मंच से चीफ जस्टिस खेहर ने जाहिर की पीड़ा

सुनाई जीवन से जुड़ी कहानियां, छुट्टियों में मामलों की सुनवाई की अपील

ALLAHABAD: इलाहाबाद हाईकोर्ट में सात लाख और लखनऊ बेंच में दो लाख मुकदमे पेंडिंग हैं। इसके अलावा देशभर की कोर्ट में लंबित मामलों को कितनी जल्दी निपटाया जाए, शायद यह सवाल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जगदीश सिंह खेहर को अंदर से कचोट रहा था। यही कारण था कि रविवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर मंच से उन्होंने अपने दिल की बात कह डाली। संबोधन के बीच में अचानक उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने मन की बात कहते हैं, इसे देशवासी चाव से सुनते हैं। आज मैं भी दिल की बात कहने जा रहा हूं। उन्होंने अपनी बात कहने के लिए खुद की लाइफ से जुड़े कई उदाहरण पेश किए। उन्होंने जजेस से वैकेशंस में लंबित मामलों की सुनवाई की अपील की।

काम तो करना ही होगा

उन्होंने कहा कि संसाधन कम हों, जानकारी कम हो या माहौल अनुकूल न हो, फिर भी काम तो करना ही होगा। यह उन्होंने अपनी निजी जिंदगी से सीखा है। अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना ही जीवन का मूल मंत्र है। इसके लिए लाइफ में कई टर्निग प्वाइंट आते हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर एक जज महज पांच छुट्टियों में रोजाना पांच लंबित मामलों की सुनवाई करे तो वह आसानी से बीस से पच्चीस मामले निपटा सकता है।

छोटे-छोटे मामले निपटाएं

जरूरी नहीं कि यह बड़े मामले हों, छोटे-छोटे मामलों को जस्टिस चिंहित कर सकते हैं। इसके लिए वे अपने चीफ जस्टिस की मदद भी ले सकते हैं। अगर कई जस्टिस ऐसा करते हैं तो निस्तारित मामलों की संख्या हजारों में पहुंच जाएगी और अदालतों पर लंबित मुकदमों का बोझ अपने आप कम हो जाएगा। वह सुप्रीम कोर्ट के जजेस को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

वकीलों ने मुझे सिखाया

उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी में कई टर्निग प्वाइंट आए, जब अपने हौसले से उन्होंने समस्याओं को मात दी। विदेश के स्कूल में अपने से उम्र में बड़े बच्चों के साथ क्लास में दाखिला लेने का मामला हो या भारत में पहली बार क,ख,ग सीखने का। पहले जिस टीचर ने कहा कि मुझे कुछ नही आता, बाद में उन्होंने ही कोचिंग के जरिए मुझे शिक्षा प्रदान की।

सक्सेस आपकी एडवोकेसी पर निर्भर

उन्होंने कहा कि यहां बात कर सकने और नहीं कर सकने की है। सक्सेस आपके एडवोकेसी पर निर्भर करती है। एलएलएम करने के बाद एक सीनियर वकील के अंडर में काम करना शुरू किया तो लगा कुछ नहीं आता। काम करना वकीलों ने सिखाया। कोई बाहर से करने नहीं आएगा, लंबित मुकदमों को हमे ही निपटाना है। इस मैराथन में कुछ एक्स्ट्रा योगदान देकर समस्या से निजात पाई जा सकती है। उन्होंने कहा यह मामला हमारे सक्सेस और फेल्योर से जुड़ा है। यह हमारे देश की तरक्की का सवाल है। इसे हमें ही पूरा करना है।

पीएम ने किया समर्थन

चीफ जस्टिस के संबोधन को पीएम मोदी ने पूर्ण समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि आपके दिल की बात मैंने पूरे मन से सुनी है। इस पर हाल में तालियां गूंज उठीं। पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार चीफ जस्टिस के इस संकल्प को पूरा करने में पूरा सहयोग देने को तत्पर है। हम न्याय व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने के लिए संकल्पित हैं।

Posted By: Inextlive