- महाअष्टमी पर देवी पंडालों में हुई विशेष पूजा-अर्चना

- मंदिरों एवं घरों में खूब लगे माता के जयकारे

LUCKNOW: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी को मंदिरों, घरों एवं देवी पंडालों में महाअष्टमी की पूजा विधि विधान के साथ की गई। संडे को मां का महागौरी स्वरूप में पूजन किया गया। मंदिरों में भक्त हाथ में पूजा की थाल लिये मां की पूजा के लिए लाइन में खड़े नजर आए। वहीं कई जगहों पर कंजिकाओं को भोज कराया गया। दुर्गा पंडालों में संधि पूजन के बाद भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया। पूरे दिन मंदिर और देवी पंडाल घंटा-घडि़याल की आवाज से गूंजते रहे।

खूब बंटा प्रसाद

चंद्रशेखर आजाद पार्क अलीगंज, सहारा स्टेट, ब्रह्मापुरी, रविंद्रपल्ली, भूतनाथ मार्केट, बंगाली क्लब सहित अन्य दुर्गा पंडालों में सोंधी पूजा का आयोजन संडे को किया गया। जहां महिलाओं ने पारंपरिक बंगाली परिधानों में मां की पूजा-अर्चना की। वहीं 108 भगवान का आह्वाहन व पूजा-पाठ के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। कहीं पुलाव, सब्जी-पूड़ी तो कही छोला-चावल आदि का वितरण किया गया। जिसके लिए लंबी कतारे नजर आईं।

ढाक की थाप पर खूब थिरके

संडे शाम से पंडालों में देवी गीत और संगीत की धुन गूंजना शुरू हो गई थी। रंगीन रोशनी में नहाये पंडाल किसी देवलोक से कम नहीं लग रहे थे। ढाक की थाप पर धुनुचि नृत्य लोगों में जोश भरने का काम कर रहा था। सामने मां की भव्य मूर्ति देखकर लग रहा था कि मां साक्षात अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए विराजमान हैं। सभी पंडालों में यंगस्टर्स जहां मां की प्रतिमा के साथ सेल्फी लेते दिखाई दिए, वहीं बच्चे खिलौने की दुकानों में खरीदारी करते नजर आए।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

वहीं शनिवार की रात जगह-जगह पंडालों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसके तहत कई तरह के म्यूजिकल शो, मैजिक शो, डांस शो सहित कई कंप्टीशन का आयोजन किया गया। जहां बच्चों की शानदार प्रस्तुतियों ने सबका दिल जीत लिया है।

आज सिद्धिदात्री की पूजा

नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। जहां कंजिका पूजन के साथ व्रत समाप्त किया जाता है और हलवा-चना और पूड़ी का भोग लगाया जाता है। नवमी के दिन मां की आराधना करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले कलश पूजा व उसमें स्थापित सभी देवी-देवताओं का ध्यान करने के बाद माता के मंत्रों का जाप करते हुये पूजा करें। इसके साथ माता सिद्धिदात्री को नवाह्न प्रसाद, नौ प्रकार के फूल व फल अर्पित करें। इस दिन नौ कन्याओं को घर में भोग लगाने से मां की विशेष कृपा मिलती है।

कंजिका पूजन का महत्व

नवरात्रि के दौरान नौ दिन तक पूजन-व्रत और हवन करने के बाद कन्या पूजन का विशेष महत्व है। आज घरों, मंदिरों और पंडाल में कंजिका पूजन का आयोजन होगा। माना जाता है कि पूजा-पाठ से ज्यादा मां कंजिका पूजन करने से प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी करती हैं।

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कुमारी पूजन ने विशेष लाभ

दो वर्ष से 11 वर्ष तक की कन्या के पूजन का विधान है। दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शांभवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। कुमारी पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है और विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है।

Posted By: Inextlive