- विश्व दिव्यांग दिवस पर अलग अलग क्षेत्रों में नाम रोशन करने वाले दिव्यांगों को किया गया सम्मानित mohammad.fazil@inext.co.in LUCKNOW : उसे गुमां है कि उड़ान कुछ कम है मुझे यकीं है कि आसमां कुछ कम है बचपन से जिन कमजोरी के कारण उपेक्षित हुए। आज उसी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर समाज के लिए मिसाल पेश की है इन दिव्यांगों ने। दृष्टिबाधित होकर भी दुनिया में अपनी चमक बिखेरने वाले कुलदीप हों, बच्चों को शिक्षित कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने वाले मुकेश हो या दिव्यांगों को जागरुक करने वाली ऋतु सुहास। तीनों ने अपने हौसलों से समाज की सोच को बदलते हुए नया मुकाम हासिल किया है। विश्व दिव्यांग दिवस पर सीएम ने इन बच्चों को सम्मानित कर इनका मान बढ़ाया। बच्चों को दे रहे है शिक्षा मूक बधिर होने के बावजूद मुकेश ने वो कर दिखाया जिसकी आज सर्वाधिक जरुरत है। फतेहपुर जिले के एक गांव के रहने वाले मुकेश मौजूदा समय में इंटीनरेंट टीचर हैं और दिव्यांग बच्चों को शिक्षित कर उनको समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का काम कर रहे हैं। बचपन से पढ़ाई के प्रति उनका रुझान था लेकिन बोल व सुन न पाने से उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने डॉ। शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्व विद्यालय से डीएड किया। उन्होंने बताया कि शिक्षा के बिना कुछ भी संभव नहीं है मेरी कोशिश है कि मूक बधिर बच्चों को शिक्षित कर समाज से जोड़ा जाये। विश्व दिव्यांग दिवस पर मुकेश सिंह को सीएम योगी ने सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग कर्मचारी अवार्ड से सम्मानित किया। बूथ दोस्त मोबाइल ऐप दिव्यांगों को मतदान में सहायता के लिए ऋतु सहाय ने बूथ मोबाइल एप बनाया। ऋतु सुहास को सीएम योगी ने सर्वश्रेष्ठ नवीन अनुसंधान पुरस्कार से सम्मानित किया। इस इनोवेशन के लिए गवर्नर और इलेक्शन कमीशन पहले ही उनका सम्मान कर चुका है। वर्तमान में ऋतु उप संचालक चकबंदी के पद पर लखनऊ में ही कार्यरत हैं। उन्होंने दिव्यांगों के मताधिकार के लिए ब्लाइंड हैंडीकैप वोटर्स के लिए ब्रेल स्क्रिप्ट में मतदाता पर्ची छपवाने का आइडिया दिया था। इस पायलट प्रोजेक्ट को आजमगढ़ में लांच किया गया। यूपी सरकार भी यह प्रोजेक्ट लागू करने जा रही है। उन्होंने बताया कि उनके पति सुहास एल वाई आजमगढ़ में डीएम पद पर तैनात थे। मैं वहां पर एसडीएम के तौर पर तैनात थी। चुनाव में दिव्यांगों को मतदान केंद्रों तक लाना चुनौती था। इसी पर काम करते हुए बूथ दोस्त नामक मोबाइल एप का इनोवेशन किया। दृष्टिबाधित बेटे ने रचा इतिहास बेटे की लगन को देखते हुए पिता ने अपने खेती की जमीन गिरवी रख उसका पासपोर्ट बनाया और उसको अपने सपने साकार करने के लिए अफ्रीका तक भेजा। हम बात कर रहे हैं कुलदीप की जो दृष्टिबाधित हैं, मगर उन्होंने जूडो में प्रतिभाग करते हुए दक्षिण अफ्रीका के कॉमनवेल्थ 2016 में देश का नाम रोशन किया। कुलदीप को सीएम योगी ने सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी का पुरस्कार दिया। कुलदीप ने बताया कि वो आठ साल से जूडो खेल रहे हैं। इस दौरान उन्होने जापान, अफ्रीका व देश के विभिन्न हिस्सों में प्रतिभाग किया। उनके लिए पापा ने अपनी जमीन गिरवी रखी मगर वे आज तक कर्ज नहीं चुका सके हैं।

Posted By: Inextlive