-मेरठ में फॉलो नहीं हो रहा सॉलिड वेस्ट हैंडलिंग रूल्स-2000

-जेनर्म के तहत करीब 40 करोड़ रुपये कर दिया जमींदोज

-लैंडफिल साइड को बना दिया डंपिंग ग्राउंड

Meerut : जमींदोज हो रहा कूड़ा जमीं को दूषित कर रहा है। अर्थ डे पर एक ओर जहां धरती को स्वच्छ रखने की बात हो रही है 'जिम्मेदार' इसे प्रदूषित कर रहे हैं। मेरठ में करीब 40 करोड़ खर्च करने के बाद भी सॉलिड वेस्ट हैंडलिंग रूल्स-2000 को इम्प्लीमेंट नहीं किया जा सका है। डलावघरों में कूड़ा सड़ रहा है तो बायो मेडिकल वेस्ट को सेग्रीगेट नहीं किया जा रहा है। आलम यह है पॉलीथीन और केमिकल जमीन के संपर्क में आकर उसे दूषित कर रहे हैं।

ताकि न हो प्रदूषित जमीन

बढ़ रहे भू संक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार की गाइडलाइन में तय हुआ कि

-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की विस्तृत परियोजना सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं को बनानी होगी।

-सॉलिड वेस्ट और बॉयो मेडिकल वेस्ट को सेग्रीगेट करना होगा।

-सॉलिड वेस्ट भूमि की सतह से न छूने पाए इसके लिए डलावघरों को पक्का बनाना होगा।

-लैंडफिल साइड में कूड़े की डंपिंग नहीं होगी बल्कि इसे प्रोसेस किया जाएगा।

-कूडा डोर-टू-डोर कलेक्ट किया जाएगा।

जमींदोज हो गए 40 करोड़

तत्कालीन यूपीए सरकार ने जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन (जेनर्म) के तहत 2010 में मेरठ को करीब 40 करोड़ रुपये सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए दिए गए। डोर-टू-डोर कलेक्शन से लेकर गावड़ी स्थित एनर्जिक प्लांट पर कूड़े को प्रोसेस करने की मेगा परियोजना बनाई गई थी। योजना के तहत एटूजेड कंपनी के साथ पीपीपी मॉडल पर एनर्जिक प्लांट लगाया जाना था, जो नहीं लग सका। डोर-टू-डोर कलेक्शन भी कुछ दिनों बाद बंद हो गया।

काम जो नहीं हुए

-45 एकड़ की गावड़ी लैंडफिल साइट एनर्जिक प्लांट के तौर पर विकसित होती थी, डंपिंग ग्राउंड बन गई है।

-डलावघरों को पक्का बनाया जाना था, शहर के करीब 100 डलावघरों में से ज्यादातर कच्चे हैं।

-सॉलिड वेस्ट के साथ बायो वेस्ट खपाया जा रहा है। हालांकि निगम का दावा है कि गावड़ी में बायो वेस्ट को केमिकल के साथ गड्ढाकर के दबा रहे हैं।

-मेवला पुल और हापुड़ रोड स्थित खत्ताघरों में कूड़े की डंपिंग पर रोक लगनी थी, आज भी खत्ताघरों में ही कूड़ा डाला जा रहा है।

-नालों को कवर करना था और बेहतर सफाई के साथ पॉलीथीन को बंद करना था।

एक नजर में

-शहर में करीब 900 मीट्रिक टन कूड़ा रोजाना उत्पादित हो रहा है।

-करीब 750 मीट्रिक टन कूड़ा लैंडफिल साइट और खत्ताघरों तक पहुंच रहा है।

-150-200 मीट्रिक टन कूड़ा रोजाना जमींदोज हो रहा है।

पॉलीथीन पर नहीं रोक

यूपी सरकार के कड़े निर्देश के बाद भी मेरठ में खतरनाक पॉलीथीन का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो करीब 20 टन पॉलीथीन की रोजाना की खपत है। ये पॉलीथीन कूड़े और नालों में खप रही है।

जेनर्म के तहत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए थे। एटूजेड के डोर टू डोर कलेक्शन पर रोक के बाद नगर निगम नए सिरे से कूड़ा कलेक्शन की योजना बना रहा है।

उमेश प्रताप सिंह, नगरायुक्त

गावड़ी में एनर्जिक प्लांट की स्थापना पर नए सिरे से विचार चल रहा है। डोर-टू-डोर कलेक्शन का काम भी जल्द शुरू होगा। फिलहाल लैंडफिल साइट और दो खत्ताघरों में कूड़े को डंप किया जा रहा है।

डॉ। आरएस चौहान, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive