-बीजेपी ने की राज्यपाल से कैबिनेट के निर्णय पर रोक की मांग

-प्रदेशभर में भाजपा कार्यकर्ताओं का विरोध-प्रदर्शन

-राज्यपाल से स्टिंग की सीबीआई जांच की संस्तुति वापस लेने की मांग, ज्ञापन सौंपा

DEHRADUN: मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले पर रविवार को राज्य कैबिनेट द्वारा सीबीआई की संस्तुति वापस लिए जाने पर राज्यभर में बवाल मच गया है। देहरादून से लेकर गढ़वाल, कुमाऊं के जिला मुख्यालयों पर भाजपा कार्यकर्ता विरोध में उतर आए हैं। वहीं जानकार भी मंत्रिमंडल के इस फैसले को वैधानिक नहीं मान रहे हैं। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने भी कहा है कि प्रदेश की कैबिनेट को आखिर किसने यह राय दी है।

प्रदेश भर में गरमाई राजनीति

मुख्यमंत्री हरीश रावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में राजनीति गरमा गई है। भाजपा कार्यकर्ता सड़कों पर आ गए हैं। प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश प्रवक्ता मुन्नासिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री के विरुद्ध कोई भी जांच राज्यपाल की अनुमति पर ही होती है। सीबीआई जांच की जो सिफारिश राज्यपाल द्वारा की गई है, उसे मुख्यमंत्री या उनकी कैबिनेट कैसे वापस ले सकती है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का निर्णय राज्यपाल का अपमान करता है। उन्होंने कहा कि राज्य कैबिनेट का यह फैसला सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री के दोरजी व मरियम बनाम केरल सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए क्रमश: क्99ब् व क्998 के फैसलों की अवहेलना भी करता है। मुन्ना सिंह चौहान ने प्रश्न किए कि पूर्व में किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार रहने की बात कहने वाले सीएम हरीश रावत अब सीबीआई जांच से क्यों डरकर भाग रहे हैं। सीबीआई जांच की संस्तुति वापस लेना राज्य सरकार का कायरतापूर्ण कदम है। वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं ने राजधानी में सीएम हरीश रावत का पुतला भी फूंका।

राज्यपाल सचिव को साैंपा ज्ञापन

प्रदेश बीजेपी ने राज्यपाल डॉ। केके पॉल से मुख्यमंत्री के स्टिंग की सीबीआई जांच की सिफारिश की अधिसूचना वापस लेने संबंधी कैबिनेट के फैसले पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है। सोमवार शाम प्रदेश बीजेपी महामंत्री नरेश बंसल के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने सचिव राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पार्टी ने मुख्यमंत्री के स्टिंग की सीबीआई जांच की अधिसूचना वापस लेने वाले मंत्रिमंडल के निर्णय पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया। प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला, महामंत्री खजान दास, विधायक हरबंस कपूर, प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान, विनय गोयल, महिला मोर्चा की अध्यक्ष नीलम सहगल आदि नेता शामिल रहे।

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अधिकार केवल राज्यपाल को

जानकारों का मानना भी है कि जिस प्रकार से राज्य कैबिनेट ने राज्यपाल की संस्तुति को वापस लेना का निर्णय लिया है, वह सरासर गलत है। पूर्व अपर महाधिवक्ता व वरिष्ठ अधिवक्ता जेडी जैन का कहना है कि यह अधिकार केवल राज्यपाल को है। अभी भी सीबीआई अपनी जांच जारी रख सकती है। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा का भी कहना है कि प्रदेश सरकार ऐसा नहीं कर सकती है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि राज्य कैबिनेट को किसने यह कानूनी राय दी, फैसला अटपटा-सा लगता है।

Posted By: Inextlive