लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ से राजनैतिक सफर की शुरुआत करने वाले ब्रजेश पाठक ने कम समय में ही राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। लविवि छात्रसंघ अध्यक्ष के बाद लोकसभा और राज्यसभा सांसद फिर विधायक ब्रजेश पाठक फिलहाल प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। मेहनत को अपना मसीहा मानकर चलने वाले ब्रजेश पाठक वैसे तो मंझे हुए सियासतदां हैं लेकिन उनकी खासियत है कि वे सीधी बात करना पसंद करते हैं। ब्रजेश पाठक के सियासी करियर उनकी पर्सनल लाइफ और कानून मंत्री के तौर पर उनकी भविष्य की योजनाओं को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के सीनियर न्यूज एडिटर धर्मेंद्र सिंह ने विस्तार से बात की...

प्रोफाइल
ब्रजेश पाठक
कैबिनेट मंत्री विधि एंव न्याय, ग्रामीण अभियंत्रण
(कैबिनेट विस्तार से पहले वैकल्पिक ऊर्जा विभाग भी)
जन्म: 25 जून, 1964
जन्म स्थान: मल्लावां, हरदोई
माता: स्व. कमला पाठक
पिता: स्व.  सुरेश पाठक
शिक्षा: बीकॉम, एलएलबी, एमए आर्ट, लविवि
पत्नी: नम्रता पाठक, हाउस वाइफ
सफरनामा
1989 उपाध्यक्ष लविवि छात्रसंघ
1990 अध्यक्ष लविवि छात्रसंघ
2004-14 सांसद-लोकसभा, राज्यसभा
2017-विधानसभा सदस्य, यूपी
सवाल: छात्र राजनीति, विधायक, सांसद और अब मंत्री, कौन सी भूमिका अधिक रास आई?
जवाब: मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1987 में लखनऊ विश्वविद्यालय में विधि संकाय प्रतिनिधि के रूप में हुई। 1989 में लविवि छात्रसंघ का उपाध्यक्ष और फिर 1990 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहा। तब से लेकर आज तक सभी भूमिकाओं में समर्पण भाव से काम किया। मैं मानता हूं जो दायित्व ईश्वर ने सौंपा है, उसमें किसी को भी निराश नहीं करना चाहिये। छात्र राजनीति में भी छात्रों की समस्याओं के लिये संघर्ष करता था। आज भी आम जनता के लिये उनकी कठिनाइयों को दूर करने के प्रयास में सदैव लगा रहता हूं। इस दौरान मैं कभी भी अपने लिये कुछ भी नहीं सोचता। दिनभर आम लोगों की भलाई में लगा रहता हूं, प्रयास यही रहता है कि कोई मुझसे निराश या नाराज न हो। अगर कोई नाराज हो तो मेरी कोशिश रहती है कि उसकी नाराजगी को दूर कर सकूं।

सवाल: आपको गुस्सा आता है कभी?

जवाब: ईश्वर की कृपा से अब मुझे गुस्सा नहीं आता। छात्र राजनीति में छात्रों की समस्याओं को देखकर गुस्सा आता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब तो मुझे लगता है कि सभी मेरे मित्र हैं, और इनकी मदद करना ही मेरा काम है।

सवाल: अब तक की बड़ी उपलब्धि क्या हैं?

जवाब: हमारे पास मित्रों की बहुत बड़ी श्रृंखला है। प्रदेश के सभी जिलों और देश के तमाम प्रदेशों में मित्र हैं। वे हर कदम पर मेरी मदद को तत्पर रहते हैं। इन्हीं के सहयोग से मैं यह सब कर पाया हूं। लखनऊ में चुनाव लड़ा तो तमाम पार्टियों चाहे वह सपा हो, कांग्रेस हो या फिर बीएसपी, में मौजूद मित्रों ने भरपूर मदद की। उन्हीं की वजह से मैं विजयी हुआ और लखनऊ व प्रदेश की जनता की सेवा का मौका मिला।

सवाल: अदालतों में केसेस बहुत पेंडिंग हैं, कानून मंत्री के तौर पर क्या प्लानिंग है?

जवाब: प्रदेश में पेडिंग मुकदमों की संख्या बहुत ज्यादा है। इस वक्त 40 लाख से ज्यादा मुकदमे विभिन्न कोर्ट में लंबित हैं। सबसे बड़ी चिंता थी नए जजेस की नियुक्ति करने की। आंकड़ों पर गौर करेंगे तो हमने आजादी के बाद सबसे ज्यादा 610 सिविल जज जूनियर डिवीजन की नियुक्तियां कीं। इसके अलावा 100 अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों और 100 पद सिविल जज सीनियर डिवीजन के सृजित किये। 110 पारिवारिक अदालतें खोलीं। हमने स्पेशल कोर्ट का भी निर्माण किया है। एससी-एसटी भाइयों के लिये शीघ्र न्याय देने को 25 फास्ट ट्रैक कोर्ट, माताओं-बहनों को शीघ्र न्याय के लिये 100 नये फास्ट ट्रैक कोर्ट खोले। विभिन्न विशेष कोट्र्स भी बनीं। सिविल कोट्र्स में व्यापारिक मुकदमों के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं होता था, इसलिए व्यापारिक मुकदमों की सुनवाई के लिये 13 नये कॉमर्शियल कोर्ट खोले हैं। डिस्ट्रिक्ट जज लेवल के अधिकारियों को तैनात किया जा रहा है। जिससे व्यापारियों को शीघ्र न्याय मिले। माननीय प्रधानमंत्री जी ने 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस ' का सिद्धांत दिया है, उसी के मुताबिक, हमने यह काम किया है।
सवाल: खाली समय में क्या करना भाता है?
जवाब: हमारे पास जब कोई काम नहीं होता तो मित्रों को फोन मिलाकर बात करता हूं और उनसे सुख-दुख साझा करता हूं। जहां तक परिवार को समय देने की बात है तो काम निपटाने के बाद मैं परिवार के साथ रहता हूं। व्यक्तिगत मित्र या परिचित के यहां आयोजन है तो कोशिश होती है कि परिवार संग पहुंचूं।
सवाल: न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास और कैसे सृदृढ़ हो?

जवाब: मुझे लगता है पूरी दुनिया में भारत की न्यायपालिका और देश में यूपी की न्यायपालिका का बहुत बड़ा सम्मान है। आप देखते होंगे जब पीडि़त व्यक्ति आता है, उसको सब जगह से ठोकरें मिलती हैं और उसे न्याय नहीं मिलता तो हमारी न्यायपालिका उसे सम्मान और इंसाफ देती है। हमारी न्यायपालिका बहुत ही सुदृढ़ है और हमारी उत्तर प्रदेश की न्यायपालिका ने देश की प्रधानमंत्री को भी न्याय के कठघरे में लाने और दंड देने का काम किया है। उन्हीं की वजह से लोकतंत्र का यह स्तंभ स्थायी रूप से बेहतरीन काम कर रहा है।



सवाल: बच्चे आपकी सियासी विरासत संभालेंगे?

जवाब: हमारे बच्चे पढ़ाई में काफी तेज हैं। बड़ी बेटी चारू बीटेक कर रही है, छोटी बेटी शांभवी लॉ कर रही है जबकि बेटा कार्तिक अभी 8वीं की पढ़ाई कर रहा है। उनको कौन सा करियर चुनना है, यह उनका फैसला होगा। मेरा काम उन्हें सभी तरह की सुख-सुविधाएं देने का है, जिसे देने का प्रयास मैं करता हूं।

सवाल: खुद की सेहत कैसे मेंटेन करते हैं?

जवाब: पहले मैं मॉर्निंग वॉक करता था, लेकिन अब सुबह पूरे प्रदेश की जनता मिलने आ जाती है तो यह संभव नहीं हो पाता। अब मैं दिनभर का अपना काम निपटाने के बाद जब शाम को 5।30 बजे के करीब वापस घर पहुंचता हूं तो खुद को फिट  रखने के लिये एक्सरसाइज जरूर करता हूं। स्वस्थ रहने के लिये सभी को एक्सरसाइज जरूर करना चाहिये। बेहतर रिजल्ट के लिए हेल्दी रहना बहुत अहम है।
सवाल: नई पीढ़ी को क्या सीख देना चाहेंगे?
जवाब: मैं मानता हूं कि अपने उद्देश्य के प्रति सजग भाव से लगे रहो, सफलता अपने आप मिलेगी। अगर आप उद्देश्य से भटकेंगे तो मुश्किल आएगी। मान लीजिए आपने जीवन के 10 साल पत्रकारिता कर ली, फिर 10 साल राजनीति की और फिर 10 साल बिजनेस किया तो मैं इसे ठीक नहीं मानता। जो फील्ड आपको पसंद है, बस लगे रहिये। बाकी ईश्वर की देन होती है और सफलता भी वही देता है।

सवाल: कहा जाता है देर से न्याय मिलना न्याय न मिलने के बराबर है?
जवाब: अभी तक एनडीपीएस कोर्ट निर्धारित किये हैं। इसके अलावा कोर्ट को आधुनिक बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत हाईकोर्ट की इलाहाबाद व लखनऊ की एक सिंगल व एक डबल बेंच को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत किया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में मुकदमों को वापस लिया है। कई गलत मुकदमे दर्ज हो गए, परिणाम उसमें निकलने वाला नहीं। जैसे तमाम मुकदमों में वादी या प्रतिवादी की मृत्यु हो गई, गवाहों के ट्रांसफर हो गए या उनका कोई अता-पता नहीं, कई ऐसे मुकदमे जो सिर्फ राजनीतिक रंजिश की वजह से दर्ज हुए, उन सभी को वापस लिया जा रहा है। जो कोई भी पॉलीटिकल व्यक्ति मेरे समक्ष आवेदन करता है कि उसके खिलाफ रंजिशन झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया तो उसका परीक्षण कराकर मुकदमा वापसी की कार्यवाही की गई है। इन मुकदमों की संख्या बहुत ज्यादा है। पहले मुकदमे वापस लेने का अधिकार शासन के पास था, लेकिन एक सप्ताह पहले हमने यह निर्णय लिया है कि इसका अधिकार डीएम को दिया जाए। अगर डीएम से मिलकर कोई कहता है कि उसके खिलाफ पुलिस ने गलत मुकदमा दर्ज कर लिया तो वे परीक्षण कर शासन को रिपोर्ट भेजेंगे तो वह मुकदमा बिना देरी के वापस ले लिया जाएगा।
सवाल: वैकल्पिक ऊर्जा इस दौर की जरूरत बन रही है, क्या कुछ बदल रहे हैं?
जवाब : जब प्रदेश में हमारी योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में सरकार बनी उस वक्त प्रदेश में पांच साल का वैकल्पिक ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य सिर्फ 500 मेगावॉट था। इस नीति को हमने बदल दिया, 10700 मेगावॉट वैकल्पिक ऊर्जा का लक्ष्य तय किया। इसमें 4600 मेगावॉट सोलर रूफटॉप से और बाकी 6300 हम सोलर पावर प्लांट से उत्पादन करेंगे। इसके लिये (सोलर पावर प्लांट) 1000 मेगावॉट के टेंडर हमने पूरे कर लिये और काम भी शुरू हो चुका है। बाकी के टेंडर की प्रक्रिया जारी है और उन्हें 2022 तक टेंडर्स का काम पूरा कर लिया जाएगा। अगर कोई घरेलू सोलर रूफ टॉप पैनल लगवाना चाहता है तो हमने सब्सिडी का भी प्रावधान किया है। पहले केंद्र सरकार की ओर से 20 प्रतिशत सब्सिडी मिलती थी, लेकिन, अब केंद्र सरकार ने सब्सिडी की दर को रिव्यू कर बढ़ाया है।  अगर कोई शख्स तीन किलोवॉट से अधिक का प्लांट लगाता है उसे 20 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। इसके अलावा अगर 3 किलोवॉट से कम का प्लांट लगाता है, उसे 40 प्रतिशत सब्सिडी भारत सरकार की ओर से मिलेगी। प्रदेश सरकार की ओर से भी 15 हजार रुपये प्रति किलोवॉट और अधिकतम 30 हजार रु  अतिरिक्त सब्सिडी देगी। घरों में जो सोलर पावर प्लांट लगवाना चाहते है, व्यवस्था ऑनलाइन की है। यूपी नेडा की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा। आवेदन 70 दिनों तक वैलिड रहेगा और प्लांट लगने के बाद सब्सिडी बैंक अकाउंट में आ जाएगी। इसमें खास बात है कि अगर बिजली को कंज्यूम नहीं किया तो अतिरिक्त बिजली स्मार्ट मीटर के जरिए खरीद भी लेंगे। बिजली 1.90 रुपया प्रति यूनिट से खरीदी जाएगी।

 

 

 

Posted By: Shweta Mishra