Dehradun: गुरु पूर्णिमा का दिन किन्नर समुदाय के लिए विशेष था. एक तरफ जहां इस मौके पर शहर भर में कार्यक्रमों का आयोजन हुआ वहीं एक विशेष देवी की आराधना किन्नर समुदाय द्वारा की गई. यह देवी मुर्गे वाली माता थीं. पूरे विधि विधान से पूजा पाठ कर देवी की प्राण प्रतिष्ठा की गई. किन्नरों की आराध्य मुर्गे वाली माता की स्थापना चुख्खुवाला में की गई. शहर में अब तक किन्नर समुदाय का महज एक ही मंदिर पुरसोली वाला में स्थित था लेकिन इस मंदिर की स्थापना के साथ इस विशेष समुदाय के लिए अब दो विषेश पूजा स्थल हो गए हैं. इस दौरान एक अनूठी परंपरा देखने को मिली.


गुजरात से दून आईं मुर्गे वाली मातामुर्गे वाली माता का मुख्य धार्मिक स्थल गुजरात में स्थित है। इस जगह को अगर किन्नर समुदाय का धाम कहा जाए, तो शायद गलत नहीं होगा। इन्हें बहुचरा माता के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की पुजारन कोका कोला का कहना है कि वो  मूल रूप से गुजरात से हैं। वहीं से माता को दून लाया गया है और यहां उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई है। किन्नर समुदाय के बीच इन माता की सबसे ज्यादा मान्यता है। मूल रूप से मुर्गे वाली माता के पास लोग संतान की मुराद के लिए आते हैं। मुर्गा इस देवी का वाहन है, जिसके चलते इन्हें मुर्गे वाली माता कहा जाता है। दून में इसकी स्थापना यहां के किन्नर समुदाय के साथ ही अन्य लोगों के लिए भी की गई है।हवन और पूजन के साथ हुई स्थापना
मुर्गे वाली देवी का स्वागत बहुत ही भव्य आयोजन के द्वारा किया गया। आयोजन की शुरुआत हवन कीर्तन के साथ की गई। कांग्रेस लीडर रजनी रावत के मूल आवास के पास ही इस विशेष मंदिर में माता की स्थापना की गई। रजनी रावत के आवास में बैंड बाजे और ढोल की थाप पर सभी किन्नरों ने इस उत्सव में जमकर डांस किया और माता की स्थापना का जश्न मनाया।दुल्हन किन्नरों के साथ निकली कलश यात्राइस भव्य समारोह में कलश यात्रा भी एक अनूठे रूप में निकाली गई। तीन किन्नर दुल्हन के श्रृंगार के साथ सजी हुई थी। इस दौरान उनके सिर पर कलश सजाकर कलश यात्रा निकाली गई। इस यात्रा के दौरान बाकी किन्नर भी शामिल हुई, जिन्होंने बैंड बाजे और ढोल की थाप के साथ पूरी यात्रा में डांस किया और माता के भजन भी गाए। सभी किन्नरों की मुखिया रजनी रावत ने इस मौके को उनके लिए बहुत ही खास बताया। रजनी ने कहा कि पूरे दून वासियों के लिए मुर्गे वाली माता सुख और समृद्धि लेकर आएंगी।

Posted By: Inextlive