संगठित डकैत गिरोहों के सफाये में यूपी एसटीएफ ने झंडे गाड़े लेकिन शहरों की घटनाओं के खुलासे में फिसड्डी। राजधानी लखनऊ की दर्जनों वारदातें कर रहीं हैं अपने अंजाम का इंतजार।

 

LUCKNOW: संगठित अपराधों पर नकेल कसने के लिये गठित यूपी एसटीएफ की एंटी डकैती सेल ने बीहड़ में तो अपनी धमक साबित कर दी लेकिन, राजधानी में उसकी चमक फीकी ही नजर आ रही है। आलम यह है कि राजधानी में औसतन हर बीस दिन में किसी न किसी इलाके में डकैती की घटना हो रही लेकिन, डकैतों का सुराग लगा पाने में एसटीएफ की एंटी डकैती सेल नाकाम है। वजह भी साफ है, जहां इन घटनाओं के खुलासे के लिये एसटीएफ लखनऊ पुलिस को जिम्मेदार बताती है, वहीं राजधानी पुलिस ऐसे अपराधों के लिये एसटीएफ की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देखती है।

 

बड़े डकैतों को चटाई धूल

यूपी एसटीएफ की एंटी डकैती सेल ने चंबल के बीहड़ में बड़े डकैतों को धूल चटाई है। निर्भय गुर्जर हो, ठोकिया हो या फिर गोपा यादव, एसटीएफ ने उन्हें धूल चटाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। इसी का नतीजा है कि अब चंबल में बबुली कोल सरीखे इक्का-दुक्का गैंग ही सक्रिय हैं। हालांकि, राजधानी में बीते दो साल में दर्जन भर से ज्यादा डकैती की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन वारदातों में तीन लोगों की जान चली गई जबकि, दर्जनों लोगों को डकैतों ने घायल कर दिया। इन सनसनीखेज वारदातों ने राजधानी को हिला कर रख दिया। बावजूद इसके इन घटनाओं को अंजाम देने वाले डकैतों तक एसटीएफ के हाथ नहीं पहुंच सके। नतीजतन, ऐसी वारदातों की रफ्तार में तेजी आती गई।

 

असंगठित गैंग पर कार्रवाई में नाकाम

एसटीएफ की एंटी डकैती सेल की कार्रवाई पर गौर करें तो असंगठित डकैतों के गिरोहों पर कार्रवाई या उनकी सूचनाएं जुटाने में उसे नाकामी ही हाथ लगती है। राजधानी में बीते दो साल में दो दर्जन से अधिक वारदातों के खुलासे न हो पाना इसी ओर इशारा करता है। यह नतीजा तब है जब एसटीएफ को तमाम संसाधन व अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराए गए हैं। राजधानी में तैनात एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि संगठित गिरोहों पर नकेल कसने, डकैती जैसी जघन्य वारदातों के लिये ही एसटीएफ का गठन किया गया लेकिन, वह शहरों में होने वाली डकैती की घटनाओं के खुलासे में दिलचस्पी नहीं दिखाती। सीधी जवाबदेही न होने की वजह से कोई इस पर सवाल भी नहीं करता।

 

जोन और रेंज के अफसर भी जिम्मेदार

दरअसल डकैतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का जिम्मा जोन और रेंज के अफसरों का भी है। काकोरी में जिस तरह डकैतों ने घटना अंजाम दी, उससे साफ है कि वे आसपास के जिलों से आए थे। लखनऊ में आमतौर पर सीतापुर, हरदोई, बाराबंकी, लखीमपुर के डकैत वारदात अंजाम देते रहे हैं। इनके खिलाफ जोन स्तर पर कोई ठोस अभियान नहीं चलाए जाने की वजह से डकैतों का वजूद आज भी कायम है।

Posted By: Inextlive