सीजन आते ही बढ़ने लगे मरीज, लापरवाही पर हो सकता है जानलेवा

ग्रामीण इलाकों में अधिक खतरा, झाड़-फूक के चक्कर में न पड़ें

ALLAHABAD: जानलेवा है दिमागी बुखार। एक बार इसकी चपेट में आने के बाद बच्चे का जीवन खतरे में पड़ सकता है। खासतौर से गर्मी के चरम पर पहुंचते ही गंभीर बीमारी के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होती है। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल समेत शहर के दूसरे हॉस्पिटल्स में ऐसे मरीजों को देखा जा सकता है। सर्वाधिक बच्चे इसकी चपेट में आते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों को तीखी धूप से बचाकर रखना होगा।

हॉस्पिटल में भर्ती हैं आठ मरीज

पारा 45 डिग्री पार होते ही चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में दिमागी बुखार के मरीजों का आना शुरू हो गया है। वर्तमान में आठ मरीज इस बीमारी के वार्डो में भर्ती हैं। परिजनों का कहना है कि बच्चे अचानक बीमार हुए और कुछ दिनों के भीतर बेहोशी की हालत में पहुंच गए। जांच में पता चला कि उन्हें दिमागी बुखार हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को बुखार की चपेट में आने के बार इसे नजर अंदाज नहीं करते हुए तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

दिमागी बुखार के कई कारण

दिमागी बुखार के कई कारण हो सकते हैं। वर्तमान में यह टीबी, संक्रमण समेत कई वजहों से हो रहा है। धूप और लू की चपेट में आने के बाद बच्चे जुकाम-बुखार की चपेट में आ जाते हैं। शुरुआती इलाज नहीं मिलने पर बुखार चरम पर चला जाता है और मरीज दिमागी बुखार की चपेट में आकर सीरियस हो जाता है। कई मामलों में बच्चों को तेज झटके भी आते हैं और वे कोमा में चले जाते हैं।

झाड़-फूक नहीं है इलाज

ग्रामीण इलाकों में दिमागी बुखार का खतरा अधिक मंडरा रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि इस बीमारी में अक्सर परिजन मरीज को सीरियस कंडीशन में लेकर आते हैं। केस स्टडी में पता चलता है कि पहले बच्चे को झोलाछाप से इलाज कराया गया और इसके बाद झाड़-फूक के लिए तांत्रिक के पास लेकर चले गए। उचित इलाज नहीं मिलने से बच्चा बीमार पड़ जाता है। यही कारण है कि दिमागी बुखार के मरीजों को ठीक करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

इन लक्षणों को पहचानें

छोटे बच्चों में बहुत ज्यादा रोना।

बच्चों का स्तनपान न करना।

बड़े बच्चों में चिड़चिड़ापन का अधिक होना।

गर्दन और सिर में अधिक दर्द होना।

तेज झटके आने के साथ बेहोशी का शिकार हो जाना।

गर्मी में बारिश होने के बाद दिमागी बुखार के मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि होती है। फिलहाल इस समय हॉस्पिटल में आधा दर्जन से अधिक दिमागी बुखार के मरीज भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है। परिजनों को लक्षण पहचानकर तत्काल हॉस्पिटल लाना जरूरी है।

डॉ। अनुभा श्रीवास्तव, एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive