कहीं एमआरपी से कम तो कहीं एमआरपी से अधिक लिया जा रहा रेट

50 से 60 फीसदी मार्जिन पर तय हो रही एमआरपी

एक्स्ट्रा एमआरपी की वजह से कस्टमर्स को लूट रहे दुकानदार

ALLAHABAD: मैक्सिमम रिटेल प्राइज यानी जिस एमआरपी पर पूरा बिजनेस सिस्टम चल रहा है। एमआरपी को ही किसी भी सामान का फिक्स रेट माना जाता है, अब वह भी सस्पेक्टेड हो गई है। क्योंकि कंपनियों की ओर से सामानों की एमआरपी मनमाने तरीके से फिक्स की जा रही है। प्रोडक्ट रेट और एमआरपी में 40 से 50 परसेंट का डिफरेंस होने की वजह से कहीं एमआरपी पर 30 से 40 परसेंट डिस्काउंट तो कहीं 40 से 50 परसेंट कमिशन दिया जा रहा है।

टैक्स घटा, एमआरपी नहीं

जीएसटी का टैक्स स्लैब संशोधित और लागू होने के बाद भी सामानों की एमआरपी में कोई बदलाव नहीं आया है। जबकि जीएसटी काउंसिल और गवर्नमेंट ने कंपनियों, स्टॉकिस्ट और रिटेलर्स को एमआरपी रिवाइज करने का आदेश दिया है।

40 से 50 परसेंट कमिशन

ब्रांडेड कंपनियों को छोड़ दें तो ज्यादातर कंपनियां अपने प्रोडक्ट का रेट यानी एमआरपी मनमाने तरीके से तय कर रही हैं। कस्टमर से तो एमआरपी पर पूरा रेट लिया जा रहा है और मार्केट में सेल बढ़ाने के लिए बड़े संस्थानों में 40 से 50 परसेंट कमिशन दिया जा रहा है।

कॉपी-किताब और स्टेशनरी में खेल

एमआरपी के नाम पर मनमानी का सबसे ज्यादा खेल कॉपी किताब और स्टेशनरी आइटम पर है। क्योंकि स्कूल-कॉलेज 40 से 50 परसेंट कमिशन लिए बगैर दुकानदार को स्कूल कैंपस में घुसने नहीं देते हैं। दुकानदार कॉपी और किताब बनाने वाली कंपनियों से डायरेक्ट टच में आकर प्रोडक्ट रेट और एमआरपी में 50 से 60 परसेंट का डिफरेंस कराकर एमआरपी फिक्स कराते हैं।

रेडीमेड और इलेक्ट्रानिक में भी खेल

रेडीमेड और इलेक्ट्रानिक मार्केट का भी यही हाल है। सामान पर एमआरपी कुछ होती है, बार्गेनिंग पर दुकानदार 30 से 40 परसेंट डिस्काउंट कर देता है। कस्टमर को तत्काल तो फायदा हो जाता है, लेकिन एमआरपी से विश्वास उठ जाता है। एमआरपी से 40 परसेंट डिस्काउंट आखिर कोई कैसे दे सकता है। इसका मतलब ये हुआ कि एमआरपी प्रोडक्ट रेट से दुगुना फिक्स किया जा रहा है।

कॉपी में ब्रांडेड कॉपी- 30 रुपये एमआरपी है। 50 से 55 परसेंट डिस्काउंट पर डिस्ट्रीब्यूटर को कॉपी मिली। 40-45 परसेंट पर दूसरे दुकानदार को बेचा। वह कॉपी जब स्कूल पहुंची तो पूरे 30 रुपये में बिकी। खेल आप समझ सकते हैं।

संतोष पनामा

व्यापारी नेता

कस्टमर अवेयरनेस की बात की जाती है। वहीं दूसरी तरफ कंपनियों की मनमानी पर कंट्रोल नहीं है। एमआरपी में भारी खेल हो रहा है। इसका फायदा दुकानदार उठा रहे हैं।

अनुराग केसरवानी

स्टॉकिस्ट, डिस्ट्रीब्यूटर

Posted By: Inextlive