-दिल्ली एनसीआर से बरेली पहुंचे हजारों लोग

-वाहनों में भूसे की तरह भरकर निकले अपने घरों को

बरेली: पीएम के लॉकडाउन की अपील बेअसर दिख रही है। संकट की घड़ी में लोग किसी तरह से अपने घरों को पहुंचना चाहते हैं। इसलिए वह पैदल ही दिल्ली, एनसीआर से अपने घरों को निकल पड़े। सड़कों पर पैदल जा रहे लोगों को यूपी-दिल्ली बॉर्डर से बसों में जरिए भेजा। ऐसे हजारों लोग बरेली पहुंच गए, जिसके बाद लोग आवश्यक सेवा में लगे वाहनों या प्राइवेट वाहनों में भूसे की तरह भरकर निकल पड़े। कोई वाहन के अंदर बैठा तो कोई वाहन की छत पर चढ़ गया। ऐसे समय पर पुलिस भी मौजूद थी लेकिन लोगों की भीड़ को काबू कर पाना पुलिस के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं था। जिस तरह से वाहनों में सवार होकर लोग अपने घरों को जा रहे हैं उसे देखकर यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल है कि वह सकुशल अपने घर पहुंच सकेंगे भी या नहीं। क्योंकि हादसे का डर बना रहता है। हादसे से बच भी जाएं लेकिन भीड़ में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा भी बना हुआ है।

रोजी-रोटी का संकट

बता दें कि पीएम ने 22 मार्च को जनता कफ्र्यू लगाया था। इसके बाद यूपी, दिल्ली समेत कई राज्यों ने कुछ दिनों का लॉकडाउन किया ताकि कोरोना वायरस न फैल सके तब तक लोगों को उम्मीद नहीं थी कि पीएम 21 दिन का लॉकडाउन घोषित कर देंगे। कोरोना वायरस के चलते सभी उधोग-धंधे बंद हैं। ऐसे में यूपी के अलग-अलग एरिया से काम करने वाले लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। इस संकट की घड़ी में वह खुद को किराये के घरों में कैद नहीं कर सके और अपने पैतृक घर की ओर निकल पड़े। किसी को कोई सवारी मिली तो तो कोई पैदल ही निकल पड़ा।

बीच रास्ते में उतार दिया

पिछले कुछ दिनों से लगातार लोग अपने घरों को पैदल ही जा रहे थे। यही वजह रही कि दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर हजारों लोग इकट्ठा हो गए। एक बार शासन ने आदेश दिया कि जो जहां है वहीं रहे, उनके लिए वहीं ठहरने और खाने का इंतजाम किया जाएगा, लेकिन लोग नहीं माने, जिसके बाद सभी को बसों व अन्य वाहनों से घर पहुंचाने की व्यवस्था की गई। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद से देर रात से हजारों की संख्या में लोग बरेली पहुंचने लगे। किसी को बस ने परसाखेड़ा में उतार दिया तो किसी को शहर के किसी और बॉर्डर पर। इसी तरह से उत्तराखंड से भी लोग विलयधाम के पास पहुंच गए। इसके बाद उन्हें पैदल ही गंतव्य को जाना पड़ा।

प्राइवेट वाहनों को बुलाया

हजारों की संख्या में लोगों के पहुंचने पर पुलिस-प्रशासन के हाथ पैर फूल गए। रात में पुलिस के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन कराते हुए सभी को भोजन उपलब्ध कराया गया और फिर सुबह से ही वाहनों की व्यवस्था करके उन्हें घरों के लिए रवाना किया गया। पुलिस के अधिकारियों ने रोडवेज के अधिकािरयों से भी संपर्क किया लेकिन बसें समय पर नहीं पहुंची तो मजबूरी में पुलिस ने प्राइवेट बसों से लोगों को भेजने की व्यवस्था कराई। इसके अलावा जरूरी सेवाओं में लगे और खाद्य सामग्री लेकर निकले वाहनों में भी लोगों को बैठाकर भेजा गया।

सिलिंडर डिलीवरी वैन में भी बैठे

पुलिस ने भीड़ को कम करने के लिए लोगों को वाहनों में बैठाया लेकिन लोग घर जाने की जल्दी में वाहनों में भूसे की तरह ठूंस ठूंस कर भर गए। महिलाए, बच्चे, बुजुर्ग सब चिपक पर बैठे या फिर खड़े हो गए। बसों के अंदर के अलावा लोग छतों पर भी बैठ गए। गैस सिलिंडर के वाहन पर भी लोग बैठ गए। कुछ लोग सिलिंडर के ऊपर बेठे तो कुछ वाहन की छतों पर बैठ गए। लोगों की बस यही कोशिश थी कि कैसे भी हो जल्दी घर पहुंच जाएं।

दूसरे शहरों के भी पहुंचे बरेली

सैटेलाइट बस अड्डे पर पहुंचने वालों में बरेली के अलावा शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद, इटावा, लखनऊ, बदायूं सहित सीतापुर व गोरखपुर के लोग भी थे। वह जो भी बस मिली उसमें बैठ गए ताकि आधे रास्ते तक पहुंच सकें। उसके बाद जब बरेली से उन्हें किसी वाहन में बैठाया गया तो वह अपने रूट के वाहन में सवार हो गए।

Posted By: Inextlive