Jamshedpur: विवेक आहूजा एमबीए का स्टूडेंट है. उसने 2 साल पहले अपनी एमबीए की पढ़ाई कॉम्पलीट कर ली है लेकिन अब तक उसे सही और मन माफिक जॉब नहीं मिला है. इस कारण उसे घर में फैमिली मेंबर्स के बीच काफी अनइजी फील होती है. इसके साथ ही उसे फैमिली में लगातार जॉब के लिए दबाव बनाया जाता है. इस कारण वह स्ट्रेस का शिकार हो गया है.

संदीप कुमार ने एक साल पहले अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है, लेकिन अब भी उसे जॉब की तलाश है। पैरेंट्स ने लाखों रुपए खर्च कर उसकी पढ़ाई करवाई और जॉब न मिलने के कारण वे उसपर किसी भी तरह की जॉब के लिए दबाव बना रहे हैं। जॉब न मिलने के कारण उसकी शादी भी नहीं हो पा रही है। इस दो तरफा प्रेशर के कारण संदीप स्ट्रेस का शिकार हो गया है। उपर के दोनों मामले महज एक एग्जांपल हैैं। इस तरह के कई मामले सिटी में साइकेट्रिस्ट के पास पहुंच रहे हैं। जैसे-जैसे लाइफ स्टाइल फास्ट होता जा रहा है, वैसे-वैसे लोग बीमारियों के भी शिकार होते जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि इन दिनों सिटी के यूथ में स्ट्रेस के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। साइकेट्रिस्ट के पास ऐसे पेशेंट्स की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
2000 से ज्यादा stress  cases
एमजीएम हॉस्पिटल स्थित डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी के डेढ़ साल कॉम्पलीट हो गए और इस दौरान यहां 2000 से ज्यादा केसेज आए। यहां कई तरह के पेशेंट्स आए, जिसमें सिजोफ्रेनिया व बाइपोलर के अलावा स्ट्रेस के भी पेशेंट आ रहा हैं। शुरूआत में सिजोफ्रेनिया व बाइपोलर के पेशेंट्स आ रहे थे, लेकिन अब स्ट्रेस के पेशेंट्स ज्यादा आ रहे हैं।
Youth में बढ़ रहा है stress
डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी में आए पेशेंट्स में से ज्यादा 15 साल से लेकर 25 साल की एज ग्र्रुप के हैं। इनमें महिलाओं की संख्या कम जबकि मेल के ज्यादा सामने आए हैं। इनमें अनमैरेड यूथ से लेकर कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स भी शामिल हैं।
Daily आते हैं 7 patients
एमजीएम हॉस्पिटल की साइकेट्रिक ओपीडी में डेली 5 से 7 पेशेंट्स आते हैैं। इनमें 50 परसेंट यानी 2 से 3 स्टूडेंट्स होते हैैं। अगर पेशेंट्स के बैक ग्र्राउंड की बात करें तो ज्यादातर मिडिल क्लास फैमिली को बिलांग करते हैैं। यहां स्ट्रेस के लिए आने वाले पेशेंट्स सबसे ज्यादा जॉब, फैमिली प्रॅाब्लम, एग्जाम फोबिया के लेकर तनाव में रहते हैैं। पढ़ाई करने के बाद सही जॉब न मिलने के कारण वह इसे लेकर फैमिली द्वारा लगातार दबाव बनाए जाने के कारण यूथ टेंशन में आ जाते हैैं। इससे धीरे-धीरे वो स्ट्रेस की चपेट में आ जाते हैैं।
Urban के साथ ही rural के यूथ भी हो रहे हैं शिकार
ऐसा नहीं है कि स्ट्रेस की इस पॅ्राब्लम से केवल अर्बन एरिया के यूथ ही जूझ रहे हैं। रूरल एरिया के यूथ में भी स्ट्रेस की प्रॅाब्लम इक्वली सामने आ रही है। डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी के डॉ दीपक गिरी कहते हैैं कि अर्बन एरिया के अलाावा मुसाबनी, डुमरिया, पटमदा व बहरागोड़ा के यूथ भी इस प्रॉब्लम के शिकार हो रहे हैं। क्लिनिक में उनकी बढ़ती संख्या इस बात का इशारा कर रही है।

 

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goutam.ojha@inext.co.in

Posted By: Inextlive