आशुतोष महाराज के अंतिम संस्कार को लेकर जालंधर में पुलिस व समर्थक आमने सामने
कोर्ट ने दिया 15 दिन का समय
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने आशुतोष महाराज का 15 दिनों में अंतिम संस्कार कर देने का हुक्म दिया है. जिसके बाद से पुलिस प्रशासन इस मामले में पूरी तरह से सक्रिय हो गई है. इस संबंध में डीसी केके यादव व एसएसपी नरिंदर भार्गव ने स्पष्ट तौर पर कहा कि संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. अदालत के आदेश का पालन किया जाएगा. उधर संस्कार के लिए गठित कमेटी के कुछ सदस्यों को साथ लेकर डीसी व एसएसपी ने कल संस्थान का दौरा किया और सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल भी की है. समाधि और अंतिम संस्कार की का पेंच तब उलझा जब खुद महाराज के बेटे दिलीप कुमार झा ने इस सिलसिले में हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर अपने पिता की लाश उन्हें सौंपने की मांग की. उन्होंने कहा था कि उन्हें अपने पिता के अंतिम संस्कार के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. जिस पर हाई कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी
महाराज फिर हाजिर होंगे
महाराज के भक्तों ने हाई कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद से आशुतोष महाराज के समर्थक भड़के हुए और उन्होंने आश्रम की सिक्योरिटी और भी ज्यादा कड़ी कर दी है. समर्थकों और आश्रम के सुरक्षा गार्डों ने अपनी मर्जी से आश्रम के रास्ते सील कर दिए हैं. यहां तक कि पुलिस को भी आश्रम तक पहुंचने में मशक्कत करनी पड़ रही है. समर्थकों का कहना है कि वे किसी भी हाल में शव को नहीं ले जाने देंगे. उनका कहना है कि महाराज खुद अपनी मर्जी से गहरी समाधि में लीन हैं. और ऐसे में उनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उसके बारे में सोचना भी नामुमकिन है और महाराज के इन्हीं भक्तों ने उनकी लाश को एक फ्रीज़र में रखा है. इस उम्मीद से कि कभी किसी रोज़ महाराज समाधि से बाहर निकलेंगे और फिर से अपने भक्तों के बीच फिर से हंसते-खेलते हाज़िर हो जाएंगे.
कोर्ट का फैसला सहीं नहीं
सबसे खास बात यह है कि सरकार ने महाराज की लाश को ही ज़ेड प्लस सिक्योरिटी दे रखी है. ऐसे में अगर सरकार उनकी लाश को आश्रम से निकालना चाहती है, तो पहले उनकी लाश के पास से सिक्योरिटी कवर हटाना ज़रूरी है. हालांकि भक्तों की आस्था अपनी जगह है और विज्ञान और क़ानून अपनी जगह. एक तरफ डॉक्टर जहां आशुतोष महाराज के जिस्म की जांच कर उन्हें 29 जनवरी 2014 मुर्दा करार दे चुके हैं. वहीं दूसरी ओर संस्थान के प्रवक्ता स्वामी विशालानंद का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला बिल्कुल गलत है. इसे किसी भी कीमत में नहीं माना जाएगा. हम लोग इस फैसले के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों वाली पीठ में अपील करेंगे और संविधान ने हमें इसका अधिकार दिया है.