विंबलडन के आयोजक एक नया नियम बनाने के बारे में सोच रहे हैं जिसके तहत मैच के दौरान कोई भी खिलाड़ी शॉट लगाते समय जोर से चिल्ला नहीं सकेगा.

मारिया शारापोवा जैसी खिलाड़ियों का कोई भी तेज शॉट बिना चीख के नहीं निकलता। ऑल इंग्लैंड क्लब इस संबंध में महिला टेनिस एसोसिएशन के अधिकारियों से बात कर रहा है। दरअसल इस चलन की शुरुआत सत्तर के दशक में जिमी कॉनर्स ने की थी और इसका उद्देश्य ब्योर्न बोर्ग की एकाग्रता को भंग करना था।

बाद में अस्सी के दशक में मोनिका सेलेस ने महिला टेनिस में इसका प्रचलन बढ़ाया। पहले भी और आजकल टेनिस खिलाड़ियों का एक बड़ा वर्ग इसका विरोध करता रहा है।

हर चीख मापी जाएगी

अब योजना यह है कि अंपायरों के पास ग्रंटो मीटर होंगे और अगर शॉट लगाने के दौरान निकाली गई आवाज स्वीकृत मापदंडों से अधिक होगी तो उसे रिकार्ड कर लिया जाएगा। पिछले साल टेनिस मैचों के दौरान चीखें निकोलने का चलन इतना बढ़ गया कि बीबीसी ने दर्शकों की शिकायत पर शोर कम करने के लिए एक खास उपकरण 'विंबलडन नेट मिक्स' लगाया जिससे खिलाड़ियों की चीखने की आवाज को फ़ेड आउट कर कमेंटेटरों की आवाज के वॉल्यूम को बढ़ा दिया गया।

इस चीख ब्रिगेड की निर्विवादित नेता हैं मारिया शारापोवा। कुछ समय पहले उनकी चीख को 105 डेसेबल मापा गया था। पिरनकोवा के खिलाफ मैच में भी वह इतनी ही जोर से चीख रही थीं।

जर्मन खिलाड़ी सबीन लिसिकी ने अपनी प्रतिद्वंदी बोजाना जोवानोस्की के जोर से चीखने के खिलाफ अंपायर से औपचारिक शिकायत की थी। शारापोवा के अलावा चिल्लाने वालों में एलीना देमेंतिएवा, विक्टोनिया अज़ारेंका मिशेल लार्चेर,मार्टिनो लोपेज़, रफे़ल नडाल और नोवाक जोकोविच का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है।

पुरानी शिकायत1988 के अमरीकी ओपेन फाइनल में इवान लेंडल ने आंद्रे अगासी की चीखों के खिलाफ यह कह कर शिकायत की थी कि इससे उनकी टाइमिंग खराब हो जाती है। 2009 के फ़्रेंच ओपेन में अरावेन रेज़ाई ने मिशेल लार्चेर की चिल्लाहट के खिलाफ शिकायत की थी जिसकी वजह से ग्रैंड स्लेम के निरीक्षक को कोर्ट पर आना पड़ा था।

लार्शेर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी लेकिन दर्शकों ने शोर मचा कर उनकी काफी खिचाई की थी। नवरातिलोवा ने तो यहाँ तक कहा था कि चीख निकालना एक तरह की चोरी है। उन्होंने रोजर फ़ेडेरर का भी उदाहरण दिया कि जब वह गेंद को हिट करते हैं ते उनके मुँह से आवाज़ नहीं निकलती।

नवरातिलोवा का तर्क यह भी था कि चिल्लाने से रैकेट से निकलने वाली गेंद की आवाज दब जाती है और उसके प्रतिद्वदी को यह अनुमान ही नहीं लग पाता कि गेंद किस गति से उसके रैकेट के पास आ रही है।

Posted By: Inextlive