आईसीसी अंपयायर अनिल चौधरी लॉकडाउन के चलते अपने गांव में फंसे हैं। जहां सिग्नल न आने के चलते उन्हें मोबाइल में बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ना पड़ता है।

नई दिल्ली (पीटीआई)। लॉकडाउन के चलते उत्तर प्रदेश के एक गांव में फंसे आईसीसी अंपायर अनिल चौधरी काफी परेशान है। ये परेशानी उनके घर में कैद होने से नहीं बल्कि मोबाइल में नेटवर्क न आने की वजह से है। चौधरी जिस गांव में रह रहे, वहां सिग्नल की काफी दिक्कत है। ऐसे में उन्हें मोबाइल पर बात करने के लिए पेड़ पर चढऩा पड़ता है। 20 वनडे और 27 टी-20 मैचों में अपांयरिंग कर चुके चौधरी भारत बनाम साउथ अफ्रीका सीरीज में अफिशियल अंपायर चुने गए थे। मगर ये सीरीज कोरोना वायरस के चलते रद कर दी गई थी। जिसके बाद उन्हें लंबा वक्त मिल गया था और वह अपने गांव घूमने आए थे। उस वक्त देश में लॉकडाउन नहीं लगा था।

छुट्टी मनाने गांव में आए थे

55 साल के अनिल चौधरी जो यूपी के शामली के एक गांव में रुके हैं, उन्होंने पीटीआई से बातचीत में कहा, 'मैं 16 मार्च को अपने दो बेटों के साथ यहां आया था। मैंने एक सप्ताह तक रुकने की योजना बनाई लेकिन फिर लॉकडाउन की घोषणा की गई और अब मैं निर्देशों का पालन करते हुए बाहर नहीं जा रहा। जबकि मेरी मां और पत्नी दिल्ली में हैं।' चौधरी बताते हैं, 'यहाँ सबसे बड़ी समस्या नेटवर्क की है। मैं किसी से बात नहीं कर सकता, यहां तक कि इंटरनेट का उपयोग भी नहीं कर पाता। मोबाइल में नेटवर्क आ सके, इसके लिए मुझे गाँव के बाहर जाना पड़ता है।'

पेड़ पर चढ़कर करनी पड़ती बात

मोबाइल में सिग्नल आ सके, इसके लिए चौधरी को पेड़ पर चढऩा पड़ता है। वह कहते हैं, 'मैं गांव के बाहर जाकर किसी पेड़ या छत पर चढ़ता हूं, तब जाकर नेटवर्क आता है। वो भी हमेशा उपलब्ध नहीं होता। ज्यादातर समय नेटवर्क की दिक्कत रहती है।' चौधरी ने कहा कि उन्हें आईसीसी के ऑनलाइन कार्यक्रमों तक पहुंचने के लिए इंटरनेट की जरूरत है मगर गाँव में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं का अभाव है। इससे उनके बेटे की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही, क्योंकि उसकी ऑनलाइन क्लॉस चल रही हैं।

प्रधान को लिखा है लेटर

चौधरी कहते हैं, 'मेरा एक बेटा हिंदू कॉलेज में पढ़ता है, उसकी कक्षाएं चल रही हैं लेकिन वह उनमें शामिल नहीं हो सका।' अंपायर चौधरी का कहना है कि मोबाइल नेटवर्क की समस्या कोई नया मुद्दा नहीं है। बीते एक साल से गांव वाले इस परेशानी से जूझ रहे हैं, वो भी तब जब यह दिल्ली से 100 किमी से भी कम है। चौधरी के अनुसार, उन्होंने ग्राम प्रधान को एक पत्र लिखा है। हमने 10 दिन पहले एक लेटर भेजा था लेकिन हमें अभी तक एक उत्तर नहीं मिला है।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari