मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोनभद्र कांड के जिम्मेदारों पर गाज गिरानी शुरू कर दी है। सीएम ने यह एक्शन सोनभद्र कांड की जांच को गठित तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद उठाया है।


lucknow@inext.co.inLUCKNOW : सीएम ने सोनभद्र के डीएम अंकित कुमार अग्रवाल और एसपी सलमान ताज पाटिल को हटाने के साथ उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दिए हैं। अंकित अग्रवाल को नियुक्ति विभाग, जबकि सलमान ताज को डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। एस। रामलिंगम को सोनभद्र का नया डीएम और प्रभाकर चौधरी को एसपी बनाया गया है। वहीं जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गये एक दर्जन से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों पर एफआईआर करने और इसकी जांच के लिए एसआईटी गठित की गयी है।इन अफसरों पर भी गाज


सोनभद्र के सहायक अभिलेख अधिकारी राजकुमार को सस्पेंड करने के साथ उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसके अलावा पहले सस्पेंड किए जा चुके तत्कालीन एसडीएम घोरावल विजय प्रकाश तिवारी पर एफआईआर होगी। जबकि पीडि़तों पर दबाव बनाने के आरोप में सीओ घोरावल अभिषेक के खिलाफ एफआईआर के साथ गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी की जाएगी। साथ ही इंस्पेक्टर घोरावल अरविंद कुमार मिश्र, एसआई लल्लन प्रसाद यादव, बीट आरक्षी सत्यजीत यादव के विरुद्ध अपराधियों का साथ देने, पीडि़त पक्ष के खिलाफ अनावश्यक पुलिस कार्रवाई करने, घटना की पूर्व जानकारी होने तथा ग्रामीणों द्वारा घटना की सूचना दिए जाने के बावजूद जानबूझकर घटनास्थल पर समय से न पहुंचने के लिए मुकदमा दर्ज किया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बिना नामांतरण आदेश के पूर्व, विवादित भूमि को खाली कराने के लिए प्रधान पक्ष से 1.42 लाख रुपये जमा कराने के लिए तत्कालीन एएसपी अरुण कुमार दीक्षित के खिलाफ एफआईआर और विभागीय कार्रवाई होगी। सहायक निबंधक कृषि सहकारी समितियां, वाराणसी विजय कुमार अग्रवाल पर भी एफआईआर और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गये है। इसके अलावा तत्कालीन एसडीएम घोरावल मणि कण्डन, तत्कालीन एसओ आशीष कुमार सिंह, शिव कुमार मिश्र और तत्कालीन सीओ विवेकानंद तिवारी व राहुल मिश्रा के खिलाफ भी एफआईआर और विभागीय कार्रवाई होगी।आईएएस की पत्नी पर होगा केस

सीएम योगी ने ग्राम समाज की भूमि को अपने नाम दर्ज कराने पर आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा की पत्नी आशा मिश्रा और आईएएस भानु प्रताप शर्मा की पत्नी विनीता शर्मा उर्फ किरन कुमारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। ग्रामसभा की भूमि समिति के नाम फर्जी रूप से दर्ज कराने के लिए आदर्श कृषि सहकारी समिति, उम्भा के प्राथमिक 12 सदस्यों में से जो जीवित हों, उनके विरुद्ध ग्रामसभा की भूमि हड़पने के लिए एफआईआर दर्ज करायी जाएगी। वर्ष 1989 के तत्कालीन परगना अधिकारी राबट्र्सगंज अशोक कुमार श्रीवास्तव व तहसीलदार जय चंद्र, यदि जीवित हों, तो उन पर एफआईआर होगी। वहीं 17 दिसंबर 1955 को त्रुटिपूर्ण आदेश जारी करने वाले तत्कालीन तहसीलदार राबट्र्सगंज कृष्ण मालवीय पर मुकदमा दर्ज करने का निर्णय नहीं लिया गया है क्योंकि उनके जीवित होने की संभावना कम है। यदि जीवित भी हैं तो इस स्थिति में नहीं होंगे कि उन पर मुकदमा किया जाए।कई नेताओं की भूमिकाउल्लेखनीय है कि आदर्श कोआपरेटिव सोसाइटी बिहार के वरिष्ठ कांगे्रसी नेता तथा यूपी के पूर्व राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह के चाचा महेश्वर नारायण सिंह द्वारा गठित की गयी थी। महेश्वर प्रसाद कांग्रेस पार्टी के बिहार से राज्यसभा सांसद और एमएलसी भी थे। इसके अलावा 17 जुलाई को हुई घटना का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान यज्ञदत्त सपा के पूर्व विधायक रमेश चंद्र दुबे का करीबी है। उसने पिछले चुनाव में सपा का प्रचार भी किया था। प्रधान के भाई को सपा सरकार में सड़क का ठेका भी मिला था।एसआईटी करेगी केसेज की जांचसीएम योगी ने दोषियों पर होने वाली एफआईआर की जांच के लिए एसआईटी के गठन का निर्देश भी दिया है। एसआईटी अध्यक्षता डीआईजी एसआईटी जे। रवींद्र गौड़ करेंगे। उनके साथ एएसपी अमृता मिश्रा और तीन इंस्पेक्टर सारे मुकदमों की विवेचना करेंगे। एसआईटी के कार्य की मॉनीटरिंग डीजी एसआईटी आरपी सिंह को सौंपी गयी है।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि विवाद का मूल कारण वर्ष 1952 में आदर्श कृषि सहकारी समिति का गठन है। इसके जरिए आदिवासियों की 1300 बीघे से ज्यादा जमीन कांग्रेसी नेताओं ने अवैध तरीके से कब्जा की थी। दो साल पहले जब इसे बेचना शुरू किया गया तो विवाद शुरू हुआ और 17 जुलाई को यह घटना हो गयी।प्रधान का साथ दे रही थी पुलिसजांच में सामने आया कि पुलिस प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर गुण्डा एक्ट में कार्रवाई की गयी पर प्रधान पक्ष के लोगों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। इसकी वजह से प्रधान पक्ष के लोगों का मनोबल इतना बढ़ गया कि वे जमीन पर कब्जा करने के लिए हथियारबंद होकर जा धमके।उन्नाव कांड में 17 जगहों पर सीबीआई का छापा- 17 जुलाई को हुआ था सोनभद्र कांड, दस लोगों की हुई थी मृत्यु- 21 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोनभद्र का दौरा किया-  2018 में प्रधान ने राजस्व विभाग और पुलिस की मदद से जमीन पर कब्जे का प्रयास किया था- 11 अपीलें दायर की थी ग्रामीणों ने नामांतरण आदेश के खिलाफ डीएम के समक्ष- 06 जुलाई को डीएम ने इन अपीलों को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था


तीन सदस्यीय कमेटी ने की जांच
दरअसल सोनभद्र कांड के बाद मुख्यमंत्री ने इसकी जांच को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था जिसमें अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार के अलावा प्रमुख सचिव श्रम और कमिश्नर विंध्याचल मंडल थे। कमेटी ने शनिवार को मुख्यमंत्री को अपनी एक हजार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी जिसका मुख्य सचिव ने परीक्षण किया और दोषियों पर गाज गिरनी शुरू हो गयी।नई कमेटी का गठनमुख्यमंत्री ने कहा कि मिरजापुर और सोनभद्र में फर्जी सोसाइटी बनाकर एक लाख हेक्टेयर जमीन कब्जाई गयी है। इनमें से अधिकतर कांग्रेसी नेताओं की है। इसकी जांच के लिए प्रमुख सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी बनाई गयी है जो तीन महीने में अपनी जांच पूरी करके रिपोर्ट देगी। कमेटी में चीफ फॉरेस्ट कंजरवेटर रमेश पांडेय भी शामिल हैं।जमीन बेचने पर शुरू हुआ विवाद Posted By: Shweta Mishra