दोपहर तक बंद रहे मेडिकल स्टोर्स, थोक की दुकानें दिनभर रहीं बंद

दवा न मिलने से मरीजों को हुई दिक्कत, दोपहर बाद मिली राहत

ALLAHABAD: मांगों को लेकर दवा व्यापारियों की एक दिनी हड़ताल का असर मंगलवार को थोक व्यापार पर दिखा तो फुटकर मेडिकल स्टोर दोपहर बाद खुल गए। इससे मरीजों को काफी राहत मिली। इस दौरान दवा व्यापारियों ने प्रदर्शन कर डीएम को केंद्र सरकार के नाम संबोधित ज्ञापन दिया। व्यापारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो भविष्य में आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है।

दिनभर बंद रहीं दो सौ दुकानें

इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर इलाहाबाद में एक दिवसीय बंदी का आयोजन किया गया था। मंगलवार को शहर में स्थित थोक दवा की दो सौ दुकानों में सुबह से शाम तक ताला बंद रहा। इस दौरान लीडर रोड समेत शहर के अन्य थोक मार्केटों में सन्नाटा पसरा रहा। एक दिन की हड़ताल में छह करोड़ रुपए का थोक व्यवसाय प्रभावित हुआ है। इसके चलते शहर की फुटकर दवा मार्केट को जरूरी दवाएं सप्लाई नहीं की जा सकीं।

दो बजे बाद खुले मेडिकल स्टोर

एक ओर दवा की थोक दुकानें दिनभर बंद रहीं तो रिटेल शॉप (मेडिकल स्टोर) दोपहर दो बजे के बाद खोल दिए गए। शहर में बालसन चौराहा, कटरा, एसआरएन हॉस्पिटल, चौक, नखास कोहना, मुट्ठीगंज, बेली हॉस्पिटल आदि एरिया की दुकानें खुल जाने से मरीजों ने राहत की सांस ली। हालांकि इसके पहले मरीज और परिजन दवा के लिए भटकते नजर आए। उधर, ग्रामीण इलाकों में मेडिकल स्टोर बंदी का अधिक असर देखने को मिला। यहां सुबह से शाम तक अधिकतर दुकानों पर ताला पड़ा रहा।

प्रयाग व्यापार मंडल ने दिया साथ

मंगलवार को इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन की ओर से मांगों को लेकर जुलूस निकाला गया। इसमें प्रयाग व्यापार मंडल के अध्यक्ष विजय अरोरा समेत अन्य लोग शामिल रहे। दवा व्यापारियों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के नाम संबोधित छह सूत्री ज्ञापन डीएम को दिया। जुलूस में एसोसिएशन के महामंत्री परमजीत सिंह, सत्य प्रकाश, रोहित सिंह, मनोज रस्तोगी, तरंग अग्रवाल, रितेश शर्मा, राहुल भाई, चन्नी भाई आदि उपस्थित रहे।

दवा व्यापारियों की मांगें

प्रदेश में फार्मासिस्ट व ड्रग लाइसेंस नवीनीकरण समस्या का निदान किया जाए

केंद्रीय ई पोर्टल के विचार को निरस्त किया जाए, इससे देश में दवाओं का अभाव पैदा होगा

दवा मूल्य नियंत्रण नीति से केमिस्टों का शोषण स्वीकार नहीं

केंद्रीय दवा कानून संशोधन में दवा विक्रेताओं का विचार स्वीकार किया जाए

देश में 8.5 लाख केमिस्ट एवं पचास लाख कर्मचारी नए नियमों से प्रभावित होंगे, उनका ख्याल रखा जाए

रिटेल दवा दुकानदारों से पहले ही बातचीत हो गई थी। उन्होंने दोपहर बाद मेडिकल स्टोर खोलने की मांग की थी। मरीजों के हित को देखते हुए यह छूट दी गई थी। थोक दुकानें दिनभर बंद रहीं। करोड़ों का व्यापार प्रभावित हुआ।

परमजीत सिंह,

महामंत्री, इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

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सुबह दिखाने आए थे। डॉक्टर ने कुछ दवाएं बाहर की भी लिख दी। दवा लेने पहुंचा तो पता चला की दुकानें बंद हैं। क्या करें, समझ में नहीं आ रहा है। बता रहे हैं कि हड़ताल है।

निरंजन कुमार

हर बार हमें ही टारगेट क्यों किया जाता है। डॉक्टर की स्ट्राइक हो तो हम पिसते हैं और दवा की दुकानें बंद हों तो हम पिसते हैं। एक बार भी इनके मन में नहीं आता कि दवा के अभाव में कोई मरा तो वह कभी लौटकर नहीं आएगा।

आदित्य तिवारी

हो सकता है कि दवा व्यापारियों की मांगें जायज हों लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पब्लिक को परेशानी में डाला जाय। यह गलत तरीका है। इसमें किसी की जान भी जा सकती है।

निखिल आनंद

मसला दवा कारोबारियों और सरकार के बीच का है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए हमें हथियार क्यों बनाया जाता है।

सोनल मिश्र

Posted By: Inextlive