयर अधिकारी

कहा गया है कि सभी जिलों, वाहिनियों, इकाइयों में पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी को वेल्फेयर ऑफिसर नामित किया जाए। जिनसे से कार्मिक अपनी समस्या या शिकायत के संबंध में किसी भी वक्त संपर्क कर सकते हैं। वेलफेयर अधिकारी शिकायतों का रिकॉर्ड मेनटेन करने के साथ निराकरण भी करेंगे। वेलफेयर अधिकारी पुलिस लाइन, थानों, इकाइयों में मैस, कैंपस की स्वच्छता व आवासीय व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग भी करेंगे। किसी भी प्रकार की कमी पाए जाने पर तत्काल एसएसपी, एसपी व सेनानायक के संज्ञान में लाएंगे।

::प्वाइंटर्स:::

-विभाग में सोशल मीडिया के प्रयोग केवल प्रोफेशनल कार्यो के लिए होगा।

-विभाग की कार्यदक्षता बढ़ाने, आवश्यक सूचनाओं का आदान-प्रदान व महत्वपूर्ण निर्देशों के लिए ही प्रयोग होगा।

-पुलिस जैसे अनुशासित बल के किसी भी सदस्य द्वारा ऐसा कोई संदेश, जिससे केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना हो नहीं किया जाएगा।

-धर्म, जाति, सामाजिक समरसता को सोशल मीडिया पर तोड़ने वाले कार्मिक के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होगी।

-कार्रवाई की तौर पर पुलिस इनसाइटमेंट टू डिस-अफैक्शन एक्ट क्9ख्ख् के तहत कार्रवाई की जाएगी।

-कार्मिक से किसी अनजान लिंक मैसेज भी बिना सत्यापन के फॉरवर्ड नहीं किया जा सकेगा।

आदेश कायर्ालयों में चस्पा होंगे

डीजीपी की तरफ से जारी आदेश में साफ कहा गया है कि आदेश सारे थानों, चौकियों, पुलिस लाइन व पीएसी कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा होंगे। इसके लिए अधिकारी व कर्मचारी आदेशों का अनुपालन भी सुनिश्चित करेंगे।

सोशल मीडिया में छाया था 'मिशन आक्रेश'

सूबे में सरकार व पुलिस महकमा अगस्त ख्0क्भ् 'मिशन आक्रोश' के तहत सोशल मीडिया पर पुलिस कार्मिकों की नाराजगी का सामना कर चुका है। इससे पहले पूर्ववर्ती डीजीपी ने असलहों के साथ सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड न करने के भी आदेश दिए थे।

Posted By: Inextlive