जिस तरह हमारे प्रियजनों के शरीर उनके जीवन के दौरान कई बार बदलते हैं। वैसे ही मृत्यु के बाद भी शरीर फिर से रूप बदल लेता है। यह पृथ्वी पर वापस चला आता है लेकिन आत्मा कहीं नहीं जाती है। आत्मा ना ही कभी पैदा होती है और ना ही कभी मरती है।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। किसी प्रियजन की मृत्यु होने पर हमें इस बात को भूलना नहीं चाहिए कि जब वे जिंदा थे, तब हम उनकी आत्मा से प्यार करते थे, हम उनकी बॉडी से प्यार नहीं करते थे। वह उनकी आत्मा थी, वह उनका सार था, जिसे आप प्यार करते थे। अगर वे प्लास्टिक सर्जरी करवाते और अलग दिखते फिर भी हम उनको प्यार करते। अगर उनका एक हाथ भी ना होता, तब भी आप उनको प्यार करते। आप जिसे प्यार करते थे, वह उनकी सार और आत्मा थी और वह हमेशा जिंदा रहेगी, यहां तक के उनके मरने के बाद भी।

अपने आसपास या किसी प्रियजन के मृत्यु की गोद में समाने वालों के जाने के दर्द को कैसे सहा जा सकता है?
जिस तरह हमारे प्रियजनों के शरीर उनके जीवन के दौरान कई बार बदलते हैं। वैसे ही मृत्यु के बाद भी शरीर फिर से रूप बदल लेता है। यह पृथ्वी पर वापस चला आता है, लेकिन आत्मा कहीं नहीं जाती है। आत्मा ना ही कभी पैदा होती है और ना ही कभी मरती है। इसलिए जो तुम्हारे प्रियजन थे, वह अभी भी यहां पर हैं। खुद को उस कनेक्शन को महसूस करने दीजिए। हालांकि यह काफी दुख की बात है कि हमारा कल्चर इस भावना को बढ़ावा देता है कि हमारे प्रियजन हमें छोड़कर कहीं चले गए हैं। आप अगर यह कहते हैं कि ओह, मैं तो अभी भी उन्हें सुन सकता हूं, वे अभी भी मुझसे बात करते हैं, तो लोग आपको यह समझाएंगे कि इससे बाहर आओ। लेकिन सच्चाई यही है कि आप उन्हें सुन सकते हैं। आप उन्हें अपने कानों से नहीं सुनते हैं, बल्कि यह उनके अंदर की आवाज है, जो कि अभी आपके आंतरिक कानों में है।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari