महान फिल्‍मकार सत्‍यजीत रे को कौन नहीं जानता है. 2 मई 1921 में कोलकाता में जन्‍में सत्‍यजीत रे 23 अप्रैल 1992 में दुनिया को अलविदा कह गए थे लेकिन आज भी उनकी यादें हमारे जेहन में मौजूद है. एक चित्रकार के रूप में करियर की शुरुआत करने वाले सत्यजीत रे का नाम आज एक महान फिल्‍मकारों के रूप में लिया जाता है. आज भी सत्‍यजीत रे के जीवन से जड़ी कई ऐसी बातें हैं जो बहुत कम लोग ही जानते होंगे. आइए जानें 20वीं सदी में विश्व के महानतम फिल्‍मकारों में मशहूर रहे सत्‍यजीत रे के जीवन से जुड़ी 12 खास बातें...

पिता की मौत:
सत्यजीत राय का बचपन काफी दुख भरा रहा है. जब वह महज तीन साल के थे तभी इनके सिर से इनके पिता का साया उठ गया था. इस दौरान इनकी मां ने कठिन परिश्रम कर इनके जीवन को सवांरा. मां काम करके जो रुपये कमाती थी उसी छोटी सी इनकम से धरी नींव से वह इतने ऊंचे मुकाम तक पहुंचे.
बेहतर प्रकाशक:
कहानीकार, चित्रकार, फिल्मकार  होने के साथ ही सत्यजीत रे एक अच्छे लेखक भी थे. शुरूआती दौर में उन्होंने प्रकाशन का काम भी किया. इस दौरान उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया का बेहतर प्रकाशन किया था.
फिल्म बाइसिकल थीफ:
एक बार फ्रांसीसी फिल्म मेकर जीन रेनियर के साथ हुई बैठक के बाद सत्यजीत ने पूरी तरह से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आने का मन बनाया. इतना ही नहीं जब उन्होंने इतालवी फिल्म बाइसिकल थीफ देखा तो और भी प्रभावित हो गए, फिर क्या वह सिने जगत में कदम रख दिए और बेहतर फिल्म मेकर के रूप में उभरे.
‘पाथेर पांचाली’:
सत्यजजीत रे ने 1955 में पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ का निर्देशन किया. उनकी इस पहली फिल्म ने अंतराष्ट्रीय स्तर तक ख्याति पाई. एक बेहतर मानव डॉक्यूमेंट्री पर बनी इस फिल्म ने कांस फिल्म फेस्टिवल तक पहुंचने में सफल रही.

निर्देशन का सिलासिला
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इसके बाद तो जैसे सत्यजीत रे का फिल्म निर्देशन का सिलासिला शुरू हो गया. उन्होंने 1956 में फिल्म अपराजिता और संसार का निर्माण किया. इतना ही नहीं उन्होंने करीब 3 दर्जन से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया. जो दर्शकों के बीच काफी पसंद की गई.

6 बार बेस्ट डायरेक्टर:

सत्यजीत रे में फिल्म निर्माण की जबर्दस्त कला थी. शायद तभी उन्होंने करीब 6 बार बेस्ट डायरेक्टर का नेशनल अवार्ड जीता. यह तब किसी फिल्मकार के लिए स्वप्न जैसी बात होती थी.

यहां भी क्िलक करें:
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शतरंज के खिलाड़ी:

सत्यजीत रे ने 1977 में हिंदी फीचर फिल्म शतरंज के खिलाड़ी का निर्देशन किया. इसके अलावा 1981 में उन्होंने टीवी के लिए भी Sadgati का निर्माण किया. उनकी हिंदी फीचर फिल्म प्रेमचंद की कहानी शतरंज के खिलाड़ी पर बनी है.

पहले भारतीय हुए:
निर्देशक सत्यजीत रे को लाइफ टाइम अचीवमेंट के लिए एकेडमी अवार्ड दिया गया. सत्यजीते रे आस्कर सम्मान पाने वाले पहले भारतीय हुए थे. हालांकि तबियत खराब होने की वजह से वह इस फंक्शन को अटेंड नहीं कर पाए थे. इस अवार्ड के मिलने के करीब एक महीने बाद 23 अप्रैल 1992 को वह दुनिया को अलविदा कह गए.

भारत रत्न पुरस्कार:

सत्यजीत रे को भारत सरकार की ओर से 1992 में भारत रत्न पुरस्कार भी दिया गया था.
खूब सराहना मिली:
सत्यजीत रे की लिखी कहानी पर दिबाकर बनर्जी ने Bombay Talkies फिल्म का निर्माण किया. फिल्म को भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे होने के मौके पर खूब सराहना मिली. इस फिल्म में फिल्म स्टार पटेल बाबू ने एक मध्यमवर्गीय आदमी को जीवंत करते दिखे.

पुरस्कार अकीरा कुरोसावा:

अपने जीवन काल में महान फिल्मकार सत्यजीत रे माइकल एंजेलो Antonioni और अकीरा कुरोसावा के साथ ताजमहल गए थे. 1992 में शर्मिला टैगोर ने सत्यजीत रे के बीहाफ पर अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल फ्रैंसिको में लाइफ टाइम पुरस्कार अकीरा कुरोसावा स्वीकार किया था.
गूगल डूडल:
सत्यजीत रे की बर्थ एनिवर्सिरी पर गूगल ने भी उनके प्रति अपना समर्पण दिखाया. गूगल ने उनकी फिल्म पाथेर पांचाली के सीन का गूगल डूडल बनाया था.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh