अपने देश्‍ा के बाहर पासपोर्ट कितना जरूरी होता है ये तो सभी को मालूम है. वहीं देश के बाहर काम करने वालों को तो इसका और भी ज्‍यादा खास ख्‍याल रखना पड़ता है. ऐसे में स्थिति यह होती है कि पासपोर्ट वापस न मिले तो घर वापसी किसी भी कीमत पर संभव नहीं होती है. इसके साथ ही पेंच होते हैं कई नये नियम कायदे और कानूनों के. कुछ इसी क्रम में एक लंबे समय से श्रीलंका की भुवलका स्‍टील कंपनी में भी भारतीय मजदूरों के फंसे होने की खबर सुनने को मिल रही थी. वहीं अब एक राहत वाली खबर यह है कि कंपनी उन्‍हीं भारतीय मजदूरों को अब पासपोर्ट देने को तैयार हो गई है.

क्या है कहना कंपनी के एमडी का  
सूत्रों की मानें तो कंपनी के एमडी सुशील भुवलका ने बताया कि कर्मचारियों से हुए करार के अनुसार अगर कोई मजदूर छह महीने का नोटिस दिए बगैर ही नौकरी छोड़कर जाता है, तो उसे सिर्फ और सिर्फ पासपोर्ट वापस दिया जाएगा. हम उसे देने के लिए हर तरह से तैयार हैं. हालांकि ऐसी स्थिति में कंपनी ने वेतन और अन्य सुविधाएं देने से बिलकुल इंकार कर दिया है. कंपनी का कहना है कि भारतीय मजदूरों के इस तरह अचानक काम छोड़कर जाने से कंपनी का बहुत ज्यादा घाटा हो रहा है.
मजदूर ने अधिकारी से लगाई गुहार
उधर, दूसरी ओर अन्य सूत्रों की मानें तो जानकारी देते हुए आजाद आलम नाम के मजदूर ने बताया है कि भारतीय उच्चायुक्त के दो अधिकारी उनके पास आए थे.  उस समय उन्होंने अधिकारियों से मांग की कि हमारा दो महीने का बकाया वेतन दिलाया जाए और उसके बाद उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए.
 
कंपनी नहीं दे रही मजदूरों के खाने तक के पैसे  
जानकारी है कि श्रीलंका में काम करने वाले ये मजदूर मुख्य रूप से बंगलुरु के हैं. 2014 जून में श्रीलंका में काम के लिए गए 77 मजदूरों में ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं. स्टील मेंल्टिंग सोप (एसएमएस) में काम करने के लिए गए इन मजदूरों ने कंपनी पर आरोप लगाया है कि कंपनी उनसे 140 टन का प्रोडक्शन करने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाती है. इन लोगों में इतना प्रोडक्शन कर पाने की क्षतमा नहीं है. इसको देखते हुए कंपनी ने उनका दो महीने का वेतन अभी अपने ही पास रोक कर रखा है. इतना ही नहीं उनके खाने तक के पैसे रोक रखे हैं.

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Posted By: Ruchi D Sharma