कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने समलैंगिक संबंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा ज़ाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वयस्क समलैंगिकों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंध को गैर-क़ानूनी करार दिया था.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराशा जताते हुए सोनिया ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि संसद इस मामले पर गौर करेगी.यूपीए की अध्यक्ष ने कहा कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला समझदारी भरा था. उन्होंने कहा, "हाई कोर्ट ने समझदारी के साथ एक पुरातन, दमनकारी और अन्यायपूर्ण कानून को खत्म किया था जो बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन करता था."पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और वृंदा करात सहित कई सांसदों ने सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले पर निराशा जताई है.सर्वोच्च अदालत ने  धारा 377 को दोबारा वैध करार देते हुए कहा है कि इस मसले पर किसी भी बदलाव के लिए अब केंद्र सरकार को विचार करना होगा.पिछड़ गया भारत


केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि इस फ़ैसले के साथ ही भारत वापस 1860 के दौर में चला गया है. पी चिदंबरम ने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा कि एलजीबीटी समुदाय एक ऐसी वास्तविकता है जिसका अस्तित्व शताब्दियों से है.लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर समुदाय को सम्मलित रूप से एलजीबीटी कहा जाता है.सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सोशल मीडिया में कड़ा विरोध किया गया है.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन जुलाई, 2009 को  समलैंगिक संबंधों पर अपने फैसले में कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस प्रावधान से, जिसमें समलैंगिकों के बीच सेक्स को अपराध करार दिया गया है, मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है.इसे भारत में सांस्कृतिक दृष्टि से एक ऐतिहासिक फ़ैसले के रूप में देखा गया था लेकिन कई धार्मिक संगठनों ने इसका विरोध करते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.समलैंगिक यौन संबंधों को ग़ैर कानूनी बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. बहुत से लोगों ने माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर अपना विरोध जताया है.फ़ैसला आने के बाद बीबीसी मॉनिटरिंग सर्विस ने क्रिमसन हेक्सागन टूल की मदद से पहले चार घंटे में ट्विटर पर आई करीब 20 हज़ार भारतीय प्रतिक्रियाओं को आंकने के बाद पाया है कि 90 फ़ीसदी से ज्यादा ट्वीट फ़ैसले के विरोध में आए, जबकि अदालत के फ़ैसले का महज़ तीन फ़ीसदी लोग समर्थन कर रहे हैं.

Posted By: Subhesh Sharma