युवाओं के सपने रंगीन बनाते हैं आनंद
दो बच्चों को चार साल तक घर में रख कराई तैयारी
एक आईआईटी कानपुर में पढ़ रहा, दूसरा बना क्लैट का टॉपर इस समय भी दो बच्चों को घर में रख उठा रहे पूरा खर्च ALLAHABAD: हर युवा अपने लिए बेहतरीन सपने देखता है, लेकिन कई बार उसके सपनों को पंख नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में काबिल होते हुए भी वह सपनों को साकार नहीं कर पाता है। ऐसे ही गरीब युवाओं की मदद को आनंद घिल्डियाल ने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। दस साल पहले शुरू किया सफरआनंद घिल्डियाल बताते हैं कि करीब दस साल पहले गरीब छात्रों को देखकर ये विचार आया कि उनको मदद की दरकार है। तब उन्होंने अपने सिविल लाइंस के मकान में ऐसे गरीब छात्रों के रहने के लिए व्यवस्था की। उनकी पत्नी बबिता घिल्डियाल के गांव से दो लड़के अभय कुलदियाल और अनुभव पढ़ाई के लिए इलाहाबाद आए थे। उनके पास रहने के लिए घर नहीं था। आर्थिक रूप से भी काफी कमजोर थे। गांव के होने के कारण दोनों बबिता के घर पहुंचे और अपनी पूरी समस्या बतायी।
दोनों हैं काफी गरीब परिवार सेअभय के पिता प्राइवेट वाहन चालक हैं। दोनों युवाओं की समस्या सुनने और उनके अंदर कुछ कर गुजरने की चाहत को देखते हुए आनंद घिल्डियाल ने दोनों के रहने की व्यवस्था और उनके खाने पीने और कोचिंग की फीस की व्यवस्था की। दोनों बच्चे काफी होनहार थे। उन्होंन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की तैयारी शुरू की। अभय कुलदियाल ने आईआईटी कानपुर में कैमेस्ट्री इन न्यूरो साइंस में दाखिला हासिल कर लिया। इसके ठीक एक साल बाद ही अनुभव भी सफलता हासिल करते हुए क्लैट में टॉपर बना। दोनों ही युवा अपनी सफलता का सबसे अधिक श्रेय आनंद को देते हैं।
अन्य खर्च भी उठाते रहे वे बताते है कि चार साल तक उनके रहने और कोचिंग आदि जाने का खर्च आनंद उठाते रहे। कई बार जरूरत पड़ने पर दूसरे खर्चो के लिए भी मदद करते रहे। अब भी सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस समय भी आनंद के सिविल लाइंस स्थित घर में दो छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं। जिनका खर्च आनंद उठाते हैं। दिल को मिलता है सुकूनआनंद बताते हैं कि उनके मकान में अभिषेक त्रिपाठी और प्रिंस कुमार मिश्रा हैं। अभिषेक के पिता प्राइवेट कार चालक हैं और प्रिंस के पिता सिक्योरिटी वैन में लोडिंग का काम करते हैं। आनंद के अनुसार उन्हें ऐसे युवाओं की मदद से आत्म संतुष्टि मिलती है। ऐसे छात्रों की मदद करके उन्हें लगता है कि समाज के लिए थोड़ा सा ही सही उन्होंने योगदान किया।