दिल्‍ली में 15 साल शासन करने वाली कांग्रेस को इस चुनाव में जीरो सीट मिलने से पार्टी में हलचल मची है. वहीं ऐसे में दौर में भी शीला दीक्षित और अजय माकन के बीच होने वाली खींचतान चरम पर है. दोनों ही नेता खुद को अव्‍वल बताकर दूसरे पर ब्‍लेम लगा रहें है. ऐसे में अब इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष को दख़ल देना पड़ा है. सोनिया गांधी ने सख्‍त चेतावनी देते हुए कहा कि हार को लेकर पार्टी के नेता सार्वजनिक तौर पर आपस में तू-तू मैं-मैं करना बंद कर दें.

मुझे तो अजय माकन पर तरस आता
दिल्ली में बुरी तरह से हारने वाली कांग्रेस के नेताओं में उथल पथल मचा है. सभी अपनी अपनी सफाई देने में जुटे हैं. ऐसे में कभी 15 साल तक दिल्ली में मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित ने नतीजे पर पहली बार अपने बयान दिए. जिसमें कांग्रेस का चेहरा बन कर उतरे अजय माकन निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मुझे तो माकन पर तरस आता है. उन्हें दिल्ली में अक्रामक प्रचार करने की जरूरत थी. पार्टी के कामों से जनता को रूबरू कराना था. वह कहती हैं कि उन्हें भी कांग्रेस की हार का अंदाजा पहले ही हो गया था. हालांकि साथ में उन्होंने कांग्रेस का फेवर करते हुए कहा कि पार्टी हारी है लेकिन दिल्ली से खतम नहीं हुई है. पार्टी की आज भी दिल्ली में मजबूत स्िथति है.

आहत अजय माकन कांग्रेस छोड़ सकते
वहीं इस चुनाव में सीएम पद के उम्मीदवार रहे माकन के सूत्रों के मुताबिक शीला के बयान से अजय माकन को बहुत चोट पहुंची है. आहत अजय माकन कांग्रेस छोड़ सकते हैं, हालांकि अजय माकन ने बाद में कहा कि अभी उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है. माकन ने अपने ऊपर लगे आरोप कि उन्होंने शीला को प्रचार से दर रखा था, इस पर भी टिप्पणी दी कि यह सब अफवाह है. वहीं इस पूरे मामले को अरविंदर सिंह लवली ने गंभीरता से लिया और कहा कि वह इस मामले की पूरी हकीकत जानेंगे. इसके बाद वे शीला दीक्षित से भी बात करेंगे कि उन्होंने माकन पर ऐसी बयान बाजी क्योंकि की. इसके पीछे उनका क्या इशारा है.

आपस में बयानबाजी बंद कर दी जाए
ऐसे में कांग्रेस के भीतर उठी आपसी उठापठक की जानकारी सोनिया गांधी तक पहुंच गयी. इस पर सोनिया नाराजगी जतायी. उन्होंने पार्टी नेताओं को चेतावनी दी की पार्टी की इस हार को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी बंद कर दी जाए. पार्टी के नेताओं को यह शोभा नहीं देता कि वह खुलेआम तू-तू मैं-मैं कर रहे हैं. गौरतलब है कि दरअसल कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के बहुत पहले ही खींचतान शुरू हो गयी थी. 2013 की हार के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली बनाये गये थे, लेकिन 2015 में अजय माकन को चुनावी चेहरा बनाकर उतारा गया था. जिससे पार्टी के अंदर ही उठापटक मच गयी थी और दूसरे नेता कम दिलचस्पी ले रहे थे.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh