ह्यूमन लाइफ व एन्वॉयरमेंट के लिए हार्मफुल प्लास्टिक को जड़ से खत्म करने की तमाम कोशिशें समय- समय पर होती ही रही हैं. कभी उसकी री- साइकिलिंग से उसे बेनिफीशियल बनाकर तो कभी उसका सबस्टीट्यूट उतारकर। दिल्ली में 'शायना इको यूनीफाइड' का स्टार्टअप भी इसी क्रम में एक बड़ी पहल है जो प्लास्टिक से बना रहे हैं ज्यादा टिकाड्ड और खूबसूरत टाइल्स।


कानपुर (फीचर डेस्क)। प्लास्टिक को यूजेबल फॉर्म में डेवलप करते हुए दिल्ली के पारस सलूजा और संदीप नागपाल इस समय इससे टाइल्स बनाने का काम कर रहे हैं। इस बारे में पारस कहते हैं कि प्लास्टिक को री-साइकिल कर बनाए गए ये टाइल्स बेहद मजबूत और टिकाऊ होने के साथ ही बेहद खूबसूरत भी हैं। कुछ इस तरह से शायना इको यूनीफाइड नाम से अपनी कंपनी शुरू करके पारस और संदीप पॉल्यूशन को बढ़ाने वाली प्लास्टिक से भी नए मौके तैयार कर रहे हैं। ऐसे हैं ये टाइल्स
शायना इको यूनीफाइड इंडिया ने खुद को एक ऐसे ऑर्गनाइजेशन के रूप में डेवलप किया है, जिसने अपने अस्तित्व में आने के बाद से 11 लाख कलर्ड टाइल्स बनाने के लिए करीब 340 टन प्लास्टिक के कचरे का इस्तेमाल किया है। संदीप बताते हैं कि उनके टाइल्स एंटी- स्टैटिक, एंटीमाइक्रोबियल और जीवाणुरोधी हैं, जिनकी हीटिंग केपेसिटी 140 डिग्री सेल्सियस व कूलिंग 25 डिग्री तक है। पारस 2015 में एवरेस्ट बेस कैंप पर गए थे. यहां उन्होंने देखा कि कैसे प्लास्टिक कचरे ने आसपास के एटमॉस्फेयर को खराब कर दिया था. यहीं से उन्होंने कुछ कर दिखाने की ठानी और कुछ दिनों बाद उन्होंने अपनी वियतनाम की यात्रा के दौरान इसका एक सॉल्यूशन भेजा, जहां उन्होंने देखा कि शहरों की केयर कैसे की जा सकती है। भारत वापस आकर उन्होंने केमिकल्स पर रिसर्च की और एक्सपर से हेल्प ली।सामने आए चैलेंजेस भीपारस कहते हैं कि उनके स्टार्टअप को कई चैलेंजेस भी फेस करने पडे़। हांलांकि उनके कलरफुल टाइल्स को लोगों ने खूब पसंद किया, फिर बीच में इसकी सेफ्टी को लेकर कॉन्ट्रोवर्सीज भी जवाब में कंपनी की ओर से इसके डिमॉन्सट्रेशंस दिए गए और लोगा को इस बात का यकीन दिलाया गया कि प्लास्टिक से बने इन टाइल्स की उम्र कम से कम 50 साल की तो है ही।features@inext.co.inStartup Idea: ह्यूमिडिटी से पीने लायक पानी बनाता है 'एडब्ल्यूजी', प्रति दिन 30 से 1000 ली. है प्रोडक्शन

Posted By: Vandana Sharma