RANCHI : बेटियां आज हर मोर्चे पर अपनी काबिलियत दिखा रही रही हैं। चाहे विज्ञान का क्षेत्र हो या खेल का मैदान अथवा कोई और फील्ड। हर मोर्चे पर बेटियां अपने को प्रूव कर कही हैं। ऐसे में बेटा-बेटी में फर्क करने का कोई तुक नहीं है। यह कहना है सोशल वर्कर रमेश गोप का। वे कहते हैं- मेरी बेटी मेरे लिए अनमोल रत्न है। शादी के बाद ही हमने सिंगल चाइल्ड का फैसला कर लिया था। जब हमारे घर बेटी आई तो हमारी खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। हमने सोच लिया कि अपनी बेटी को इतना काबिल बनाएंगे कि वह न सिर्फ घर-परिवार बल्कि समाज और राज्य-देश का भी नाम रौशन करे।

घर का पूरा ख्याल

बांधगाड़ी दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष रमेश गोप कहते हैं- बेटी अमीषा श्वेता उर्फ सोनू पूरे परिवार का केयर करती हैं। वह हर किसी के साथ अपनी खुशियों को खुलकर शेयर करती हैं। अगर किसी को कोई कष्ट हो तो वह बढ़-चढ़कर उसकी सेवा करती हैं। बेटी के बिहेव ने हम सभी का दिल जीत लिया है। वाकई, बेटियां खास होती हैं।

चेहरा देखकर ही थकान दूर

जब भी काम कर घर लौटता हूं तो बेटी का चेहरे देखकर थकान छूमंतर हो जाती है। हमारी बेटी हमारी जिदंगी के लिए सबकुछ है। रमेश गोप कहते हैं- हम बेटी को जितना प्यार दे रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा वह हमें खुशियां दे रही हैं। बेटी को ऐसी तालीम देना है, ताकि वह अच्छी करियर के साथ अच्छा इंसान बने। बेटी के साथ कुछ पल बिताने से ही हमारे सारे तनाव दूर हो जाते हैं। हमारे लिए बेटी से बड़ी कोई संपत्ति नहीं है।

अरमानों को करना है पूरा

अक्सर सुबह में ही काम के सिलसिले में घर से निकल जाना पड़ता है, लेकिन कोशिश होती है कि दोपहर का भोजन बेटी के साथ जरूर करें। जब बेटी के साथ बैठकर हम सभी भोजन करते हैं तो उसकी खुशियों को शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। रमेश गोप कहते हैं- खाने-पीने को लेकर भी बेटी हमारा पूरा ख्याल रखती हैं। क्या हमें खाना है और क्या नहीं, उसका पूरा ध्यान उसे रहता है। हमारी कोशिश बेटी के अरमानों को पर लगाने की है, ताकि वह हमारे सपनों को पूरा कर सके।

करियर को लेकर नहीं कोई दबाव

रमेश गोप कहते हैं- बेटी अमीषा अभी बिशप वेस्टकॉट में पढ़ाई कर रही है। हमने तय किया है कि उसे करियर चुनने में किसी तरह का दबाव नहीं देंगे। वह अपनी इच्छा से अपना करियर बनाए, इसी में हमारी खुशी है। हमारी कोशिश तो उसे बेहतर इंसान बनाने की है। जब भी हम साथ में बैठते हैं, एक दोस्त की तरह उससे बर्ताव करते हैं, ताकि हमारे बीच किसी तरह का कम्यूनिकेशन गैप नहीं रहे। देश-दुनिया की गतिविधियों व हलचलों पर भी हमारे बीच बातचीत होती है। हमारी यही कोशिश होती है कि क्या सही है और क्या गलत, उसे इसका अहसास कराते रहें।

जीने का आधार है बेटी

रमेश गोप कहते हैं- हमने शादी के बाद एक ही बेटी रखने का जो फैसला किया था, उसपर हमें फक्र है। बेटी आज हमें अपार खुशियां दे रही हैं। बेटी से हम हर मुद्दे पर खुलकर बातें करते हैं। बेटी चाहे हमारे पास हो या दूर, उसे याद कर ही हमारी थकान व तनाव दूर हो जाती है। बेटी मेरे जीन का आधार है। बेटी के बिना हम एक पल अलग रहने की सोच भी नहीं सकते हैं।

Posted By: Inextlive