- रिसर्च का 40 प्रतिशत मैटर मैच होते ही पकड़ में आ जाएगी थीसिस की चोरी

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ :

थीसिस चोरी करके पीएचडी की डिग्री हासिल करना अब आसान नहीं होगा। थीसिस की चोरी रोकने के लिए लिए आरयू अब टूर्निटीन सॉफ्टवेयर की मदद लेगा। अभी कई शोधार्थियों को पीएचडी अवॉर्ड होने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन को ये शिकायत मिलती है कि स्कॉलर ने कंटेंट की चोरी की है, लेकिन अब चोरी की थीसिस होने पर सॉफ्टवेयर ही पकड़ लेगा। आरयू यह व्यवस्था इस वर्ष से ही लागू करने जा रहा है।

आरयू भी करेगा इस्तेमाल

ज्ञात हो एमएचआरडी मंत्रालय ने सख्ती दिखाते हुए थीसिस की चोरी रोकने के लिए सॉफ्टवेयर की मदद लेने को कहा था। इससे थीसिस का कंटेंट चोरी करने वाले स्कॉलर को आरयू से डॉक्टरेट की डिग्री नहीं मिल पाएगी। थीसिस की चोरी को पकड़ने के लिए आरयू भी इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है।

ऐसे पकड़ी जाएगी चोरी

अब स्कॉलर को थीसिस की हार्डकॉपी के साथ-साथ सॉफ्ट कॉपी भी देना होती है। टूर्निटीन सॉफ्टवेयर का जब यूज शुरू हो जाएगा तो थीसिस को आसानी से एक्जामिन किया जा सकेगा। इसमें पुरानी सारी रिसर्च थीसिस फीड होगी। नए रिसर्च की सॉफ्ट कॉपी के मैटर से पुराने डाटा को सॉफ्टवेयर मैच करेगा। यदि सॉफ्ट कॉपी पुरानी सामग्री से 40 प्रतिशत भी कॉपी पेस्ट कर ली होगी तो चोरी पकड़ में आ जाएगी।

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अब कोई भी शोधार्थी चोरी के थीसिस से पीएचडी की डिग्री हासिल नहीं कर सकेगा। इसके लिए अब सॉफ्टवेयर की मदद ली जाएगी।

प्रो। अनिल शुक्ल, आरयू वीसी

Posted By: Inextlive