श्रीलंका में सत्ता परिवर्तन के बाद दो दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचे पोप फ्रांसिस ने नई सरकार से लिट्टे के साथ हुए गृहयुद्ध का पूरा सच सामने लाने की अपील की है. उन्होंने सभी धार्मिक समुदायों के बीच सामंजस्य और मानवाधिकारों के सम्मान की जरूरत पर बल दिया. पोप के इस बयान ने श्रीलंका सरकार की परेशानी बढ़ा दी है. लिट्टे के साथ लड़ाई के दौरान श्रीलंका सरकार और सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं.

सच सामने लाना भी जरूरी
पोप फ्रांसिस जनवरी, 1995 के बाद श्रीलंका दौरे पर आए पहले पोप हैं. श्रीलंका पहुंचते ही पोप ने कहा, "लोगों के घाव भरने की प्रक्रिया के बीच सच सामने लाना भी जरूरी है. इसका उद्देश्य पुराने घावों को कुरेदना नहीं बल्कि न्याय और एकता को बढ़ावा देना है."भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर नवनियुक्त राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेना से मुलाकात के बाद पोप ने कहा, "पुनर्निर्माण की महान प्रक्रिया में ढांचागत सुधार और भौतिक जरूरतों को पूरा करना अहम है, लेकिन इसके साथ ही मानवाधिकारों का सम्मान और समाज के सभी वर्गों का समन्वय भी जरूरी है."

कोई टिप्पणी नहीं की
पोप ने हालांकि युद्ध अपराध मामले में श्रीलंका द्वारा संयुक्त राष्ट्र की जांच में सहयोग न करने के मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की. लेकिन, पोप का यह बयान नई सरकार के लिए परेशानी वाला माना जा रहा है. इस मौके पर राष्ट्रपति सिरिसेना ने कहा कि उनकी सरकार लोगों में शांति और मैत्री को बढ़ावा देने में भरोसा रखती है.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh