संसदीय कमेटी ने पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले पर अपनी रिर्पोट सौंप दी है। अपनी रिर्पोट में कमेटी ने सुरक्षा व्‍यवस्‍था में कई गंभीर कमियों की ओर इशारा किया है और कहा है कि खुफिया एजेंसियों को हमले की कोई जानकारी ही नहीं थी।


पूरी तरह अंजान थी खुफिया एजेंसियां


पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले की पूर्व जानकारी से एयरबेसकर्मी पूरी तरह अंजान थे। उन्हें एयरबेस पर आतंकी हमले की जानकारी हमले वाले दिन को सुबह मिली थी। गृहमंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि कमेटी ने एयरफोर्स एयरबेस के अधिकारियों और कर्मचारियों से विस्तार में बातचीत की। अधिकारियों ने कहा कि आतंकी हमले की जानकारी पंजाब सरकार की तरफ से नहीं मिली थी। बल्कि दिल्ली एयरफोर्स की तरफ से ये जानकारी मिली की पठानकोट बेस पर आतंकी हमला हो गया है। प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि ये कैसे संभव है कि पठानकोट बेस पर किसी भी हमले के पुख्ता अलर्ट के बाद बेस पर हमला हो गया। उन्होंने कहा कि आतंकी वारदात के होने से एक बात तो साफ है कि सुरक्षा और खुफिया एंजेंसियों के बीच तालमेल की कमी थी। भट्टाचार्य ने कहा कि हाल ही स्थायी समिति के दौरे में ये बात सामने आयी है कि अभी भी एयरबेस की सुरक्षा चाकचौबंद नहीं है। अभी भी इतने सारे असुरक्षित रास्ते हैं जिसका फायदा आतंकी उठाकर एयरबेस को निशाना बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को एयरबेस के बारे में ताजी जानकारी मुहैया करा दी गयी है। उन्होंने सरकार से पठानकोट बेस की निगहबानी के लिए और संसाधन मुहैया कराने की अपील की ।नहीं दिखाई एसपी सलविंदर सिंह के बारे में गंभीरतापाकिस्तान से लगे पंजाब बॉर्डर पर जिस तरह पिछले कुछ वर्षों में घुसपैठ और आतंकी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है, ऐसे में देर रात बिना अपनी निजी सुरक्षा के बाहर निकलकर एसपी सलविंदर सिंह ने जोखिम जरूर लिया था, लेकिन इसके बावजूद जो सवाल सबके मन में है वो यह है कि एसपी सलविंदर को छोड़ने के पीछे आखिर आतंकियों का मकसद क्या था और इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया? जांचकर्ताओं की अगर मानें तो बार-बार बयान बदल रहे एसपी के बयानों में बहुत ज्यादा विरोधाभास है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि एसपी खुद विभिन्न कारणों से अभी संदिग्ध बने हुए हैं, लेकिन बावजूद इसके यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि एसपी के बयान को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया?सुरक्षा में हैं कई कमियां

ऐसे कैसे हो सकता है कि दर्जन भर लोग आरडीएक्स और हथियारों के जखीरे के साथ सरहद में घुस आएं और उसके बाद आपकी छावनी में घुस गए? क्या सेना की वर्दी बिना पहचान के पहनकर कोई बाहरी व्यक्ति आरडीएक्स के साथ किसी एयरबेस में घुस सकता है? इसका मतलब साफ है हमारा सुरक्षा-तंत्र आधुनिक दुनिया के खतरों से निपटने में अक्षम साबित हुआ है और भारत को इसकी समीक्षा करने की जरूरत है।फिजूल बयानबाजी इस बारे में बिना वजह की बयानबाजी की ओर भी इशारा किया गया। आनन-फानन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर दिया कि देश को अपने सुरक्षा बलों पर गर्व है। जो हमेशा वक्त पर तैयार रहते हैं। यही नहीं रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का नाम भी इस सूची में जुड़ गया और प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि पठानकोट में हमारे सुरक्षा बलों ने एक बार फिर अपने शौर्य का प्रदर्शन किया। मैं उनके बलिदान को सलाम करता हूं। जल्दबाजी में किए गए ट्वीट के बाद दोबारा गोलीबारी होने के बाद गृह सचिव राजीव महर्षि ने भी कहा कि कि पठानकोट हमले में कोई सुरक्षा चूक नहीं हुई क्योंकि जब हथियार इस्तेमाल होते हैं तो जवान जख्मी होते ही हैं। सरकार के इन प्रतिनिधियों के इस ट्वीट के पीछे कोई पुख्ता जानकारी थी या कोई रणनीति, इसके बार में कह पाना अभी जल्दबाजी होगा।तालमेल की कमी

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी एजेंसियों के बीच आपसी समन्वय का इस कदर अभाव था कि पठानकोट में पहले से मौजूद सैन्य टुकड़ियां का इस्तेमाल न करके दिल्ली से एनएसजी कमांडो को भेजा गया, जबकि उन टुकड़ियों को जम्मू कश्मीर और आसपास के इलाकों में आतंकी गतिविधियों से निबटने का बेहतर अनुभव रहा है। सरकार के लिए अभी इस सवाल का जवाब ढूंढना भी मुश्किल है कि क्या आतंकियों के पास सैटेलाइट फोन थे या उन्होंने भारतीय सिम कार्डों का इस्तेमाल किया?

inextlive from India News Desk

Posted By: Molly Seth