-बीएचयू के जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल दूसरे दिन भी रही जारी,

-भटकते रहे मरीज, चिकित्सकों ने नहीं किया इलाज, हजारों मरीज गए लौट

बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है। यहां न तो मरीजों की जांच हो रही है और न ही एडमिट किया जा रहा है। बुधवार से शुरू हुई जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। ओपीडी में डॉक्टर्स के न मिलने से यहां इलाज के लिए आए हजारों मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी। यूपी, बिहार, झारखंड व पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए सैकड़ों मरीज गुरुवार को भोर से ही हॉस्पिटल में डेरा जमाए रहे, लेकिन सुबह होते ही सभी मरीज व उनके तीमारदारों के चेहरे मुरझा गए। क्योंकि डॉक्टर हड़ताल पर रहे।

लगी रही मरीजों की कतार

हड़ताल के बावजूद यहां मरीजों की संख्या कम नहीं हुई है। हॉस्पिटल के ओपीडी से लेकर कैंपस तक मरीजों की कतार लगी हुई थी। इस उम्मीद के साथ कि शायद कोई डॉक्टर उनका इलाज कर दे। कई मरीज व उनके साथ आए अटेंडेंस जूनियर डॉक्टर्स के सामने गिड़गिड़ाते रह गए, लेकिन किसी का भी दिल नहीं पसीजा, यहां तक की सीनियर डॉक्टर्स ने भी ओपीडी में मरीजों के प्रॉब्लम्स को समझने की कोशिश नहीं की।

एडमिट नहीं हुए मरीज

जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल पर जाने से सिर्फ ओपीडी ही नहीं आपरेशन और जांच भी प्रभावित हुआ। लैब में जहां मरीजों की लाइन लगी रहती थी, वहां सन्नाटा पसरा रहा। यही नहीं इसका असर वार्डो पर भी पड़ा है। ओपीडी में डॉक्टर्स के न मिलने से मरीजों को एडमिट नहीं किया गया। वहीं इमरजेंसी में बैठे डॉक्टर्स अपना गुस्सा मरीजों पर निकाल रहे हैं। किसी भी मरीज की जांच ठीक से नहीं की गई। सूत्रों की मानें तो गुरुवार को यहां सैकड़ों मरीज गंभीर अवस्था में लाए गए, लेकिन किसी को भी एडमिट नहीं किया गया। ज्यादातर मरीज अन्य हॉस्पिटल्स में रेफर होते रहे।

आधा खाली हो गया अस्पताल

बीएचयू हॉस्पिटल के ओपीडी में डेली करीब 5000 से अधिक मरीजों की जांच होती है। लेकिन गुरुवार को मरीजों की संख्या कम हो गई। क्योंकि बनारस के लोकल लोगों तक हड़ताल की सूचना पहुंच चुकी है।

67 वर्षीय पिता सांस की गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। सुबह के समय पर्ची बनने के बाद डॉक्टर्स ने उनको चैंबर में बुलाया और कहा कि वह हड़ताल पर हैं, कही और जाएं। उन्हें आज बुलाया गया था। सुबह से दोपहर हो गया, लेकिन लाख मिन्नतें करने के बाद भी डॉक्टर नहीं माने।

राजेश कुमार, सासाराम, बिहार

15 वर्षीय बेटी ओपीडी के बाहर स्ट्रेचर पर लेटी हुई है। दर्द के कारण बोल भी नहीं पा रही। बेटी को देखने के लिए डॉक्टर नहीं आ रहे हैं। कहते हैं हड़ताल है। कई बार जूनियर डॉक्टर्स से गुजरिश की, लेकिन कोई पलट कर देख भी नहीं रहा।

उर्मिला देवी, गाजीपुर

Posted By: Inextlive