ई-वे बिल में पकड़ा गया है ऑनलाइन फर्जीवाड़ा

-26 फर्मो के जरिये चप्पल की बिक्री दूसरे स्टेट्स में दिखाई गई

देहरादून, स्टेट टैक्स डिपार्टमेंट ने जीएसटी में 8500 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा पकड़ा है। फाइनेंस सेक्रेटरी के निर्देशन में जीएसटी कमिश्नर ऑफिस ने सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए ई-वे बिल में करीब 8500 करोड़ रुपए के ऑनलाइन फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। 70 फर्मो ने गत दो माह में अवैध तरीके से स्टेट के भीतर और बाहर करीब 8500 करोड़ रुपए के ई-वे बिल बनाए। दिलचस्प ये है कि इन 70 में से 34 फर्म दिल्ली से मशीनरी और कंपाउंड दाना की खरीद के बिल बना रही थीं। जबकि 26 फर्मो के माध्यम से चप्पल की बिक्री दूसरे स्टेट्स में दिखाई गई।

70 फर्मो पर छापेमारी

स्टेट टैक्स डिपार्टमेंट ने अजीब तरह के मामले का भंडाफोड़ किया है। बताया गया है कि इस फर्जीवाड़े की आंच उत्तराखंड के अलावा दिल्ली, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र व राजस्थान तक पहुंच रही है। फाइनेंस सेक्रेटरी के निर्देश पर मंडे को टैक्स कमिश्नर जीएसटी की 55 टीमों ने कुल 70 फर्मो पर छापेमारी की। जिसमें ऊधमसिंह नगर में 68 व देहरादून के दो फर्म शामिल हैं। इनके कार्यालयों पर पांच दर्जन टीमों ने छापेमारी की। व्यापार स्थल पर किए गए सर्वे में इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। फाइनेंस सेक्रेटरी व टैक्स कमिश्नर सौजन्या ने बताया कि छापेमारी के दौरान मौके पर न कोई फर्म मिली, न ही कोई रजिस्टर्ड व्यक्ति। सौजन्या ने बताया कि अभी जांच जारी है। जांच पूरी होने के बाद इन स्टेट्स को रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी।

नॉर्थ-ईस्ट के व्हीकल्स

टैक्स कमीश्नर ने बताया कि स्टेट में कुछ लोगों ने जीएसटी के तहत फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन करवाकर ई-वे बिल के करोड़ों रुपये के कारोबार को दिखाया। जबकि जांच में पता चला है कि 70 में से 34 फर्म ने दिल्ली से मशीनरी और कंपाउंड दाना की खरीद के 1200 करोड़ मूल्य के ई-वे बिल बनाए। इसके बाद फर्मो ने उक्त सामान की आपस में खरीद-बिक्री के साथ प्रदेश के बाहर की फर्मो को भी खरीद व बिक्री दिखाई, जिससे बिल की धनराशि करीब 8491 करोड़ तक पहुंच गई। फर्जी तरीके से बनाए गए ई-वे बिल में यूज किए व्हीकल्स में जांच में पूर्वोत्तर राज्यों में रजिस्टर्ड पाए गए। व्हीकल्स की जांच में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की हेल्प ली गई। इसके अलावा सभी फर्मो का किरायानामा नोटरी करने वाले नोटरी के प्रतिष्ठान पर भी एक टीम जांच पर जुटी हुई।

21 मोबाइल्स नंबर किये यूज

टैक्स कमिश्नर ने बताया कि कुल 80 लोगों ने 21 मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी का प्रयोग करते हुए दो-दो की पार्टनरशिप में 70 फर्म रजिस्टर्ड की। रजिस्ट्रेशन में दिए गए डिटेल के मुताबिक सभी पार्टनर हरियाणा व दिल्ली के रहने वाले हैं। जबकि एक व्यक्ति ने अलग-अलग नाम से अलग-अलग फर्मो में साझेदारी की है। किराए पर लिए गए स्थान का किरायानामा और बिजली का बिल लगाया गया है। जांच से पता चला कि मकान मालिक ने इस तरह का करार किसी फर्म से नहीं किया है। जांच में टीम को पता चला कि मकान मालिक ने किसी तरह का कोई करारनामा नहीं किया है।

जीएसटी का पूरा लाभ उठाया

जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद ही रजिस्ट्रेशन प्राप्त करने व वे-बिल बनाने की प्रक्रिया सरल हो गई है। यही वजह है कि इन फर्म संचालकों इसका पूरा लाभ उठाया।

12 डिप्टी कमिश्नर जुटे रहे

बताया गया कि राज्य की अब तक की सबसे बड़े जीएसटी फर्जीवाड़े कार्रवाई में 12 डिप्टी कमिश्नर, 55 असिस्टेंड कमिश्नर व 55 स्टेट टैक्स ऑफिसर्स शामिल रहे। जबकि हेडक्वार्टर लेवल पर 10 अधिकारियों की एक कोर टीम गठित की गई। बताया जा रहा है कि इसके लिए लंबे समय से ये शिकायत मिल रही थी। इसके बाद 15 दिनों से इस पर लगातार सर्वे का काम जारी था।

जीएसटी ऑफिसर्स की नजर

स्टेट टैक्स कमिश्नर सौजन्या व सीजीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर अमित गुप्ता ने कहा कि उत्तराखंड में इस प्रकार के फर्जी तरीके से व्यापार करने वाले व्यापारियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। जिसमें स्टेट टैक्स व सीजीएसटी की इनफोर्स टीमें लगातार नजर रखे हुए हैं।

Posted By: Inextlive