जानवरों की प्रवृत्ति भी कुछ मामलो में इंसानों जैस होती है। इतिहास में भी दर्ज है कि मानव के पूर्वज बंदर हैं। कुछ मौके पर बंदर यह साबित भी कर देते हैं कि वो इन मामलों में इंसान से बेहतर हैं। खैर आपने तो सुना ही होगा कि मानव की प्रवृत्ति बंदरों जैसी होती है। बंदरों के अलावा भी कई ऐसे जानवर हैं जो इंसानों की तरह ही आपस में हरकतें करते हैं। उनकी तरह बोलते हैं झगड़ा करते हैं गाते हैं यहां तक कि वेश्यावृत्ति से लेकर एक दूसरे की लड़ाइयां सुलझाने तक में ये जानवर समझदार होत हैं।


फिंचेस चिड़या अपने व्याकरण पर ध्यान देती हैकुछ जानवर भी इंसानों की तरह भाषा के व्याकरण को लेकर हमेशा सही रहने की कोशिश करते हैं। वे ये तय करते हैं कि उनके व्याकरण में कोई गलती न हो जाए। बंगाल फिंचेस नाम की चिड़िया जब गाना गाती है तो पूरे क्रम के साथ गाती है। जब इस चिड़या को गुस्सा आता है तो वह भी बहुत तेज। यदि कोई दूसरी चिड़िया उसके गानें और व्याकरण का क्रम को तोड़ दे तो।ऐसे होती है चिंपाजियों मे सलाह


कई बार इंसानों को अपने झगड़े सुलझाने के लिए किसी तीसरे इंसान की जरूरत होती है। ठीक वैसे ही चिंपाजियों को भी किसी तीसरे चिंपाजी की जरूरत होती है। दो नर चिंपाजियों के बीच सुलह करवाने कोई उम्रदराज मादा चिंपाजी आती है। वो एक के पास जाती है और उसे पुचकारती है  जिससे उसका गुस्सा शांत हो जाता है। फिर वो पहले वाले को साथ लेकर दूसरे चिंपाजी के पास जाती है। दोनों नर चिंपाजी मादा को पुचकारते हैं और आपस में सुलह करते हैं।पैसे देकर बंदर भी करते हैं सेक्स

बंदर को काफी समझदार माना जाता है। इंसानों की तरह बंदर भी पैसे की अहमियत समझते हैं। यही नहीं बंदर तो वेश्यावृति को भी भली प्रकार समझते हैं। ऐसा एक शोध में साबित किया गया है कि वो समझते हैं कि पैसे देकर वो अपनी पंसद की चीज खरीद सकते हैं। बंदरों पर किए गए इस शोध में शोधकर्ताओं ने ये भी देखा कि एक बंदर ने एक बंदरिया को पैसे दिए और फिर मादा उसके साथ सेक्स करने को तैयार हो गई। इंसानों की तरह ये बंदरों की वेश्यावृत्ति थी।चिंपाजी को भी होता है लकड़ी की गुडि़या से प्यार इंसान के बच्चों के लिए उनकी गुडि़या बहुत खास होती है पर ये सिर्फ इंसानी बच्चों के लिए खास बात नहीं हैं। इंसानी बच्चों की तरह चिंपाजी भी अपनी खास गुड़िया के साथ खेलते हैं। हावर्ड विश्वविद्यालय के शोध में पाया गया था कि छोटे मादा चिंपाजी भी छड़ी लकड़ी को लेकर गोद में ऐसे झुलाते हैं मानो उनके बच्चे हों। ये लड़की ही उनके लिए उनकी गुड़िया होती है। इंसानी बच्चों की तरह ही मादा चिंपाजी भी उस लकड़ी की गुडि़या को प्यार करती है सुलाती है यहां तक कि उनके लिए घर भी बनाती हैं। इंसानों की तरह गाती हैं व्हेल्स

व्हेल मछलियां भी इंसानों की तरह गाना गाती हैं। इस समूह के सभी नर व्हेल मछलियां एक ही जैसा गाना गाते हैं लेकिन जब वे उससे बोर हो जाते हैं तो उनमें से कोई एक अचानक दूसरी ताल में गाने लगता है। बाकी मछलियां उसे ही फॉलो करती हैं। कई बार व्हेल मछलिययें के उस नए गाने में पुराने गाने की भी ताल मिली होती है तो कई बार वो पूरी तरह नया होता है।तोते विशेष आवाज में रखते हैं अपने ब्चचों के नामतोते भी अपने बच्चों के नाम इंसानों की तरह रखते हैं। असल में वे हमारी तरह राम-श्याम जैसे नाम नहीं रखते बल्कि वे खास तरह की आवाज निकालते हैं जब उन्हें अपने समूह के किसी खास सदस्य को पुकारना होता है। ये आवाज वो किसी और के लिए नहीं निकालते। यानी कहा जा सकता है कि वे अपने अंदाज वे अपने साथियों के नाम रखते हैं। ऐसा डॉल्फिन्स और कौए भी करते हैं।

Posted By: Prabha Punj Mishra