- सुपरहिट मूवी थ्री ईडियट्स में आमिर के कैरेक्टर फुनसुख वांगडू और रियल लाइफ में सोनम वांगचुक आए राजधानी

LUCKNOW : कामयाब वह नहीं जो हजारों ख्वाहिशों को पूरा करता है, कामयाब वह है जो अपनी एक भी ख्वाहिश को खत्म करे। यह कहना है कि सुपरहिट मूवी थ्री ईडियट्स में आमिर खान के कैरेक्टर फुनसुख वांगडू और रियल लाइफ में सोनम वांगचुक का। जिन्होंने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी और पढ़ाई के नए तौर तरीकों को इजाद किया। रीयल लाइफ के फुनसुख वांगड़ू यानी सोनम वांगचुक ने लद्दाख की शिक्षा प्रणाली की कायापलट कर दी है। वे गुरुवार को विभूतिखंड स्थित सीआईआई ऑफिस में आयोजित प्रोग्राम मीट द रियल लाइफ में अपनी जर्नी को शेयर कर रहे थे।

अभी कायम करने हैं नए आयाम

सोनम वांगचुक के आउट ऑफ बॉक्स आइडिया ने कई लोगों को प्रेरणा दी है। हालांकि वह अभी रुकने के मूड में नहीं हैं। वह आने वाले समय में शिक्षा क्षेत्र में कई और प्रयोग करना चाहते हैं। स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (सैकमोल) के संस्थापक सोनम वांगचुक के अनुसार हिमालय की वादियों में शिक्षा संस्थान शुरू करने का प्लान है। वे हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स की स्थापना करना चाहते हैं, जहां बिजनेस, टूरिज्म आदि की पढ़ाई होगी।

फेल बच्चों से की शुरुआत

उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वह छुट्टी में लद्दाख गए। वहां उस समय 5 प्रतिशत बच्चे ही पास होते जबकि 95 प्रतिशत फेल हो जाते थे। वहां की सरकार व सिस्टम भी फेल होने के पीछे बच्चों पर दोष मढ़ती थी। उन्होंने फेल होने वाले बच्चों के साथ नए तरीके से स्कूल व एजुकेशन की शुरुआत की। कुछ ही साल में नतीजा बिल्कुल अलग था और आज वही बोर्ड परीक्षा में फेल होने वाले बच्चे देश दुनिया में बड़ा नाम कमा रहे हैं।

पहला आइस कोन

2013 की सर्दियों में वांगचुक और उनके छात्रों ने 6 फुट का प्रोटोटाइप स्तंभ बनाया। 3000 मीटर की हाइट पर उनकी टीम इस नदी के बहाव के दबाव के जरिए इसमें से पानी का फव्वारा निकालने में सफल रही। जैसे ही यह पानी बाहर निकल कर जमीन पर गिरता, बर्फ बन जाता।

कैसे होता है इस पानी का इस्तेमाल

सोनम वांगचुक ने बताया कि बसंत के समय में पिघली बर्फ के पानी को टैंकों में इकट्ठा किया जाता है, जिसका इस्तेमाल सिंचाई के लिए होता है। लद्दाख के इस आइस कोन से अभी तक 10 लाख लीटर पानी सप्लाई किया जाता है। ठंडे रेगिस्तान माने जाने वाले लद्दाख में इन कृत्रिम ग्लेशियरों को लद्दाख में स्तूप कहा जाता है।

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दुनिया में बनी पहचान

वांगचुक की खोज के लिए उन्हें रोलैक्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरुस्कार के लिए उन्हें 1 करोड़ रुपये भी दिये गए, जिसका इस्तेमाल वे हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स के लिए कर रहे हैं।

गांव की जिंदगी बेहतर बनाए

सोनम वांगचुक ने सीआईआई के प्रोग्राम में लोगों से कहा कि टेक्नोलॉजी व स्टार्टअप से हम गांव की जिंदगी को बेहतर कर सकते हैं। रोबोट और ड्रोन से हमारे देश का विकास नहीं होता बल्कि हम पश्चिमी देशों के पीछे भाग रहे हैं। देश का विकास करना है तो पहले हम गांव का विकास करें।

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चल रही थर्ड व‌र्ल्ड वार

सोनम वांगचुक के अनुसार कुदरत और कामों के बीच थर्ड व‌र्ल्ड वार चल रही है। थर्ड व‌र्ल्ड वार किसी देश और कामों के बीच नहीं बल्कि हमारी बदलती लाइफ स्टाइल व रहन सहन के तरीकों के चलते होने वाली मौतों के आंकड़े किसी व‌र्ल्ड वार से कम नहीं हैं। जितनी मौतें पहली व दूसरे व‌र्ल्ड वार में हुई, लगभग उतनी मौतें आज कुदरत के चलते हो रही हैं, जिसके जिम्मेदार भी हम हैं।

Posted By: Inextlive